Jagannath Rath Yatra 2025 : भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा भारत के सबसे भव्य और श्रद्धापूर्ण पर्वों में से एक है। यह हर साल आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को ओडिशा के पुरी शहर में आयोजित की जाती है। इस दिन भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा विशाल रथों पर सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलते हैं।
रथ यात्रा का धार्मिक महत्व:
- मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी (गुंडिचा देवी) के घर जाते हैं।
- यात्रा पुरी के श्रीमंदिर से शुरू होकर लगभग 3 किमी दूर गुंडिचा मंदिर तक जाती है।
- 9 दिन बाद भगवान वापस अपने मंदिर लौटते हैं जिसे बहुड़ा यात्रा कहा जाता है।

रथ यात्रा का संक्षिप्त परिचय:
विशेषता | विवरण |
---|---|
📅 तिथि (2025 में) | 29 जून 2025 (रविवार) |
📍 स्थान | पुरी, ओडिशा (मुख्य आयोजन); साथ ही भारत और दुनिया के कई जगन्नाथ मंदिरों में |
⛳ आयोजन का नाम | रथ यात्रा (Rath Yatra) या गुंडिचा यात्रा |
🎠 रथों की संख्या | तीन (जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा के लिए) |
Jagannath Rath Yatra 2025 विशेष परंपराएँ:
- चेरा पहरा – पुरी के गजपति राजा सोने की झाड़ू से रथों की सफाई करते हैं। यह विनम्रता और समता का प्रतीक है।
- हाथों से रथ खींचना – भक्त रथ की रस्सियाँ खींचते हैं, जिससे पुण्य प्राप्त होता है।
- महाप्रसाद वितरण – यात्रा के दौरान लाखों लोगों को महाप्रसाद बांटा जाता है।
वैश्विक आयोजन:
- भारत के अलावा, यूएसए, लंदन, ऑस्ट्रेलिया, और भारत के अन्य शहरों में भी ISKCON संस्था के माध्यम से रथ यात्रा बड़े स्तर पर होती है।
Jagannath Rath Yatra 2025 ऐतिहासिक मान्यता:
- रथ यात्रा का उल्लेख ब्राह्म पुराण, स्कंद पुराण, और अन्य शास्त्रों में मिलता है।
- यह आयोजन हजारों वर्षों से होता आया है।
रोचक तथ्य:
- रथ यात्रा के दिन पुरी में 10 लाख से ज़्यादा श्रद्धालु इकट्ठा होते हैं।
- ये विश्व का सबसे बड़ा चिलचिलाते सूर्य में पैदल चलने वाला धार्मिक उत्सव माना जाता है।
- भगवान जगन्नाथ को “विश्व का नाथ” कहा जाता है – इसलिए उनका स्वरूप हर धर्म और जाति के लिए खुला होता है।
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