Himachal में प्रकृति ने अपना प्रकोप दिखाया: बादल फटने और भूस्खलन ने ज़िंदगी और सुविधाओं पर गंभीर संकट मचा दिया है
मंडी में तबाही:
मंडी जिले में तेज बारिश और बादल फटने (cloudburst) की घटनाओं ने भारी तबाही मचाई है। अब तक 51 लोगों की मौत दर्ज हुई है, और कई लोग लापता हैं। 400 से ज्यादा रास्ते ब्लॉक।
सड़कों और संरचनाओं को बड़ा नुकसान:
प्रदेश में 390–406 सड़कें बंद हैं, जिनमें से 248 मंडी में, अन्य जिलों में सैकड़ों—जैसे कुल्लू, कांगड़ा, शिमला आदि में मार्ग अवरुद्ध हैं।
बिजली, जल आपूर्ति और बिजली बैराजों (HEPs) पर भी असर पड़ा है।
अलर्ट जारी:
एमडीएम (IMD) ने 2–7 जुलाई तक ऑरेंज अलर्ट जारी किया है; अधिक बारिश की आशंका बनी हुई है।
राहत-बचाव में जुटी टीमें:
NDRF, SDRF, PWD, पुलिस आदि बचाव कार्य में लगे हुए हैं। मॉड्यूलर पुल लगाने की पहल भी शुरू हो चुकी है।

Himachal क्षेत्रीय स्थिति – अन्य जिलों की जानकारी
- शिमला, कुल्लू, चंबा, सिरमौर आदि में भी बादल फटने से इंफ्रास्ट्रक्चर बुरी तरह प्रभावित हुआ है, पुल और मार्ग बह गए, जिससे यातायात प्रभावित हुआ है।
- मानसून की व्यापक गतिविधि:
पूरे प्रदेश में वर्षा सामान्य से अधिक रहने की संभावना है—इससे प्राकृतिक आपदाओं का बढ़ा खतरा है।
मुख्य चिंताएँ और सिफारिशें
मुद्दा | प्रभाव |
---|---|
मानसून की तीव्रता | ग्लोबल वार्मिंग आदि से अचानक भारी बारिश |
सरकारी तैयारी | हाई-रिस्क इलाकों में मॉनिटरिंग व संरचनात्मक तैयारी |
सावधानी की अपील | लोगों को घर से बाहर निकलने से रातें बचने की सलाह दी गई है |
IIT‑रोपर की एक स्टडी में बताया गया है कि हिमाचल का लगभग 45% क्षेत्र प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, भूस्खलन और हिमस्खलन के लिए संवेदनशील है।
Himachal राहत के प्रयास
- मौद्रिक सहायता:
वर्ष 2023 में आई प्राकृतिक आपदाओं के बाद केंद्र ने हिमाचल के लिए ₹2,006 करोड़ का अनुदान जारी किया था। - अस्थायी मेकैनिकल पुल:
PWD मंत्री ने भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में मॉड्यूलर पुल लगाने की रणनीति का जिक्र किया है। - राहत गतिविधियों में तेजी:
सेना, SDRF, NDRF, पुलिस-प्रशासन बचाव कार्य में सक्रिय हैं।
आप क्या कर सकते हैं?
- स्थानीय प्रशासन की सावधानियों और निर्देशों का पालन करें।
- अनावश्यक यात्रा टालें, विशेषकर उच्च जोखिम वाले इलाकों में।
- मौसम अपडेट नियमित रूप से चेक करते रहें।
- यदि फंसे हुए किसी को जानते हैं, तो तत्काल राहत दल (108/112) को सूचित करें।
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