Aatma Nirbhar Bharat

Aatma Nirbhar Bharat दिवाली पर स्वदेशी उत्पादों की धूम: ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ से जगमगा रहा बाजार

Delhi

Aatma Nirbhar Bharat दिवाली पर स्वदेशी उत्पादों की धूम: ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ से जगमगा रहा बाजार

Aatma Nirbhar Bharat इस दिवाली बाजारों में स्वदेशी उत्पादों की जबरदस्त मांग देखी जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘मेक इन इंडिया’ अभियान से लोगों की सोच में बड़ा बदलाव आया है। जानिए कैसे कारीगरों की मेहनत और ग्राहकों के बदलते रुझान ने आत्मनिर्भर भारत की राह को और मजबूत किया है।

दिवाली पर स्वदेशी उत्पादों की धूम: ‘मेक इन इंडिया’ को मिल रहा नया आयाम

दिवाली का त्योहार जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है, देशभर के बाजारों में रौनक लौट आई है। सड़कों पर जगमगाती लाइट्स, मिठाइयों की खुशबू, और रंग-बिरंगी सजावट के बीच इस बार एक खास बात सामने आई है—स्वदेशी उत्पादों के प्रति बढ़ता उत्साह।
ग्राहक अब विदेशी सामानों की जगह ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ के तहत बने देशी उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं।

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ग्राहकों की सोच में बड़ा बदलाव

कई ग्राहकों का कहना है कि अब वे अपनी खरीदारी के दौरान सबसे पहले यह देखना चाहते हैं कि उत्पाद भारतीय है या नहीं।
एक ग्राहक ने कहा,

“पहले हम सिर्फ ब्रांड और पैकेजिंग देखते थे, लेकिन अब हमें यह समझ में आया है कि स्वदेशी उत्पाद खरीदना देश की अर्थव्यवस्था में हमारा योगदान है। इससे गांवों में रोजगार बढ़ेगा और छोटे उद्योगों को भी बढ़ावा मिलेगा।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘वोकल फॉर लोकल’ पहल ने लोगों के भीतर आत्मनिर्भरता की भावना को मजबूत किया है। अब उपभोक्ता खुद को देश की आर्थिक प्रगति से जुड़ा हुआ महसूस कर रहे हैं।

दुकानदारों के चेहरे पर मुस्कान

स्वदेशी उत्पादों की बढ़ती मांग से स्थानीय दुकानदारों और छोटे उद्योगों में उत्साह है।
एक दुकानदार ने बताया,

“इस बार हमारे पास जो भी सामान है, वह पूरी तरह से भारतीय है — चाहे वह दीये हों, मिठाई के डिब्बे, पूजा सामग्री या सजावट के सामान। ग्राहक अब ‘मेड इन इंडिया’ टैग को देखकर ही सामान खरीद रहे हैं।”

कई दुकानदारों ने बताया कि मिट्टी के दीये, हस्तनिर्मित तोरण, गोबर से बने दीप और पर्यावरण-हितैषी सजावट की बिक्री में भारी बढ़ोतरी हुई है।

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Aatma Nirbhar Bharat कारीगरों के लिए दिवाली बनी उम्मीद की किरण

इस बदलाव का सबसे बड़ा फायदा कारीगरों और ग्रामीण शिल्पकारों को हुआ है।
‘त्रिवेणी’ जैसे संस्थान इन कारीगरों को बाजार से जोड़ने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। ये संस्थान न केवल उनके बनाए उत्पादों को प्लेटफॉर्म दे रहे हैं, बल्कि उन्हें डिज़ाइन और पैकेजिंग के नए तरीकों से भी परिचित करा रहे हैं।

एक बुनकर ने बताया,

“पहले हमें अपने उत्पादों की बिक्री में मुश्किल आती थी, लेकिन अब ऑनलाइन और लोकल मेलों में हमें ग्राहक खुद ढूंढने आते हैं।”

आत्मनिर्भर भारत की ओर मजबूत कदम Aatma Nirbhar Bharat

इस दिवाली स्वदेशी की गूंज हर ओर सुनाई दे रही है। जहां पहले विदेशी लाइट्स और गिफ्ट्स का चलन था, अब लोग भारतीय ब्रांड्स, हस्तनिर्मित उत्पादों और देसी मिठाइयों की ओर रुख कर रहे हैं।

यह न केवल हमारी परंपरा को सहेज रहा है, बल्कि देश को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में भी अहम भूमिका निभा रहा है।
‘मेक इन इंडिया’ अब केवल एक सरकारी अभियान नहीं रहा, बल्कि यह एक जन आंदोलन बन चुका है, जिसमें हर भारतीय की भागीदारी है।

इस बार की दिवाली सिर्फ रोशनी का नहीं, बल्कि स्वदेशी जागरूकता का पर्व बन गई है। हर दीया, हर तोरण, हर मिठाई का डिब्बा अब “मेड इन इंडिया” की चमक से जगमगा रहा है।
यह बदलाव न केवल देश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा देगा, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की ओर भी एक सुनहरा कदम है।



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