Chamoli News : चमोली में धौलीगंगा-क्या झील बन गई? अफवाहों के बीच प्रशासन अलर्ट, हकीकत क्या है?
Chamoli News : उत्तराखंड के चमोली जिले में धौलीगंगा नदी पर झील बनने की खबरों ने हड़कंप मचा दिया है। प्रशासन सतर्क है और विशेषज्ञों ने स्थिति की समीक्षा की है — जानिए पूरी बात, जोखिम और क्या कहना है वैज्ञानिकों का।
Chamoli News चमोली में नदी किनारे खिंची आपदा-रेडार
उत्तराखंड के चमोली जिले में हाल-ही में ऐसी खबरें प्रसारित हो रही हैं कि धौलीगंगा नदी या उसके ऊपर के इलाके में झील बन रही है, जिससे downstream क्षेत्रों में संभावित खतरे की चेतावनी दी जा रही है। यह मामला महत्त्व का इसलिए है क्योंकि यह भू-हिमालयी क्षेत्र है, जहाँ पहाड़ी भूगोल व ग्लेशियल गतिविधियों के कारण आपदा-संभावना अधिक मानी जाती है।
Chamoli News घटना क्या है?
हालांकि ज़्यादातर रिपोर्टें सीधे धौलीगंगा पर नहीं, बल्कि उसके मुख्य सहायक नदियों या उपनदियों में बने झीलों से जुड़ी हैं — उदाहरण के लिए, ऋषिगंगा नदी में भाग-द्रव प्रतिषेध (damming) के कारण झील बनने की सूचना मिली थी।
विशेषज्ञों के अनुसार, भारी भूखण्ड गिरने, ग्लेशियर टूटने या बर्फ-पानी के अचानक बहाव से नदियों में अवरोध उत्पन्न हो सकते हैं, जिससे अस्थायी झील बन जाती है।
प्रशासन क्या कह रहा है?
चमोली प्रशासन और राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने निगरानी बढ़ा दी है। स्थानीय स्रोतों के अनुसार, झील बन रही होने की संभावना पर वैज्ञानिकों-इंजीनियरों की टीम रवाना की गयी है। उदाहरणस्वरूप, ये कहा गया है कि वाडिया इंस्टिट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (WIHG) ने इस तरह की झीलों के जोखिम का आकलन किया है। प्रशासन ने जनता से अपील की है कि नदी किनारे नजदीक न जाएँ और चेतावनी सुनकर तत्काल सुरक्षित ऊँचाई पर चले जाएँ।

जोखिम क्या है?
Chamoli News अगर अस्थायी झील अचानक टूट जाए या उसका बाँध कमजोरी के कारण फट जाए — जिसे ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) कहा जाता है — तो यह निम्नलिखित खतरों को जन्म दे सकती है:
- अचानक बड़े स्तर पर पानी का बहाव → downstream गांवों, बस्तियों में बाढ़ का खतरा
- जलाशय टूटने से मलबा व बर्फ-पत्थर नीचे उतर सकते हैं → संरचनाओं व मानव जीवन को जोखिम
- हिल स्लोप अस्थिर हो सकते हैं, जिससे बाद में भूस्खलन-भूस्खरिते आदि बढ़ सकते हैं
वास्तव में, अभी तक धौलीगंगा में पूर्ण-स्वरूप झील बनने की पुष्टि नहीं हुई है, पर उप-नदियों व ग्लेशियर रूटेड हिस्सों में ऐसे झीलों की रिपोर्ट मिल रही हैं। उदाहरण के लिए, ऋषिगंगा में 350-मीटर लंबी व 60-मीटर ऊँची झील मिलने की सूचना थी।
विज्ञानियों का कहना है कि “भीबड्ढा झील” या अस्थायी बाँध तब बनता है जब मलबा, बर्फ-पानी या भू-गिरावट नदी का मार्ग अवरुद्ध करती है।
Chamoli News संबंधित पृष्ठभूमि झील की अफवाह या सच्चाई?
2021 के फरवरी में चमोली में एक बड़ी आपदा हुई थी, जहाँ ग्लेशियर टूटने, भू गिरावट व बर्फ-मिश्रित बहाव ने भारी तबाही मचाई थी। उस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया था कि इस क्षेत्र में “झील बनने → टूटने” चक्र गंभीर जोखिम उत्पन्न कर सकता है। इसलिए, वर्तमान में जो सूचना है, उसके प्रति प्रशासन-वैज्ञानिक सजग हैं।
वैज्ञानिक टीमें गहराई, पानी की मात्रा, बाँध की दीवार-तकनीक आदि का अध्ययन कर रही हैं। नियमित मॉनिटरिंग (सेटेलाइट इमेज, ड्रोन सर्वे) और चेतावनी-व्यवस्था (विजनर सिस्टम) स्थापित की जा रही है। स्थानीय लोगों को सुरक्षित स्थानों तक ले जाने, अलर्ट जारी करने की तैयारी चल रही है। नदी किनारे स्थायी-निवासियों व पर्यटकों को निर्देशित किया गया है कि वे स्थिति स्पष्ट होने तक सावधानी बरतें।
Kartik Ekadashi 600 वर्ष पुराना आंध्र-प्रदेश के काशीबुग्गा में स्थित वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर
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