Chandra Grahan 2025

Chandra Grahan 2025: बाढ़ और भूस्खलन पर संभावित प्रभाव – एक समग्र दृष्टिकोण

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Chandra Grahan 2025: बाढ़ और भूस्खलन पर संभावित प्रभाव – एक समग्र दृष्टिकोण

चंद्र ग्रहण 2025: बाढ़ और भूस्खलन पर संभावित प्रभाव – एक समग्र दृष्टिकोण

Chandra Grahan 2025 ज्योतिषीय दृष्टिकोण पर आधारित संभावित कारण:

  • ज्योतिषीय दृष्टांतों में कहा जा रहा है कि 7–8 सितंबर 2025 को होने वाला पूर्ण चंद्र ग्रहण (Blood Moon) मनोवैज्ञानिक और आर्थिक बदलावों के साथ-साथ प्राकृतिक घटनाओं को भी प्रभावित कर सकता है। यह ग्रहण विशेष रूप से पितृपक्ष के दौरान होने जा रहा है, जो पहले और बाद की ऊर्जा को तीव्र बनाता है।
  • इस अवधि में Rahu-चंद्रमा की युति तथा केतु-सूर्य/बुध की स्थिति बनी हुई है, जो प्राकृतिक असंतुलन और संवेदनशील परिस्थितियों की संभावना को बढ़ाती है।
  • ऐसी ज्योतिषीय अवस्थाएं अचानक भारी बारिश, भूस्खलन और बाढ़ जैसे प्राकृतिक संकटों की तीव्रता बढ़ा सकती हैं।
Chandra Grahan 2025
Chandra Grahan 2025

वैज्ञानिक दृष्टिकोण:

  • 7 सितंबर 2025 को होने वाला यह ग्रहण कुल चंद्र ग्रहण होगा, जो भारत समेत एशिया, अफ्रीका, यूरोप और अन्य महाद्वीपों में दिखाई देगा, इसे देखते हुए इसे व्यापक स्तर पर प्राकृतिक और खगोलीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

अभी तक ऐसी कोई ठोस वैज्ञानिक रिपोर्ट नहीं मिली है जो स्पष्ट रूप से यह प्रमाणित करे कि चंद्र ग्रहण के कारण बाढ़ या भूस्खलन जैसी घटनाएं होती हैं।

लेकिन, कुछ ज्योतिषीय दृष्टांत गहन ग्रह संबंधियों को प्राकृतिक असंतुलन से जोड़ते हैं — विशेष रूप से जब ग्रहण पितृपक्ष जैसी संवेदनशील अवधि में आता है। यह दृष्टिकोण पारंपरिक मान्यताओं पर आधारित है, और इसे धार्मिक या सांस्कृतिक संदर्भों में ही समझा जाना चाहिए।

Chandra Grahan 2025 7 सितम्बर 2025 के चंद्र ग्रहण और उससे जुड़ी भविष्यवाणियों के बारे में जानकारी दे सकता हूँ:

चंद्र ग्रहण 2025 (7 सितम्बर)

  • यह ग्रहण आंशिक (Partial Lunar Eclipse) होगा।
  • भारत सहित एशिया, यूरोप और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा।
  • ग्रहण का असर ज्योतिष अनुसार राजनीति, स्वास्थ्य और आर्थिक मामलों पर चर्चा में है।

ज्योतिषीय दावे

  • कुछ ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि इस ग्रहण का असर भारत की राजनीति पर पड़ेगा
  • भविष्यवाणी में कहा गया है कि किसी बड़े नेता को भारी नुकसान हो सकता है।
  • आम जनता के लिए भी यह समय धार्मिक दृष्टि से संवेदनशील और सावधानी बरतने योग्य बताया गया है।

परंपरागत मान्यता है कि ग्रहण काल में पूजा-पाठ, शुभ कार्य और नए कार्यों की शुरुआत नहीं की जाती।



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