ADHD

ADHD कोई “गलती” या “शरारत” नहीं है

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ADHD कोई “गलती” या “शरारत” नहीं है

ADHD का फुल फॉर्म (Attention-Deficit/Hyperactivity Disorder) है इसका मतलब (हिंदी में – अटेंशन-डेफिसिट/हाइपरएक्टिविटी विकार) आसान भाषा में समझें

Disorder = यह एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, कोई “गलती” या “शरारत” नहीं।

Attention-Deficit = ध्यान की कमी → यानी किसी काम पर लंबे समय तक ध्यान न टिक पाना।

Hyperactivity = अत्यधिक सक्रियता → यानी ज़रूरत से ज्यादा चलना-फिरना, शांति से न बैठ पाना।

ADHD कोई “गलती” या “शरारत” नहीं है, यह एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है। सही थेरेपी, स्कूल सपोर्ट और डॉक्टर की गाइडेंस से बच्चा बहुत अच्छा कर सकता है।

ADHD का मतलब है बच्चे (या बड़े) का ध्यान जल्दी-जल्दी भटकना, ज्यादा एक्टिव रहना और अचानक प्रतिक्रिया देना, जिसे नियंत्रित करना मुश्किल होता है।

बच्चों में ADHD का असर

ADHD एक न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर है, जिसमें बच्चे के व्यवहार, ध्यान और गतिविधियों पर असर पड़ता है। यह सामान्यत: 6–12 साल की उम्र में साफ़ दिखाई देने लगता है।

मुख्य लक्षण

  1. ध्यान की कमी (Inattention)
    • पढ़ाई में मन न लगना
    • काम अधूरा छोड़ देना
    • बार-बार भूलना
    • किसी चीज़ पर लंबे समय तक ध्यान न टिकाना
  2. अत्यधिक सक्रियता (Hyperactivity)
    • बिना रुके बातें करना
    • बहुत ज्यादा दौड़ना-भागना
    • शांत बैठने में दिक्कत होना
  3. आवेगशीलता (Impulsivity)
    • बिना सोचे तुरंत प्रतिक्रिया देना
    • दूसरों की बात बीच में काटना
    • अपनी बारी का इंतज़ार न करना

बच्चों पर असर

  • पढ़ाई में कठिनाई – क्लास में ध्यान न देना
  • सामाजिक असर – दोस्त बनाने या निभाने में दिक्कत
  • भावनात्मक असर – आत्मविश्वास कम होना, गुस्सा या चिड़चिड़ापन
  • परिवार में तनाव – माता-पिता को बार-बार समझाना पड़ता है

ADHD का ट्रीटमेंट

ADHD का कोई “एक बार में ठीक करने वाला इलाज” नहीं है, लेकिन सही मैनेजमेंट से बच्चा सामान्य और सफल जीवन जी सकता है।

🔹 ट्रीटमेंट के प्रमुख तरीके

  1. Behavioral Therapy (व्यवहारिक थेरेपी)
    • बच्चे को धीरे-धीरे नियम सिखाना
    • अच्छे व्यवहार पर प्रशंसा/रिवार्ड देना
    • ध्यान केंद्रित करने के छोटे-छोटे अभ्यास
  2. Parent Training & Counseling
    • माता-पिता को बच्चे से संभलकर व्यवहार करने की ट्रेनिंग
    • गुस्से के बजाय सकारात्मक तरीके अपनाना
  3. School Support
    • टीचर को जानकारी देना
    • छोटे-छोटे टास्क देना
    • क्लास में बैठने की विशेष व्यवस्था
  4. Medication (दवाइयाँ)
    • कुछ बच्चों को stimulant या non-stimulant दवाइयाँ दी जाती हैं
    • जैसे Methylphenidate, Atomoxetine (डॉक्टर की सलाह पर)
    • दवा हमेशा बाल मनोचिकित्सक/न्यूरोलॉजिस्ट की देखरेख में ही दी जाती है
  5. Lifestyle & Routine
    • नियमित नींद
    • हेल्दी डाइट (कम शुगर, पौष्टिक आहार)
    • आउटडोर खेल व योग/मेडिटेशन


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