Gujarat Farmers Maha Panchayat : “किसानों की आवाज़ : अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने गुजरात में किया महापंचायत का आयोजन”
Gujarat Farmers Maha Panchayat : गुजरात में किसानों-और पशुपालकों की समस्या को लेकर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल, गोपाल इटालिया तथा चैतर वसावा के साथ मिलकर आयोजित महापंचायत में भाजपा पर किसान-विरोधी रवैए का आरोप लगाया गया। जानिए पूरा मामला।
“आम आदमी पार्टी किसानों-पशुपालकों के हक की लड़ाई में”
गुजरात में किसानों और पशुपालकों की समस्या को लेकर बड़ी राजनीति छिड़ गई है। अरविंद केजरीवाल, जो दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री व आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक हैं, ने प्रदेश में किसानों-पशुपालकों के समर्थन में एक महापंचायत का आयोजन किया है। इसके साथ ही पार्टी के गुजरात संगठन के प्रमुख नेता गोपाल इटालिया व आदिवासी और किसान-नेता चैतर वसावा भी इस आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
किसानों की महापंचायत किसानों की लड़ाई में हमारा साथ है” – केजरीवाल
केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि गुजरात में भाजपा शासित सरकार ने किसान-पशुपालक समुदाय के साथ अन्याय किया है — बोनस नहीं दिया, लाठीचार्ज किया गया, मुकदमे लगाए गए। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक स्थानीय समस्या नहीं बल्कि पूरे व्यवस्था का दुष्चक्र है, जिसमें किसानों को उनका हक नहीं मिल रहा है।
मामले की शुरुआत इस तरह हुई कि गुजरात के कुछ जिलों में डेयरी कारोबार से जुड़े पशुपालक किसानों ने सरकार से बोनस व मुनाफा-हिस्सेदारी की मांग की थी। लेकिन उन्हें समय पर भुगतान नहीं हुआ। केजरीवाल ने कहा कि “पिछले वर्षों में 16-17 % बोनस मिल रहा था, इस साल अचानक 9.5 % घोषित हुआ और वह भी किसानों को नहीं मिला”।
जब किसानों ने आवाज़ उठाई, तो कहा जाता है कि वहां लाठीचार्ज व आंसू गैस का उपयोग किया गया, और एक पशुपालक की मृत्यु भी हो गई। केजरीवाल ने इस पर कहा कि “जब अपने ही खेतों में खून बह रहा है, फिर राजनीति का मतलब क्या रह गया?”
जब किसानों की आवाज़ दबाई जाए, तब उठती है महापंचायत
चैतर वसावा जिनका संबंध आदिवासी इलाके से है और जिन्होंने किसानों-पशुपालकों के संघर्ष को उठाया है, उनका दावा है कि उन्हें अन्याय के आरोपों में फँसाया गया ताकि उनका आंदोलन दबाया जा सके। वसावा का कहना है कि यह केवल उनके खिलाफ नहीं है — यह पूरे आदिवासी-किसान वर्ग के खिलाफ है।
“चैतर वसावा-गोपाल इटालिया के साथ किसानों के लिए मैदान में”
गुजरात के खेतों से उठ रहा है बदलाव का संदेश
गोपाल इटालिया और अन्य AAP नेताओं के साथ मिलकर, केजरीवाल ने महापंचायत के जरिये किसानों-पशुपालकों को यह संदेश दिया कि उनकी लड़ाई अकेली नहीं है। उन्होंने कहा कि “AAP किसान-पशुपालक-श्रमिकों की पार्टी है। जहां अन्य दल मुद्दों को भूल गये, हम उनके साथ खड़े हैं।”
इस आंदोलन का राजनीतिक आयाम भी है। गुजरात में लंबे समय से एक ही पार्टी शासन कर रही है, किसानों-पशुपालकों की उपेक्षा का आरोप लगता रहा है, और AAP इसे अवसर के रूप में देख रही है। एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि “अब राज परिवर्तन की लहर आएगी”।
महापंचायत का मकसद था किसानों की मांगों को आवाज़ देना — बोनस भुगतान की गारंटी, दूध–डेयरी पेमेंट में पारदर्शिता, आदिवासी किसानों के हक की रक्षा, और स्थानीय सहकारी समितियों में किसानों की भागीदारी सुनिश्चित करना। साथ ही उन्होंने सरकार से संवाद की माँग की ताकि बल प्रयोग से समस्या हल न हो।
इस पूरे मोर्चे पर तीन बातें स्पष्ट हैं:
- संकट की पहचान – किसानों-पशुपालकों को आर्थिक एवं सामाजिक रूप से उपेक्षित माना गया है।
- राजनीतिक प्लेटफॉर्म – AAP इसे सिर्फ विरोध प्रदर्शन नहीं बल्कि अगले चुनावों की रणनीति के रूप में देख रही है।
- संघर्ष की दिशा – मजबूती से खड़े होना, किसानों-पशुपालकों को संगठित करना, और संवादविहीन राजनीति के खिलाफ आवाज़ उठाना।
कहने को यह आंदोलन अभी शुरू है — लेकिन इसका प्रतिध्वनि गुजरात के ग्रामीण-आदिवासी इलाकों तक व्यापक दिख रहा है। यदि किसानों-पशुपालकों की मांगों को समय रहते नहीं पूरा किया गया, तो यह सिर्फ एक महापंचायत ही नहीं रहेगा, बल्कि आगामी सामाजिक-राजनीतिक परिवर्तन की एक शुरुआत बन सकता है।
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