भारत (Bharat Mysterious River) में उलटी बहने वाली नदी के क्या है राज? भारत में “उलटी बहने वाली नदी” का ज़िक्र अक्सर एक प्राकृतिक रहस्य या भौगोलिक विशेषता के रूप में किया जाता है। हालांकि नदियाँ आम तौर पर ढलान की दिशा में बहती हैं, लेकिन कुछ स्थानों पर ऐसे अपवाद मिलते हैं जहाँ नदी की धारा सामान्य नियमों के विरुद्ध प्रतीत होती है। आइए विस्तार से जानते हैं।
गंगा-यमुना की तरह नर्मदा और तापी भी श्रद्धा और स्नान का केंद्र है। मध्यप्रदेश और गुजरात के लोंगो के लिए यह जीवनदायिनी नदी है।
भारत की उलटी बहने वाली नदी: “नर्मदा नदी” और “ताप्ती नदी” Bharat Mysterious River
🔹 उलटी दिशा में बहना यानी पश्चिम की ओर बहना
भारत में ज्यादातर नदियाँ पूर्व की ओर बहती हैं (जैसे गंगा, ब्रह्मपुत्र, गोदावरी), लेकिन नर्मदा और ताप्ती नदियाँ पश्चिम की ओर बहती हैं — जिसे स्थानीय भाषा और जनमान्यता में “उलटी दिशा” कहा जाता है।
1. नर्मदा नदी – भारत की रहस्यमयी उलटी नदी Bharat Mysterious River
- उत्पत्ति: अमरकंटक, मध्य प्रदेश से (Vindhya पर्वतमाला से)
- मुहाना: अरब सागर
- विशेषता: पूर्व की बजाय पश्चिम की ओर बहती है, जो भारतीय भूगोल में एक अपवाद है।
- धार्मिक मान्यता: यह भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक मानी जाती है। इसके उलटी दिशा में बहने के पीछे अनेक पौराणिक कहानियाँ भी प्रचलित हैं।
🕉 पौराणिक मान्यता: कहा जाता है कि भगवान शिव के आँसुओं से यह नदी उत्पन्न हुई थी और इसकी धारा सभी पापों को उलटा बहा ले जाती है।
लोककथा: नर्मदा – भगवान शिव की आँखों से निकली Bharat Mysterious River
🕉 पौराणिक मान्यता:
एक बार भगवान शिव अत्यंत गहन तपस्या में लीन थे। उनके ध्यान से निकली पसीने की एक बूंद से एक कन्या उत्पन्न हुई, जिसका नाम पड़ा – नर्मदा।
नर्मदा देवी अत्यंत सुंदर थीं, तेजस्वी और शक्तिशाली। शिव ने उन्हें अपनी मानस पुत्री के रूप में स्वीकार किया।
🌄 कथा का मुख्य भाग:
जब नर्मदा पृथ्वी पर अवतरित हुईं, तो उन्हें पूर्व दिशा में बहना था (जहाँ अधिकतर नदियाँ जाती हैं)। लेकिन उन्होंने देखा कि उस दिशा में संसार में अहंकार, पाप और अधर्म बढ़ गया है।
नर्मदा ने सोचा कि यदि वह उस दिशा में बहेंगी तो उनका पवित्र जल अपवित्र हो जाएगा।
2. ताप्ती नदी – दूसरी उलटी बहने वाली नदी
- उत्पत्ति: सतपुड़ा पर्वत, मध्य प्रदेश
- मुहाना: अरब सागर
- खासियत: यह भी पश्चिम की ओर बहती है, जबकि सामान्यतः नदियाँ बंगाल की खाड़ी की ओर बहती हैं।
ताप्ती नदी (जिसे “तापी” भी कहा जाता है) के “उलटी दिशा” यानी पश्चिम की ओर बहने को लेकर एक बहुत ही रोचक लोककथा (लोकविश्वास) जुड़ी हुई है, जो भारत के मध्य और पश्चिमी क्षेत्रों में प्रचलित है। वैज्ञानिक कारणों से हटकर इस कथा में पौराणिक और सांस्कृतिक भावनाएं जुड़ी हैं।
ताप्ती नदी उलटी क्यों बहती है – लोककथा के अनुसार रहस्य Bharat Mysterious River
पौराणिक कथा: सूर्य की बेटी ताप्ती
एक प्रसिद्ध लोककथा के अनुसार:
🔅 ताप्ती देवी सूर्य देव की पुत्री थीं।
जब उन्होंने धरती पर अवतार लिया तो उन्हें पिता सूर्य के तेज और ताप के कारण अत्यधिक गर्मी सहनी पड़ी।
सूर्य ने तापी को पृथ्वी पर जलरूपी रूप में भेजा ताकि उनका ताप शांत हो सके और वे धरती को शीतलता प्रदान करें।🌞 सूर्य देव का तेज बहुत अधिक था।
तापी को डर था कि अगर वह पूर्व दिशा (जहाँ सूर्य उदय होते हैं) की ओर बहेगी, तो वह अपने पिता की ओर जाएगी और उनका तेज फिर से उन्हें जला सकता है।
इसलिए उन्होंने अपने पिता से दूर जाने के लिए उलटी दिशा (पश्चिम) की ओर बहने का निश्चय किया।
आस्था का केंद्र
नदी का नाम | दिशा | क्यों विशेष? |
---|---|---|
नर्मदा | पश्चिम | अधिकांश नदियों के विपरीत बहती है |
ताप्ती | पश्चिम | भारत की तीन प्रमुख पश्चिमवाहिनी नदियों में से एक |
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