Dharmik : कुत्तों का स्नेह है राहु की शांति की कुंजी
ज्योतिष, धर्म और कर्म सिद्धांत तीनों को जोड़कर ग्रहों के प्रकोप और उनके शमन की व्याख्या करता है। इसे संक्षेप और स्पष्ट रूप में ऐसे समझ सकते हैं।
Dharmik राहु और कुत्ते का संबंध
राहु का प्रतिनिधि जीव कुत्ता माना गया है। इसीलिए कुत्तों को भोजन कराना राहु को प्रसन्न करता है और उन्हें कष्ट देना राहु की उग्रता बढ़ाता है।
Dharmik कर्म और ग्रहों का रिश्ता
शास्त्र कहते हैं – “कर्म प्रधान विश्व रचि राखा” → यानी हर कर्म का फल निश्चित है। ग्रहों का अशुभ प्रभाव कई बार पूर्व जन्म के कर्मों और वर्तमान कर्मों का परिणाम होता है। इसलिए ग्रहों के दोष न केवल यज्ञ, मंत्र, रत्न से, बल्कि जीवों की सेवा और सदाचार से भी कम किए जा सकते हैं।
“जब राहु वक्री होता है, तब कुत्तों से जुड़ता है कर्म का रहस्य।”
राहु वक्री होने और कुत्तों का गहरा संबंध ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है।
राहु और कुत्तों का संबंध
- राहु का वाहन
– पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राहु का वाहन कुत्ता माना जाता है।
– इस कारण कुत्ते राहु के प्रभाव को दर्शाते हैं। - उपायों में कुत्ते का महत्व
– राहु या केतु से जुड़े दोष (जैसे राहु महादशा, राहु वक्री, राहु काल में कष्ट) में ज्योतिषाचार्य अक्सर कुत्तों को भोजन कराने की सलाह देते हैं।
– खासकर काले कुत्ते को रोटी, दूध या तिल मिले आटे की गोलियाँ खिलाना शुभ माना जाता है। - आध्यात्मिक दृष्टि से
– कुत्तों को राहु का प्रतीक माना जाता है क्योंकि वे अदृश्य शक्तियों (जैसे किसी अदृश्य खतरे) को भाँप लेते हैं।
– राहु अदृश्य और मायावी ग्रह है, इसलिए कुत्तों का स्वभाव उससे जुड़ा हुआ है।
जब राहु वक्री होते हैं, तो उनके दोषों को कम करने और शुभ फल पाने के लिए कुत्तों को भोजन कराना, उनकी सेवा करना और उनसे दुर्व्यवहार न करना धार्मिक व ज्योतिषीय दृष्टि से लाभकारी माना गया है।
जीवों और परिजनों से ग्रह शांति

ग्रहों का सीधा संबंध हमारे नज़दीकी रिश्तों और व्यवहार से माना गया है:
- ☀️ सूर्य रुष्ट → पिता को प्रसन्न करें, सेवा करें
- 🌙 चंद्र रुष्ट → माता को प्रसन्न करें
- ♂️ मंगल रुष्ट → भाई-बहन का सम्मान करें
- ☿️ बुध रुष्ट → मामा/बंधुजनों को सम्मान दें
- ♃ गुरु रुष्ट → गुरुजनों, वृद्धों की सेवा करें
- ♀️ शुक्र रुष्ट → पत्नी या जीवनसाथी का मान-सम्मान करें
- ♄ शनि रुष्ट → सेवकों, गरीब और श्रमिकों की मदद करें
- ☊ राहु रुष्ट → कुत्तों की सेवा/भोजन कराएँ
- ☋ केतु रुष्ट → कुष्ठ रोगी, साधु-संतों की सेवा करें
“राहु की वक्री चाल, कुत्तों के साथ आपके कर्मों का हिसाब।”
केवल रत्न पहनने या यज्ञ कराने से ही ग्रह शांत नहीं होते। असली उपाय है – मानवता, जीवों की सेवा और परिवारजनों के प्रति कर्तव्य निभाना। जब हम जीवों और परिजनों के प्रति परोपकार व सम्मान का भाव रखते हैं, तो अशुभ ग्रह भी प्रसन्न होकर अपना दोष कम कर देते हैं।
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