Kargil War 1999

कारगील युद्ध (Kargil War 1999) में भारत माँ का सच्चा सपूत इतिहास के पन्नों में 7 जुलाई 1999 #7जुलाई1999 #कारगिलयुद्ध #KargilVijayDiwas #कैप्टनविक्रमबत्रा #Shershaah

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कारगील युद्ध (Kargil War 1999) में भारत माँ का सच्चा सपूत इतिहास के पन्नों में 7 जुलाई 1999 । कारगिल युद्ध के दौरान विक्रम बत्रा आज ही के दिन साल 1999 में शहीद हो गए थे। आजकल के जेनजी को शायद ही इसके बारे में कुछ पता होगा।

Kargil War 1999 कारगिल का शेर: कैप्टन विक्रम बत्रा

ये दिल मांगे मोर!” – यही था उस योद्धा का नारा, जिसने हिम्मत, जुनून और देशभक्ति की परिभाषा को नया अर्थ दिया।

कैप्टन विक्रम बत्रा का संक्षिप्त परिचय:

  • जन्म: 9 सितंबर 1974
  • स्थान: पालमपुर, हिमाचल प्रदेश
  • पिता: जी.एल. बत्रा (गवर्नमेंट स्कूल प्रिंसिपल)
  • माता: कमलकांता बत्रा (शिक्षिका)
  • बचपन से ही उनमें राष्ट्रप्रेम, आत्मविश्वास और साहस कूट-कूट कर भरा था।
  • NCC में बेहतरीन प्रदर्शन और Army officer बनने का सपना लिए उन्होंने CDS परीक्षा दी और 1996 में भारतीय सेना में शामिल हुए।

Kargil War 1999 कारगिल में उनका अदम्य शौर्य:

  • प्वाइंट 5140 को फतेह करते समय उन्होंने दुश्मन के सामने डटकर मुकाबला किया और अपने साथी जवानों को हिम्मत दी।
  • ऑपरेशन विजय के तहत प्वाइंट 4875 (अब बत्रा टॉप) को मुक्त कराना उनका अंतिम अभियान था, जिसमें उन्होंने अपने साथी को बचाते हुए अपनी जान की आहुति दी।
Kargil War 1999
Kargil War 1999

उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया — यह भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान है।

आज का दिन क्यों महत्वपूर्ण है?

7 जुलाई 1999 कारगील युद्ध (Kargil War 1999) को कैप्टन विक्रम बत्रा ने अमर बलिदान देकर भारत को एक गौरवशाली विजय दिलाई।
उनकी वीरता आने वाली पीढ़ियों को देशसेवा, त्याग, और कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक बनकर प्रेरित करती रहेगी।

सैन्य जीवन और कारगिल युद्ध: Kargil War 1999

  • उन्हें 13 जम्मू-कश्मीर राइफल्स (13 JAK Rifles) में लेफ्टिनेंट के रूप में तैनात किया गया।
  • कारगिल युद्ध 1999 में उन्होंने कप्तान के पद पर रहते हुए दुश्मनों से लोहा लिया।

ऑपरेशन विजय – वीरता की मिसाल:

🏔️ Point 5140 की विजय:

  • दुश्मन की गोलियों के बीच बर्फीली पहाड़ियों पर चढ़ते हुए उन्होंने दुश्मनों के बंकर पर हमला किया।
  • “ये दिल मांगे मोर!” — उनकी जीत के बाद का नारा, जिसने उन्हें जवानों के बीच ‘शेरशाह’ बना दिया।

🏔️ Point 4875 – अंतिम अभियान:

  • इस अभियान में उन्होंने जान की परवाह किए बिना दुश्मन के गढ़ में घुसकर बंकर तबाह किए।
  • एक घायल सैनिक को बचाते हुए उन पर गोली चली और 7 जुलाई 1999 को वे शहीद हो गए।

सम्मान और विरासत: Kargil War 1999

  • उन्हें मरणोपरांत भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान – परमवीर चक्र प्रदान किया गया।
  • जिस पहाड़ी को उन्होंने जीतकर शहीदी पाई, वह आज “बत्रा टॉप” कहलाती है।

लोकप्रियता और प्रेरणा:

  • उनकी कहानी पर आधारित फिल्म “Shershaah” (2021) ने लाखों दिलों को छुआ।
  • कैप्टन बत्रा आज भी भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा हैं – कि राष्ट्र से बड़ा कोई धर्म नहीं।


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