Diwali 2025: शुभ मुहूर्त, इतिहास और त्योहार की खूबसूरत कहानी
Diwali 2025 के लिए प्रमुख शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, दिनांक और त्योहार की दिलछूने वाली कहानी — जानिए कैसे मनाएँ दीपावली इस बार विशेष अंदाज में।
शुभ दीपावली!
दिवाली — प्रकाश का त्योहार, अंधकार पर विजय का प्रतीक — हर साल हमारे जीवन में नई उम्मीदों की किरण लाता है। Diwali 2025 इस दृष्टि से विशेष है, क्योंकि इस वर्ष कार्तिक अमावस्या की तिथि और प्रदोष-निशीथ योग का संयोग 20 अक्टूबर की रात को बन रहा है। ज्योतिषाचार्यों की मान्यता है कि मां लक्ष्मी की पूजा और दीपदान इसी संयोग में करना सबसे अधिक फलदायी माना जाता है।
Diwali 2025 तिथियाँ और शुभ मुहूर्त
- अमावस्या तिथि: 20 अक्टूबर 2025 दोपहर 3:44 बजे से शुरू होकर 21 अक्टूबर शाम 5:54 बजे तक रहेगी।
- इस कारण, दीपावली 20 अक्टूबर की रात को मनाना श्रेष्ठ माना जा रहा है।
- लक्ष्मी पूजा मुहूर्त (अनुमान): शाम 7:23 बजे से 8:27 बजे तक।
- प्रदोषकाल का समय, अमावस्या तिथि में होने के कारण, पूजा के लिए विशेष वरदान माना जाता है।
- धनतेरस: 18 अक्टूबर को — इस दिन धन, सोना-चांदी, घरेलू सामान आदि खरीदने और पूजा करने का विशेष महत्त्व है।
त्योहार की शुरुआत
दीवाली का उत्सव धनतेरस से आरंभ होता है — इस दिन देवी लक्ष्मी, भगवान कुबेर व धन्वंतरि की पूजा होती है। उसके अगले दिन नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली) मनाई जाती है। अंत में मुख्य दिन — दीपावली — जब लोग अपने घरों को दीपों और रंगोली से सजाते हैं, मिठाइयाँ बाँटते हैं, पटाखे जलाते हैं और रात के समय मां लक्ष्मी का पूजन करते हैं।
ज्योतिषी चेतन पटेल द्वारा दिवाली 2025 के शुभ मुहूर्त (Diwali 2025 Shubh Muhurat Chart)
पर्व / त्यौहार | तिथि (2025) | दिन | पूजन / महत्व | शुभ मुहूर्त (समय) |
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धनतेरस | 18 अक्टूबर | शनिवार | लक्ष्मी पूजा, कुबेर पूजा, धन्वंतरि पूजा | सुबह 8:05 – 9:32 (शुभ) शाम 6:10 – 7:44 (लाभ) रात 9:17 – 10:51 (शुभ) रात 10:51 – 12:25 (अमृत) |
काली चौदस (नरक चतुर्दशी) | 19 अक्टूबर | रविवार | हनुमान पूजा, काली पूजा, अन्य देवताओं की पूजा | सुबह 8:05 – 12:34 (चल, लाभ, अमृत) शाम 6:09 – 10:51 (शुभ, अमृत, चल) |
दीवाली (लक्ष्मी पूजा) | 20 अक्टूबर | सोमवार | सरस्वती पूजा, लक्ष्मी पूजा, चोपड़ा पूजन | सुबह 9:32 – 10:58 (शुभ) शाम 4:42 – 7:43 (अमृत, चल) रात 10:50 – 12:24 (लाभ) |
गोवर्धन पूजा (नया वर्ष / बेस्टु वर्ष) | 22 अक्टूबर | बुधवार | गोवर्धन पूजा, पहली खोलवाण का मुहूर्त | सुबह 6:41 – 8:06 (लाभ) सुबह 10:58 – 12:24 (शुभ) |
भाई दूज | 23 अक्टूबर | गुरुवार | भाई-बहन का प्रेम पर्व | — |
लाभ पांचम | 26 अक्टूबर | रविवार | व्यापार आरंभ व शुभ कार्य का दिन | सुबह 8:08 – 12:25 (चल, लाभ, अमृत) |
पूजा विधि और रस्में
रात्रि में पूजा स्थान को स्वच्छ कर लें, लाल या पीला वस्त्र बिछाएँ, गणेश-लक्ष्मी मूर्ति स्थापित करें। हल्दी, कुमकुम, चावल, फूल, नैवेद्य आदि चढ़ाएँ। दीप जलाएँ और आरती करें। पूजन के बाद प्रसाद वितरित करें।
इस दिन स्थिर लग्न (जैसे वृषभ, सिंह, कुंभ आदि) में पूजा करने का विधान है। खासकर उस समय जब अमावस्या + प्रदोष योग हो — यही वो समय है जब शुभ फल प्राप्ति होती है।
दिल को छू लेने वाला त्योहार
मेरा बचपन याद आता है — मैं और मेरी बहन रंगोली बनातीं, घर की जाली खिड़कियाँ खोलकर हवा आने देती थीं, माता हमारे लिए नए कपड़े लाती थीं। जैसे ही शाम होती, हम दीपक लेकर घर-आँगन में चलते और गिनती करते — “एक, दो, तीन …” — हर कोने में उजाला फैलता। उस उजाले में, माँ की मुस्कान और पिता की आँखों में संतुष्टि — यही सबसे प्यारा दृश्य था।
Diwali 2025 भी वैसा ही होगा — घर-घर दीपों की रौशनी, मिठाइयों की मिठास, रिश्तों की गर्माहट। इस बार, समय का संयोग हमें यही सिखाता है कि उजाले को फैलाएँ, अज्ञान को मिटाएँ, और ज्ञान व समृद्धि की ओर कदम बढ़ाएँ।
Diwali 2025 एक ऐसा अवसर है जब हम अंधकार से प्रकाश की ओर यात्रा करें। 20 अक्टूबर की रात को शुभ मुहूर्त में पूजा करें, दीप जलाएँ, नौ रूपी खुशियाँ बाँटें और इस वर्ष को रौशनी से भर दें।
शुभ दीपावली!
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