Gauri Vrat 2025 कथा (गौरी व्रत) जानें महत्व, पूजा विधि और मुहूर्त | गौरी व्रत 2025 से जुड़ी कथा, तिथि, महत्व, पूजा विधि और नियमों की पूरी जानकारी नीचे दी गई है:
🪔 गौरी व्रत 2025: तिथि और समय
- प्रारंभ तिथि: 6 जुलाई 2025 (मंगलवार)
- समाप्ति तिथि: 10 जुलाई 2025 (शनिवार)
- व्रत की अवधि: 5 दिन (कुछ स्थानों पर 3 दिन भी रखा जाता है)
यह व्रत आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से लेकर पूर्णिमा तक (3 या 5 दिन तक) मनाया जाता है।
🌸 गौरी व्रत क्या है?
गौरी व्रत मुख्य रूप से गुजरात में कन्याओं द्वारा किया जाने वाला व्रत है। यह माता पार्वती (गौरी) को समर्पित होता है और इसे सौभाग्य, अच्छे जीवनसाथी और सुखी जीवन की कामना के साथ किया जाता है।
📜 गौरी व्रत की कथा (गौरी व्रत कथा / Gauri Vrat 2025 Story)
एक समय की बात है — माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया। उन्होंने कई वर्षों तक उपवास रखे, जंगलों में रहकर तपस्या की। उनकी श्रद्धा और समर्पण से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया।
गौरी व्रत की कथा इस तपस्या और दृढ़ संकल्प की याद दिलाती है। इसी कारण कन्याएँ यह व्रत रखती हैं ताकि उन्हें भी ऐसा आदर्श और गुणवान जीवनसाथी मिले जैसा माता पार्वती को भगवान शिव के रूप में मिला।
🪔 पूजा विधि (Gauri Vrat 2025 Puja Vidhi)
- प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें।
- घर के पूजा स्थान में मिट्टी से गौरी माता की मूर्ति बनाएं या चित्र स्थापित करें।
- मूर्ति को हल्दी, चंदन, अक्षत, फूल आदि से सजाएं।
- घी का दीपक जलाएं।
- व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
- गौरी माता का ध्यान करते हुए प्रार्थना करें:
“हे मां गौरी, जैसे आपने तप से शिवजी को पाया, वैसे ही मुझे भी शुभ जीवनसाथी दें और जीवन में सुख-सौभाग्य प्रदान करें।” - दिनभर उपवास रखें — कुछ कन्याएं फलाहार करती हैं, कुछ केवल जल ग्रहण करती हैं।
- अंतिम दिन उद्यापन किया जाता है — पूजा के बाद व्रत पूर्ण किया जाता है।
🍲 भोजन नियम Gauri Vrat 2025
- व्रत के दौरान सात्विक आहार लेना चाहिए।
- लहसुन-प्याज, मसालेदार, तला-भुना भोजन वर्जित होता है।
- कुछ कन्याएं व्रत के पांचों दिन अन्न नहीं खातीं, केवल फल या पानी लेती हैं।
🌟 गौरी व्रत का महत्व Gauri Vrat 2025
- अच्छे वर की प्राप्ति हेतु।
- विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
- सुखी दांपत्य जीवन के लिए।
- मानसिक और आत्मिक शुद्धता के लिए।
🙏 देवी पार्वती की गौरी व्रत

- यह व्रत विशेष रूप से गुजरात की अविवाहित कन्याओं द्वारा किया जाता है।
- इसे “मां गौरी व्रत”, “गौरी तृतीया व्रत” या “गौरी त्रिज” भी कहते हैं।
- वट सावित्री व्रत, तीज व्रत, और करवा चौथ जैसे अन्य व्रतों की तरह ही यह भी सौभाग्य प्राप्ति का पर्व है।
🌸 मां गौरी की होती है पूजा Gauri Vrat 2025
गौरी व्रत में विशेष रूप से मां गौरी की पूजा की जाती है। यह व्रत सौभाग्य, सुशीलता और सुखमय वैवाहिक जीवन की प्राप्ति के उद्देश्य से किया जाता है। मां गौरी, जिन्हें देवी पार्वती भी कहा जाता है, को स्त्रियों का आदर्श माना जाता है।
👰♀️ कन्याएं और सुहागिनें करती हैं व्रत
यह व्रत विशेष रूप से कन्याओं और विवाहित स्त्रियों (सुहागिनों) द्वारा किया जाता है। कन्याएं इसे योग्य और मनचाहा वर पाने के लिए करती हैं, वहीं सुहागिनें अपने वैवाहिक जीवन में सुख, प्रेम और स्थायित्व बनाए रखने की कामना से यह व्रत करती हैं।
🌍 मुख्य रूप से गुजरात में प्रचलित
गौरी व्रत का आयोजन विशेष रूप से गुजरात राज्य में बड़े श्रद्धा और भक्ति भाव से किया जाता है। वहां की संस्कृति में यह व्रत विवाह योग्य कन्याओं के जीवन का एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान माना जाता है।
📿 देवी पार्वती की तपस्या की कथा से जुड़ा Gauri Vrat 2025
गौरी व्रत की मान्यता देवी पार्वती की कथा से जुड़ी है। कहा जाता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप और उपवास किया था। उनकी इस दृढ़ संकल्प और भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया।
🪔 पूजा विधि में मिट्टी या धातु की मूर्ति का पूजन
व्रत के दौरान देवी गौरी की मिट्टी या धातु से बनी प्रतिमा की पूजा की जाती है। साथ ही भगवान शिव और भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है। पूजा में हल्दी, चावल, फूल, दीपक आदि से विधिवत पूजन किया जाता है।
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