Deoghar सितंबर की अनंत चतुर्दशी… देवघर के बाबा मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़
Deoghar अनंत चतुर्दशी के अवसर पर बाबा बैद्यनाथ धाम (देवघर) में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। सुबह से ही मंदिर प्रांगण में जलाभिषेक और पूजा-अर्चना करने के लिए दूर-दराज़ से आए भक्तों की लंबी कतारें देखने को मिलीं। सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई है और प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष इंतज़ाम किए हैं।
राज्यभर में पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा अनंत चतुर्दशी पर्व, बाबा बैद्यनाथ मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़। अनंत चतुर्दशी को लेकर राज्यभर में भक्तिमय माहौल बना हुआ है। देवघर स्थित बाबा वैद्यनाथ मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ा है।
Deoghar अनंत चतुर्दशी पर बाबा नगरी देवघर गुलजार है। सुबह से ही मंदिर प्रांगण में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगीं हैं। भक्तों ने बाबा वैद्यनाथ का जलाभिषेक किया, अनंत भगवान की कथा सुनी और अनंत धागा बांधा। मंदिर के पुरोहित श्रीनाथ महाराज ने बताया कि बाबा नगरी में चतुर्दशी मेले में लगातार श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। इस दिन बाबा वैद्यनाथ की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि देवघर स्थित बाबा मंदिर परिसर में अनंत कथा श्रवण करने से सौ गुना फल की प्राप्ति होती है।
भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है। देवघर समेत पूरे राज्य में श्रद्धालु अनुष्ठानों और पूजा-पाठ में शामिल हो रहे हैं।
Deoghar का बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर महत्व
देवघर का बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर (Baba Baidyanath Dham) न सिर्फ झारखंड बल्कि पूरे भारत का एक प्रमुख धार्मिक तीर्थ स्थल है। इसका महत्व ऐतिहासिक, धार्मिक और पौराणिक तीनों दृष्टियों से है।
धार्मिक महत्व
बाबा बैद्यनाथ धाम को बारह ज्योतिर्लिंगों में गिना जाता है। इसे ही चौरासी सिद्धपीठों और अठारह महाशक्ति पीठों में से भी एक माना जाता है। मान्यता है कि यहीं पर रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अपना सिर और हाथ अर्पित किए थे। शिवजी ने प्रसन्न होकर उसे ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित किया। यह मंदिर शिव–शक्ति के संगम का प्रतीक है। यहाँ माता पार्वती का भी मंदिर स्थित है।
पौराणिक कथा
कथा है कि लंका के राजा रावण ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी। उसने अपने सिर एक-एक करके काटकर अर्पित किए। जब वह दसवां सिर अर्पित करने वाला था, तो भगवान शिव प्रकट हुए और उसे वरदान दिया। शिव ने रावण को लिंग दिया और कहा कि इसे कहीं भी रख देगा तो वहीं स्थापित हो जाएगा। परंतु रास्ते में छल से यह लिंग देवघर में स्थापित हो गया और तभी से इसे बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग कहा जाता है।
आध्यात्मिक महत्व
मान्यता है कि यहाँ जलाभिषेक करने से सभी प्रकार के पाप और कष्ट दूर हो जाते हैं। सावन माह और महाशिवरात्रि पर यहाँ लाखों श्रद्धालु दर्शन और पूजा करने आते हैं। अनंत चतुर्दशी और श्रावणी मेला के दौरान बाबा नगरी का महत्व और भी बढ़ जाता है।