China WTO अमेरिका का दबाव या चीन की रणनीति?
China WTO चीन का बड़ा ऐलान
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन ने आधिकारिक तौर पर WTO (विश्व व्यापार संगठन) में विकासशील देश का दर्जा छोड़ दिया है।
अब चीन WTO के समझौतों में विकासशील देशों को मिलने वाली विशेष सुविधाओं की मांग नहीं करेगा।

अमेरिका की जीत या चीन की रणनीति?
- अमेरिका लंबे समय से कह रहा था कि चीन अपनी “दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था” होते हुए भी विकासशील देशों का फायदा उठा रहा है।
- चीन का यह कदम अब अमेरिकी दबाव को झुकाव के रूप में भी देखा जा रहा है।
- हालांकि, चीन ने कहा कि वह अभी भी मध्यम आय वाला देश है और विकासशील दुनिया का हिस्सा है।
वैश्विक व्यापार पर असर
- WTO की महानिदेशक नगोजी ओकोंजो-इवेला ने इस कदम को “WTO सुधार के लिए बड़ी खबर” बताया।
- इसे संरक्षणवाद और ट्रेड वॉर के दौर में वैश्विक व्यापार प्रणाली को मजबूत करने वाला कदम माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री ली कियांग का ऐलान
UN महासभा में बोलते हुए ली कियांग ने कहा:
“चीन अब विशेष छूटों का दावा नहीं करेगा। लेकिन हम जिम्मेदार वैश्विक आर्थिक भूमिका निभाते रहेंगे।”
चीन की मौजूदा स्थिति
चीन कहता है कि उसकी प्रति व्यक्ति आय अभी भी विकसित देशों से कम है। बावजूद इसके, चीन आज दुनिया में बड़े पैमाने पर ऋण और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स (सड़क, रेलवे, बांध) का प्रमुख स्रोत है।
क्यों अहम है यह फैसला?
WTO सुधारों की दिशा में बड़ा कदम। वैश्विक व्यापार को संतुलन देने में मील का पत्थर। चीन की छवि अब और अधिक वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में मजबूत होगी।
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