वर्ष 2025 को अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के रूप में मनाएगा हरियाणा
चंडीगढ़, 15 मई-हरियाणा के मुख्य सचिव श्री अनुराग रस्तोगी ने अधिकारियों को प्रदेश में एक ऐसी सहकारी समिति की पहचान करने के निर्देश दिए हैं, जिसे अगले एक वर्ष में आदर्श सहकारी समिति बनाया जा सके और जो अपनी विशिष्ट पहचान और सेवा वितरण के लिए जानी जाए।
मुख्य सचिव आज यहां राज्य सहकारी समिति विकास की चौथी बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
श्री अनुराग रस्तोगी ने इस बात पर जोर दिया कि यह आदर्श सहकारी समिति ऐसी होनी चाहिए जो नवाचार, पारदर्शिता, स्थिरता और उत्कृष्ट सेवा वितरण का उदाहरण प्रस्तुत करे, जिससे अन्य सहकारी समितियों के लिए अनुकरणीय मानक स्थापित हो सके।
विभाग ने संयुक्त राष्ट्र की घोषणा के अनुरूप अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 के उपलक्ष्य में सालभर की एक व्यापक योजना का अनावरण किया। इस योजना में सतत विकास को आगे बढ़ाने में सहकारी समितियों की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता दी गई है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी के मार्गदर्शन में प्रदेश में पूरे साल के लिए निर्धारित विभिन्न गतिविधियों के समन्वय और पर्यवेक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष-राज्य शीर्ष समिति का गठन किया गया है। समारोह की शुरुआत आईवाईसी-2025 वार्षिक कैलेंडर के औपचारिक शुभारंभ, एक कार्य योजना पुस्तिका और विभिन्न प्रचार सामग्री के साथ होगी। आईवाईसी लोगो को सरकारी संचार, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और सार्वजनिक प्रदर्शनों में प्रमुखता से दिखाया जाएगा। गतिविधियों में स्वच्छता अभियान, सहकारी थीम वाले पॉडकास्ट और सभी सहकारी विभागों में ई-ऑफिस सिस्टम का कार्यान्वयन शामिल होगा।
बैठक में बताया गया कि महिला सशक्तिकरण, युवा जुड़ाव, तकनीकी नवाचार और टिकाऊ कृषि पद्धतियों जैसे विषयों पर केंद्रित कार्यक्रमों की एक विस्तृत श्रृंखला आयोजित की जाएगी। इनमें विशेष कार्यक्रम, कौशल विकास पहल, राष्ट्रीय सेमिनार और जागरूकता फैलाने तथा सहकारी आंदोलन को मजबूत करने के उद्देश्य से जमीनी स्तर के अभियान शामिल होंगे। कार्यक्रमों के कैलेंडर में साइक्लोथॉन, वेबिनार, प्रदर्शनी, वृक्षारोपण अभियान और ज्ञान आदान-प्रदान कार्यक्रम भी शामिल हैं। इस वर्ष ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत वृक्षारोपण अभियान भी शुरू किया जाएगा।
इन व्यापक कार्यक्रमों के माध्यम से, राज्य सरकार का उद्देश्य सहकारिता की भावना को मजबूत करना, राज्य की उपलब्धियों को प्रदर्शित करना और सक्रिय सार्वजनिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना है। इस पहल से सहकारिता को समावेशी और सतत विकास के मॉडल के रूप में बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे हरियाणा के सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान मिलने की उम्मीद है।
सहकारिता विभाग की आयुक्त एवं सचिव श्रीमती आशिमा बराड़ ने बताया कि विभाग द्वारा डिजिटल बदलाव मुहिम के पहले चरण में 710 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) और प्राथमिक सहकारी ऋण समितियों (पीसीसीएस) के कम्प्यूटरीकरण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सभी आवश्यक हार्डवेयर वितरित और स्थापित किए जा चुके हैं, और सभी 710 पैक्स में इंटरनेट कनेक्टिविटी पूरी तरह से स्थापित हो गई है। इनमें से 39 पैक्स को कार्यात्मक ई-पैक्स के रूप में नामित किया जा चुका है, जो राज्य के डिजिटल सहकारी सुधार प्रयासों में एक मील का पत्थर है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘सहकार-से-समृद्धि’ के विजन के अनुरूप, केन्द्र सरकार ने पैक्स को प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र (पीएमकेएसके) संचालित करने की अनुमति देने का निर्णय लिया है। प्रदेश में 793 पैक्स हैं, जिनमें से 772 पैक्स के पास उर्वरक लाइसेंस है और 747 पैक्स को पीएमकेएसके के तौर पर परिवर्तित किया गया है। इस बदलाव में सहायता करने के लिए, उर्वरक कंपनियों ने इन केंद्रों को आवश्यक बुनियादी ढाँचा उपलब्ध करवाया है, जिसमें एलईडी डिस्प्ले यूनिट, टेबल, कुर्सियाँ और ब्रांडेड साइनबोर्ड शामिल हैं।
बैठक में विकास और पंचायत विभाग के आयुक्त एवं सचिव डॉ. अमित कुमार अग्रवाल, रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां श्री राजेश जोगपाल और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

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