Bhakti श्रीनाथजी की परम भक्त रानी कौन थी ?
Bhakti रानी अजब कुमारी क्यों इतनी पागल हुई थी? दरअसल, इसे “पागल” कहना सही नहीं है, बल्कि यह श्रीनाथजी के प्रति अजब कुमारी के अत्यधिक प्रेम और भक्ति का भाव था।
Bhakti रानी अजब कुमारी की प्रेम और भक्ति कथा
- अत्यधिक प्रेम और लगाव:
- अजब कुमारी का श्रीनाथजी के प्रति प्रेम इतना गहरा था कि वे हर पल उनके साथ रहना चाहती थीं।
- उनका यह प्रेम साधारण भावना नहीं, बल्कि भक्ति का परम रूप था।
- भक्ति में लीन होना:
- वे दिनभर श्रीनाथजी के साथ चौसर खेलती और हर छोटी-बड़ी चीज़ में उनके साथ जुड़ी रहती थीं।
- भक्ति में इतनी लीन थी कि उनकी सारी सोच और भावना केवल श्रीनाथजी में केंद्रित रहती।
- इतिहास में भावनात्मक रूप:
- इसलिए कहा जाता है कि वे “पागल” हो गईं, इसका अर्थ अत्यधिक प्रेम और भक्ति से अभिभूत होना था, न कि सामान्य पागलपन।
- यही भाव इतना शक्तिशाली था कि श्रीनाथजी ने ब्रज छोड़कर उनके पास नाथद्वारा में विराजमान होने का निर्णय लिया।
अजब कुमारी का “पागलपन” अत्यधिक प्रेम और भक्ति का प्रतीक था, जो उनके और श्रीनाथजी के प्रेम-कहानी को इतिहास में अमर बना गया।
Bhakti अजब कुमारी – श्रीनाथजी की परम भक्त रानी
Bhakti अजब कुमारी कौन थीं?
रानी अजब कुमारी श्रीनाथजी की अत्यंत भक्त थीं। वे प्रतिदिन श्रीनाथजी के साथ चौसर खेला करती थीं, और इतनी निपुण थीं कि कभी कोई उन्हें हरा नहीं पाता था, यहाँ तक कि श्रीनाथजी भी। श्रीनाथजी उनके प्रति बहुत आकर्षित थे और उनके साथ रहना चाहते थे, इसलिए वह ब्रज छोड़कर उनके साथ उदयपुर में श्रीनाथजी के पास जा विराजमान हुए।
श्रीनाथजी का अजब कुमारी से प्रेम
श्रीनाथजी अजब कुमारी के प्रति बहुत आकर्षित थे। उनकी भक्ति और प्रेम से प्रभावित होकर श्रीनाथजी ने ब्रज छोड़कर उदयपुर के पास नाथद्वारा में विराजमान होने का निर्णय लिया। नाथद्वारा अब उस स्थान के नाम से जाना जाता है जहाँ श्रीनाथजी अजब कुमारी की भक्ति और प्रेम की याद में विराजमान हैं।
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