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Honey Moon क्या मालदीव ख़त्म हो रहा है अगर जलमग्न हो गया तो हनीमून वालो का क्या होगा?

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Honey Moon क्या मालदीव ख़त्म हो रहा है अगर जलमग्न हो गया तो हनीमून वालो का क्या होगा?

Honey Moon मालदीव हनीमून मनाने वालों और गोताखोरी के शौकीन लोंगो के लिए सबसे फेवरिट स्पॉट है। यह जगह इतनी सुंदर है की आप कोई फोटोज, केलेन्डर या पोस्टकार्ड देख रहे हो। हिंद महासागर के इस द्वीपसमूह के तटों पर बढ़ते समुद्र की लहरें उठ रही हैं. जिससे इसके 1,200 प्रवाल द्वीपों के पूरी तरह से निगल जाने का खतरा है। केवल मालदीव ही नहीं बल्कि तुवालु, किरिबाती और मार्शल द्वीप जैसे छोटे द्वीपीय देशों के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है।

संकट क्यों बढ़ रहा है?

समुद्र का बढ़ता तापमान और ग्लेशियरों का पिघलना। तूफानों और ज्वार-भाटा की तीव्रता में वृद्धि। प्रवाल भित्तियों का नष्ट होना और तटों का खुलना। खारे पानी के घुसपैठ से पीने का पानी और खेती प्रभावित। पर्यटन (GDP का 28%) पर खतरा।

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Honey Moon सिर्फ मालदीव ही नहीं

तुवालु: 2050 तक रहने लायक नहीं रहेगा। किरिबाती: राष्ट्रपति ने पहले ही फिजी में ज़मीन खरीदीमार्शल द्वीप: जलवायु संकट + परमाणु परीक्षणों का असर।

क्या होगा लोगों का?

मालदीव के 5.4 लाख लोग शरणार्थी बन सकते हैं। भारत, श्रीलंका या ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में विस्थापन संभव। इससे भाषा, संस्कृति और परंपराएँ ख़त्म होने का खतरा। पर्यटन और नौकरियों का नाश।

कानूनी स्थिति क्या होगी?

लेकिन किसी देश का डूब जाना एक अभूतपूर्व मामला है। अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार राज्य होने के 4 मानदंड हैं:

  1. स्थायी जनसंख्या
  2. निश्चित क्षेत्र
  3. प्रभावी सरकार
  4. अंतरराष्ट्रीय संबंध

👉 अगर भूमि गायब हो गई तो ये मानदंड पूरे करना मुश्किल होगा।

मालदीव कैसे लड़ रहा है?

द्वीपों को ऊँचा करने के लिए रेत पंप करना। सी वॉल (समुद्री दीवारें) बनाना। तैरते शहरों का प्रयोग। हुलहुमाले: 2 मीटर ऊँचा मानव-निर्मित द्वीप। जलवायु-अनुकूल पर्यटन (जैसे सौर ऊर्जा रिसॉर्ट)। माले के पास मानव निर्मित द्वीप हुलहुमाले में एक लाख लोग रहते हैं और यह समुद्र तल से 2 मीटर ऊंचा है। राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू सौर ऊर्जा से चलने वाले रिसॉर्ट जैसे ‘जलवायु-अनुकूल’ पर्यटन को बढ़ावा दे रहे हैं। मालदीव की दुर्दशा अकेली नहीं है. यह मुंबई की झुग्गियों से लेकर मियामी के तटों तक, हर जगह मौजूद तटीय संकटों का एक पूर्वावलोकन है।

बड़े संदर्भ में

2100 तक दुनिया में 20 करोड़ लोग विस्थापित हो सकते हैं। भारत (तटीय लंबाई: 7,500 किमी) के सुंदरबन जैसे इलाकों में 4 करोड़ लोगों पर खतरा। यानी मालदीव का संकट दुनिया के तटीय शहरों के भविष्य की झलक है।



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