Earthquake: असम के उदलगुरी में 5.8 तीव्रता का भूकंप
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Earthquake: असम के उदलगुरी में 5.8 तीव्रता का भूकंप
Earthquake: पूर्वोत्तर में कांपी धरती, रिक्टर स्केल पर 5.8 रही तीव्रता, असम के उदलगुरी में था भूकंप का केंद्र पूर्वोत्तर के कई हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए गए।
रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.8 मापी गई है। असम सरकार के अधिकारियों ने इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि रविवार को देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र के कुछ हिस्सों में 5.8 तीव्रता का भूकंप आया। अधिकारियों ने बताया कि भूकंप रविवार शाम 4.41 बजे आया और इसका केंद्र उदलगुरी जिले में था। भूकंप की गहराई 5 किमी थी। भूकंप के कारण बंगाल से भूटान तक झटके महसूस किए गए। भूकंप के कारण लोग दहशत में आ गए और घरों से बाहर निकल आए। उन्होंने बताया कि किसी भी प्रकार के जान-माल के नुकसान की तत्काल कोई रिपोर्ट नहीं है।
“धरती फिर कांपी! भूकंप क्यों आता है और क्या होता है इसका असर? आइए जानते हैं।”
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Earthquake क्यों आता है भूकंप?
पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।
भूकंप… यानी धरती का अचानक हिलना। लेकिन क्या आपने सोचा है कि ऐसा होता क्यों है? दरअसल, पृथ्वी के भीतर सात बड़ी-बड़ी प्लेट्स होती हैं। ये प्लेट्स लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये आपस में ज्यादा टकराती हैं, उसे फॉल्ट लाइन कहा जाता है। जब ये प्लेट्स दबाव नहीं झेल पातीं तो टूट जाती हैं और उनके नीचे की ऊर्जा बाहर निकलने लगती है। यही ऊर्जा भूकंप का रूप ले लेती है।
अब बात करते हैं भूकंप के केंद्र और तीव्रता की। भूकंप का केंद्र वह जगह है जिसके ठीक नीचे प्लेट्स में हलचल होती है। यहीं से कंपन सबसे तेज़ निकलता है। जैसे-जैसे हम केंद्र से दूर जाते हैं, कंपन का असर कम होता जाता है।
Earthquake की तीव्रता को रिक्टर स्केल पर मापा जाता है।
1 से 2 की तीव्रता → केवल मशीन पकड़ सकती है।
3 से 4 → हल्का कंपन, खिड़कियां हिल सकती हैं।
5 से 6 → फर्नीचर हिल सकता है, ऊपरी मंज़िलें प्रभावित हो सकती हैं।
7 से 8 → इमारतें गिर सकती हैं, ज़मीन फट सकती है।
और अगर तीव्रता 9 या उससे ऊपर हो तो… तबाही का मंजर बन जाता है, यहाँ तक कि सुनामी का खतरा भी बढ़ जाता है।
यानी भूकंप एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन इसका असर कितना होगा, ये उसकी गहराई और तीव्रता पर निर्भर करता है।