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Fixed Pay है शोषण — विकास के नाम पर गुलामी नहीं चलेगी! सरकार युवाओं को नौकरी नहीं देती, पांच साल तक गुलामी थोपती है

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Fixed Pay है शोषण — विकास के नाम पर गुलामी नहीं चलेगी! सरकार युवाओं को नौकरी नहीं देती, पांच साल तक गुलामी थोपती है

Fixed Pay “सरकार युवाओं को नौकरी नहीं देती, बल्कि पांच वर्षों तक फिक्स वेतन नाम की गुलामी थोपती है। भाजपा मंत्रियों को करोड़ों का वेतन, लेकिन युवाओं को सिर्फ 10–12 हजार — यह न्याय नहीं, अपमान है।”

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विकास नहीं, गुलामी – युवाओं का दर्द

“फिक्स वेतन है शोषण — विकास के नाम पर गुलामी नहीं चलेगी!” — यह नारा आज हजारों युवाओं की आवाज़ बन गया है।
वह सरकार जो विकास के दावों के बीच युवाओं को रोजगार देने में विफल रही है, वही अब उन्हें पाँच वर्षों की फिक्स वेतन गुलामी थोप देना चाहती है। भाजपा के मंत्री करोड़ों रुपए का वेतन पाते हैं, लेकिन सरकार अपने युवा नागरिकों को सिर्फ 10–12 हज़ार रुपये मासिक देने को तैयार है। इस वेतन में जीवन नहीं चलता, महंगाई में इंसाफ नहीं मिलता — यह सिर्फ अपमान है!

भाजपा मंत्रियों का वेतन बनाम युवाओं की तंगी

जब भाजपा सरकार अपने मंत्रियों को लाखों — करोड़ों रूपये मासिक देती है, तब युवाओं को 10,000–12,000 रुपए में बँधने को कहना अत्यन्त अनैतिक है।
— मंत्री वाहन, आवास, भत्ता — सुविधाएँ पाते हैं।
— युवा घुटने टेककर उसी सरकार से गुहारते हैं कि कम-से-कम जीवनयापन कर सकें।

इस अंतर को देख कर देश का युवा वर्ग यह सवाल करता है: क्या मैं कुछ भी नहीं? क्या मेरी काम की कोई कीमत नहीं?

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“रोजगार नहीं, गुलामी” — पांच साल की कैद

सरकार का तर्क हो सकता है कि युवाओं को अनुभव चाहिए और यह फिक्स वेतन केवल शुरुआत है। लेकिन जब वह शुरुआत ही इतना असमान हो, तो वह अनुभव किस काम का?
सरकार कहती है — पाँच साल तक यह वेतन रहेगा, उसके बाद और अवसर खुलेंगे। लेकिन क्या युवा पाँच साल तक इस स्तर की अनुपूर्ति में जीवन गुजारने को तैयार हैं?
यह नहीं कि वे अभी अनुभवहीन हैं — वे मेहनती हैं, पढ़े-लिखे हैं, उत्साही हैं। उन्हें मौका चाहिए, उन्हें पूरी कमाई नहीं — लेकिन हर किसी को इतना तो मिलता ही है कि किराये, भोजन, परिवहन के खर्च पूरे हो सकें।

अपमान नहीं, सम्मान चाहिए

10–12 हजार में क्या सम्मान मिलता है?
— शहरों में किराया, बिजली, पानी, खाना — इन मूलभूत आवश्यकताओं की कीमत ही उससे कहीं अधिक है।
— जब सरकार कहे कि “यही मूल वेतन है”, तो यह युवा अपमान है।
— युवा मेहनत कर रहे हैं, देश के विकास में योगदान दे रहे हैं, लेकिन उन्हें यह बताना कि “तुम इतने ही क़ाबिल हो, आगे नहीं” — यह अस्वीकार्य है।

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Fixed Pay न्याय कहां है?

यह कहानी सिर्फ युवा-वर्ग की नहीं है — यह पूरे देश की कहानी है।
— यदि आप देश को विकसित बनाना चाहते हैं, तो सबसे पहले युवाओं को आर्थिक स्वतंत्रता दीजिए।
— शिक्षा, कौशल — सब दिया, लेकिन जब अवसर नहीं देंगे, तो यह विकास नहीं छलावा है।
— न्याय तभी है, जब मेहनत का फल बराबर मिले।

आगे का रास्ता

  1. मान्य न्यूनतम वेतन तय करना: सरकार को चाहिए कि युवा कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन तय हो — ऐसा जो जीवन यापन कर सके।
  2. रोजगार सृजन: नौकरियों का सृजन हो — केवल सरकारी दक्षिणा नहीं, निजी क्षेत्र को बढ़ावा हो।
  3. उत्थान, नहीं दासता: फिक्स वेतन प्रणाली को पुनर्विचार की जरूरत है — यह प्रारंभिक सहायता हो सकती है, लेकिन गुलामी नहीं।
  4. युवा आवाज़ बुलंद करें: सोशल मीडिया पर #फिक्सवेतन_शोषण, #युवा_अपमान, #न्याय_चाहिए जैसे हैशटैग से आवाज़ उठाएँ।

समापन विचार

Fixed Pay है शोषण — विकास के नाम पर गुलामी नहीं चलेगी!” यह सिर्फ एक नारा नहीं, यह युवा अधिकारों की आवाज़ है।
जब देश को विकास चाहिए, तो युवाओं को अवसर दीजिए — न कि गुलामी।
आज तक उन्होंने शिक्षा, प्रतिभा, जोश सब दिखाया है — अब समय है कि वे समान वेतन, समान अवसर, समान सम्मान पाएं।
10–12 हजार में जीवन नहीं कटेगा — यह अपमान है, यह अन्याय है — और यह तब तक खत्म नहीं होगा, जब तक युवा वर्ग अपनी आवाज़ न बुलंद कर दे।



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