Diwali 2025

Diwali 2025: कैसे शुरू हुई दिवाली मनाने की परंपरा? जानें त्रेतायुग और सतयुग से जुड़ी पौराणिक कथा

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Diwali 2025: कैसे शुरू हुई दिवाली मनाने की परंपरा? जानें त्रेतायुग और सतयुग से जुड़ी पौराणिक कथा

Diwali 2025 पर जानें दिवाली मनाने की पौराणिक परंपरा का इतिहास। त्रेतायुग और सतयुग से जुड़ी कथाओं के अनुसार यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत और समृद्धि का प्रतीक है।

Diwali 2025: दिवाली की शुरुआत और पौराणिक कथा

दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, केवल रोशनी का पर्व नहीं बल्कि धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्त्व वाला त्योहार है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, दिवाली मनाने की परंपरा सतयुग और त्रेतायुग से जुड़ी है। यह पर्व अच्छाई की विजय और अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक माना जाता है।

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Diwali 2025: त्रेतायुग और रामायण से जुड़ी कथा

त्रेतायुग में भगवान श्रीरामचंद्रजी का अयोध्या लौटना दिवाली पर्व की मुख्य कथा मानी जाती है।

  • कथा के अनुसार: भगवान राम ने 14 वर्षों का वनवास और रावण का वध कर अयोध्या लौटने के बाद पूरे नगर को दीपों से जगमगाया। अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में दीप जलाए और खुशी का उत्सव मनाया। यही घटना आज भी दिवाली पर दीपक जलाने और घरों को सजाने की परंपरा का मूल आधार है।

इस कथा में यह संदेश छिपा है कि अच्छाई हमेशा बुराई पर विजयी होती है

सतयुग और लक्ष्मी पूजा की परंपरा

सतयुग में दिवाली को धन, समृद्धि और सुख-शांति के लिए लक्ष्मी पूजन के रूप में मनाया जाता था।

  • मान्यता है कि महा लक्ष्मी इस दिन पृथ्वी पर वास करती हैं, इसलिए इस दिन घर में साफ-सफाई, दीपक और रंगोली के माध्यम से उनका स्वागत किया जाता है। व्यापारी वर्ग में इस दिन नए खाता-बही की शुरुआत (मुखलिखनी या दीपावली खाता) का भी प्रचलन है। लक्ष्मी पूजन से न केवल धन और वैभव की प्राप्ति होती है, बल्कि परिवार में सुख, सौहार्द और खुशहाली भी बनी रहती है।

दिवाली मनाने की परंपरा

आज की दिवाली केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक पर्व बन गई है।

  1. दीपक और लाइट सजाना: घरों को दीपकों, मोमबत्तियों और लाइटों से सजाना।
  2. रंगोली बनाना: मुख्य द्वार और पूजा स्थल पर रंगोली बनाना।
  3. लक्ष्मी-गणेश पूजन: आर्थिक समृद्धि और वैभव के लिए।
  4. मिठाइयां और गिफ्ट्स का आदान-प्रदान: परिवार और मित्रों के साथ खुशियाँ बांटना।
  5. पटाखे: परंपरा के अनुसार बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक।

इन परंपराओं से यह पर्व सामाजिक, पारिवारिक और आध्यात्मिक रूप से सभी के जीवन में खुशहाली लाता है।

दिवाली का आध्यात्मिक संदेश

  • अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक
  • जीवन में अच्छाई और सत्य की महत्ता
  • समृद्धि, सौहार्द और सुख-शांति का संदेश
  • आत्मा और मन की शुद्धि का अवसर

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