Biography of Vallabhbhai Patel सरदार वल्लभभाई पटेल की जीवनी: भारत के लौहपुरुष जिन्होंने रियासतों को जोड़कर बनाया अखंड भारत
Biography of Vallabhbhai Patel भारत की आज़ादी के बाद 562 रियासतों को एक सूत्र में पिरोने वाले लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल — जानिए उनकी प्रेरणादायक जीवन कहानी, संघर्ष और योगदान। जानिए भारत के लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जीवनी — जन्म, शिक्षा, स्वतंत्रता संग्राम, और देश की एकता में उनके अमूल्य योगदान की कहानी।
सरदार वल्लभभाई पटेल की जीवनी: भारत के लौहपुरुष जिन्होंने रियासतों को जोड़कर बनाया अखंड भारत
Biography of Vallabhbhai Patel
भारत के इतिहास में अगर किसी नेता को “एकता का प्रतीक” कहा जाए तो वह हैं — सरदार वल्लभभाई पटेल। उन्हें भारत का लौहपुरुष (Iron Man of India) कहा जाता है क्योंकि उन्होंने आज़ादी के बाद देश की 562 रियासतों को एकजुट कर अखंड भारत का निर्माण किया। उनका जीवन संघर्ष, नेतृत्व और देशप्रेम का एक अद्भुत उदाहरण है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा Biography of Vallabhbhai Patel
सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को नडियाद (गुजरात) के एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता झवेरभाई पटेल खेती करते थे और माता लाडबाई धार्मिक स्वभाव की थीं। वह बचपन से ही मेहनती और दृढ़ निश्चयी थे। उन्होंने स्वाध्याय के माध्यम से कानून की पढ़ाई की और लंदन के मिडिल टेंपल इन से बार-एट-लॉ (Barrister) की डिग्री प्राप्त की।
वकालत से राजनीति तक का सफर
भारत लौटने के बाद पटेल ने अहमदाबाद में वकालत शुरू की और अपनी बुद्धिमत्ता से जल्दी ही प्रसिद्ध वकील बन गए। लेकिन 1915 में महात्मा गांधी से मुलाकात ने उनके जीवन की दिशा बदल दी। गांधीजी के सिद्धांतों से प्रेरित होकर उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने किसानों के अधिकारों के लिए खेड़ा सत्याग्रह (1918) और बारडोली सत्याग्रह (1928) का नेतृत्व किया। बारडोली आंदोलन की सफलता के बाद जनता ने उन्हें “सरदार” की उपाधि दी।
स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका
सरदार पटेल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से एक थे। उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन, असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन (1942) में भाग लिया। उनका प्रशासनिक अनुभव और संगठन क्षमता कांग्रेस को मजबूत बनाने में अहम रहा।
Biography of Vallabhbhai Patel
स्वतंत्र भारत के निर्माता
1947 में भारत को आज़ादी मिली, लेकिन देश एकजुट नहीं था। उस समय भारत में 562 रियासतें थीं — जिनमें से कई स्वतंत्र रहना चाहती थीं। गृह मंत्री बनने के बाद पटेल ने अपनी राजनीतिक कुशलता, दृढ़ इच्छाशक्ति और रणनीति से सभी रियासतों को भारत में विलय कराया। हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर जैसी बड़ी रियासतों को शांतिपूर्वक भारत में सम्मिलित करना उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि रही। उनकी इस एकता नीति के कारण ही उन्हें “भारत का बिस्मार्क” और “आयरन मैन ऑफ इंडिया” कहा गया।
‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ – उनकी अमर स्मृति
Biography of Vallabhbhai Patel
सरदार पटेल के सम्मान में गुजरात के केवड़िया में 182 मीटर ऊँची ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ बनाई गई, जिसका उद्घाटन 31 अक्टूबर 2018 को हुआ। यह विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा है और उनकी राष्ट्रीय एकता की भावना का प्रतीक मानी जाती है।
मृत्यु और विरासत
सरदार वल्लभभाई पटेल का निधन 15 दिसंबर 1950 को मुंबई में हुआ। भारत सरकार ने उनके सम्मान में 1991 में मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया। उनका जीवन हमें सिखाता है कि सच्चा नेतृत्व केवल भाषणों से नहीं, बल्कि दृढ़ संकल्प और कर्मनिष्ठा से सिद्ध होता है।
सरदार वल्लभभाई पटेल न केवल स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि वे भारत की आत्मा थे जिन्होंने बिखरे हुए टुकड़ों को जोड़कर एक राष्ट्र का निर्माण किया। उनकी सोच आज भी प्रासंगिक है —
“भारत की एकता हमारी सबसे बड़ी ताकत है, और इसे कोई नहीं तोड़ सकता।”
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सरदार वल्लभभाई पटेल के परिवार (Family) की जानकारी संक्षेप में
सरदार वल्लभभाई पटेल का परिवार (In Short):
पूरा नाम: सरदार वल्लभभाई झवेरभाई पटेल
पिता का नाम: झवेरभाई पटेल (किसान और स्वतंत्रता प्रेमी)
माता का नाम: लाडबाई पटेल (धार्मिक और सरल स्वभाव की)
पत्नी का नाम: झवेरबा पटेल
उनका विवाह किशोरावस्था में ही झवेरबा से हुआ था।
1909 में झवेरबा का निधन हो गया, जिसके बाद पटेल ने जीवनभर दोबारा विवाह नहीं किया।
संतान:
पुत्र: डाह्याभाई पटेल
पुत्री: मणिबेन पटेल
पुत्र डाह्याभाई पटेल बाद में सांसद बने और सार्वजनिक जीवन में सक्रिय रहे।
पुत्री मणिबेन पटेल भी स्वतंत्रता संग्राम में शामिल रहीं और अपने पिता की विचारधारा पर चलीं।
सरदार पटेल का परिवार छोटा था लेकिन राष्ट्र के प्रति उनकी निष्ठा ही उनका सबसे बड़ा परिवार बन गई। उनकी संतानें भी सार्वजनिक सेवा और राष्ट्रनिर्माण में सक्रिय रहीं।