Jitiya Vrat Pooja 2025 : आस्था और त्याग का पर्व जीवित्पुत्रिका व्रत
जितिया व्रत 2025: तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा
Jitiya Vrat Pooja 2025 जितिया व्रत / जीवितपुत्रिका व्रत भारत और नेपाल के कई हिस्सों में मनाया जाता है। इसका मुख्य क्षेत्र है 👇
जहाँ-जहाँ मनाया जाता है
- बिहार – विशेष रूप से मिथिला और मगध क्षेत्र की महिलाएँ यह व्रत करती हैं।
- झारखंड – यहाँ के ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में इसका प्रचलन है।
- पूर्वी उत्तर प्रदेश – खासकर बनारस, गोरखपुर, आज़मगढ़ और आसपास के क्षेत्रों में।
- मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ – यहाँ भी कई जगह पर महिलाएँ यह व्रत करती हैं।
- नेपाल (तराई क्षेत्र) – नेपाल के तराई इलाके (जनकपुर, बिराटनगर, बिरगंज, लुंबिनी आदि) में यह व्रत बहुत लोकप्रिय है।
जितिया व्रत क्या है?
जितिया व्रत जिसे जीवितपुत्रिका व्रत भी कहा जाता है, माताएँ अपने संतान की लंबी आयु, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए रखती हैं। यह खासकर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में बेहद लोकप्रिय है। इस दिन माताएँ निर्जला उपवास रखकर अपने पुत्रों की मंगलकामना करती हैं।
जितिया व्रत 2025 तिथि
- तिथि: 14 सितंबर 2025, रविवार
- अष्टमी तिथि प्रारंभ: 14 सितंबर को सुबह 05:04 बजे
- अष्टमी तिथि समाप्त: 15 सितंबर की रात 03:06 बजे
इस बार जीवितपुत्रिका व्रत का संयोग सोमवार को पड़ रहा है, जो इसे और भी खास बना रहा है।
Jitiya Vrat Pooja 2025 जितिया पूजा 2025 मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:33 से 05:19 बजे तक
- प्रातः और सायं पूजा का समय: सुबह 04:56 से 06:05 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:52 से 12:41 बजे तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 02:20 से 03:09 बजे तक
- गोधूलि बेला: शाम 06:27 से 06:51 बजे तक
- सायं समय: शाम 06:27 से 07:37 बजे तक
- अमृत काल: रात 11:09 से 12:40 बजे तक (15 सितंबर)
- निषीथ मुहूर्त: रात 11:53 से 12:40 बजे तक (15 सितंबर)
- रवि योग: सुबह 06:05 से 08:41 बजे तक
जितिया व्रत पूजा विधि और नियम
- इस दिन माताओं को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और साफ कपड़े पहनने चाहिए।
- घर के मंदिर में धूप-दीप जलाकर आरती करें और प्रसाद अर्पित करें।
- व्रत के दिन माताएँ निर्जला उपवास करती हैं।
- इसके बाद चील (गरुड़) और सियार की प्रतिमाएं मिट्टी और गोबर से बनाएं।
- कुशा से बनाए गए जिमूतवाहन की प्रतिमा को धूप, दीप, चावल, फूल आदि अर्पित करें।
- फिर विधि-विधान से पूजा करें और जितिया व्रत की कथा सुनें।
- भगवान सूर्य, भगवान जीमूतवाहन और जीवितपुत्रिका माता की पूजा करें।
- संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करें।
- अगले दिन पारण काल में व्रत का समापन करें।
“संतान के स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना के साथ माताएं करती हैं जितिया व्रत“
Jitiya Vrat Pooja 2025 जितिया व्रत कथा
धार्मिक मान्यता के अनुसार, जीमूतवाहन नामक एक राजकुमार ने नागवंश के एक नाग की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उसकी सत्यनिष्ठा, बलिदान और धर्मनिष्ठा से प्रसन्न होकर देवताओं ने उसे अमरत्व प्रदान किया। तभी से इस व्रत को माताएँ अपने बच्चों की लंबी उम्र और रक्षा के लिए करती हैं।
Jitiya Vrat Pooja 2025 महत्व
यह व्रत मातृ-भक्ति और संतान-स्नेह का प्रतीक है। माना जाता है कि जितिया व्रत करने से संतान पर आने वाले संकट टल जाते हैं। माताओं की तपस्या और आस्था संतान के जीवन को सुरक्षित और मंगलमय बनाती है।
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