Jaipur Neerja Modi : नीरजा मोदी स्कूल में छात्रा की मौत से सनसनी, अभिभावक संघ का आरोप “टीचर की प्रताड़ना से अमायरा ने की आत्महत्या”
Jaipur Neerja Modi : जयपुर के नीरजा मोदी स्कूल में 9वीं कक्षा की छात्रा अमायरा की मौत ने सभी को झकझोर दिया है। परिवार और अभिभावक संघ का आरोप है कि टीचर की डांट और स्कूल प्रशासन की लापरवाही ने बच्ची को यह कदम उठाने पर मजबूर किया।
जयपुर, राजस्थान | राजधानी जयपुर के प्रतिष्ठित नीरजा मोदी स्कूल में उस समय हड़कंप मच गया जब 9वीं कक्षा की छात्रा अमायरा जैन की स्कूल बिल्डिंग से गिरने के बाद मौत हो गई। यह घटना शुक्रवार दोपहर की बताई जा रही है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है, वहीं छात्रा के परिजन और अभिभावक संघ ने स्कूल प्रशासन और एक टीचर पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
टीचर की डांट या सिस्टम की खामोशी? जयपुर की छात्रा अमायरा की मौत से उठे सवाल
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क्या है पूरा मामला
जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार को छात्रा स्कूल के अंदर क्लास के बीच में ही तीसरी मंजिल की तरफ गई थी। कुछ ही देर में वह वहां से नीचे गिर गई। स्टाफ ने तुरंत उसे नजदीकी अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने अमायरा को मृत घोषित कर दिया।
घटना के बाद स्कूल परिसर में अफरा-तफरी मच गई और परिजनों को सूचित किया गया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर साक्ष्य जुटाए और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है।
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“स्कूल प्रशासन मौन, अभिभावकों में आक्रोश — आखिर कौन है जिम्मेदार?”
अभिभावक संघ का आरोप
जयपुर पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अभिषेक जैन ने मीडिया से बात करते हुए कहा —
“अमायरा को स्कूल की एक टीचर मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रही थी। लगातार डांट और अपमान से बच्ची तनाव में थी। स्कूल प्रशासन को इसकी जानकारी देने के बावजूद कोई कदम नहीं उठाया गया।”
उन्होंने यह भी कहा कि यह सुसाइड नहीं बल्कि संस्थागत लापरवाही का परिणाम है। “अगर स्कूल में निगरानी और काउंसलिंग की व्यवस्था होती, तो आज एक मासूम की जान नहीं जाती।”
स्कूल प्रशासन का रुख
नीरजा मोदी स्कूल की ओर से अब तक कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया गया है। प्रशासनिक अधिकारी मीडिया के सवालों से बचते नज़र आए। बताया जा रहा है कि स्कूल ने आंतरिक जांच शुरू कर दी है, जबकि पुलिस ने CCTV फुटेज और टीचर्स के बयान दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
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पुलिस जांच में क्या सामने आया
जयपुर के डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (दक्षिण) ने बताया कि फिलहाल मामला संदिग्ध मौत के रूप में दर्ज किया गया है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और CCTV जांच के बाद ही स्पष्ट होगा कि यह दुर्घटना थी या आत्महत्या। पुलिस ने छात्रा की क्लास टीचर और कुछ सहपाठियों से पूछताछ की है।
सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर सवाल
इस घटना ने एक बार फिर स्कूलों में छात्रों की मानसिक स्थिति, प्रेशर और शिक्षक-व्यवहार पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि स्कूलों को काउंसलिंग सेल और स्टूडेंट सपोर्ट सिस्टम मजबूत करने की जरूरत है ताकि बच्चों को ऐसे हालात से बचाया जा सके।
“हम अपनी बेटी को पढ़ाने के लिए एक नामी स्कूल में भेजते थे, लेकिन वहीं से उसकी अर्थी निकली। स्कूल को जवाब देना होगा कि उस दिन क्लास में क्या हुआ था।”
नीरजा मोदी स्कूल हादसा केवल एक छात्रा की दुखद मौत नहीं, बल्कि शिक्षा संस्थानों में मौजूद मानसिक दबाव, संवाद की कमी और प्रशासनिक मौन का प्रतीक बन गया है। अब यह देखना होगा कि जांच में क्या सच सामने आता है — क्या यह वाकई आत्महत्या थी या स्कूल की लापरवाही ने ली एक मासूम की जान।