Devshayani Ekadashi (देवशयनी एकादशी 2025) : जानिए कब है देवशयनी एकादशी और इसका महत्व
देवशयनी एकादशी 2025 – जिसे हरिशयनी एकादशी, पद्मा एकादशी, या आषाढ़ शुक्ल एकादशी भी कहा जाता है। हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर व्रत रखने की परंपरा है। इस दिन सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु की विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है। सभी एकादशियों में आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे देवशयनी एकादशी कहा जाता है, विशेष महत्व रखती है।
Devshayani Ekadashi (देवशयनी एकादशी 2025) की तिथि:
तारीख: 8 जुलाई 2025 (मंगलवार)
पारण का समय: अगले दिन, 9 जुलाई को सुबह 05:35 से 08:15 के बीच
व्रत तिथि: आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी
नक्षत्र: विशाखा
योग: आयुष्मान
Devshayani Ekadashi (देवशयनी एकादशी) का महत्व:

देवशयनी एकादशी को भगवान विष्णु के शयनकाल की शुरुआत माना जाता है। इस दिन से वे चार महीने के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं जिसे चातुर्मास कहा जाता है।
इन 4 महीनों में विवाह, शुभ कार्य, गृह प्रवेश आदि वर्जित माने जाते हैं।
🛏️ शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु क्षीर सागर में शेषनाग की शैय्या पर चार महीने तक विश्राम करते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी (प्रबोधिनी एकादशी) को जागते हैं।
पौराणिक कथा (संक्षेप में):
राजा मान्धाता के समय भयंकर सूखा पड़ा। ऋषि अंगिरा ने उन्हें देवशयनी एकादशी का व्रत रखने की सलाह दी। राजा और प्रजा ने मिलकर व्रत किया और वर्षा हुई, जिससे धरती पर हरियाली और समृद्धि लौट आई।
व्रत विधि (Devshayani Ekadashi Vrat Vidhi):
- स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु की पीली पुष्प, तुलसी, धूप-दीप, पंचामृत से पूजा करें।
- विष्णु सहस्त्रनाम, भगवद्गीता, या विष्णु पुराण का पाठ करें।
- रात्रि जागरण करें व ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें।
- अगले दिन पारण समय में व्रत खोलें और दान-दक्षिणा दें।
- यदि उपवास संभव न हो, तो फलाहार करें।
क्या न करें चातुर्मास में (8 जुलाई से 6 नवंबर 2025 तक):
- विवाह व मांगलिक कार्य न करें
- पत्तेदार सब्जियाँ, मांसाहार, प्याज-लहसुन से बचें
- संयमित जीवन जीएँ और अधिक समय भक्ति में लगाएँ
देवशयनी एकादशी पर क्या मिलेगा फल?
- समस्त पापों का नाश
- वंशवृद्धि और सुख-शांति
- मोक्ष की प्राप्ति
- चातुर्मास में शुभ कार्यों से पुण्य लाभ कई गुना अधिक होता है
विशेष मंत्र:
“ॐ नमो नारायणाय”
या
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” — 108 बार जाप करें।
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