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Krishna Janmanstmi “भादो वाली जन्माष्टमी और स्मार्त बनाम वैष्णव जन्माष्टमी का अंतर”

Krishna Janmanstmi

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Krishna Janmanstmi “भादो वाली जन्माष्टमी और स्मार्त बनाम वैष्णव जन्माष्टमी का अंतर”

Krishna Janmanstmi साल में कई बार आती है, लेकिन भाद्रपद (भादो) मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी ही मुख्य और सबसे खास मानी जाती है। आइए इसके पीछे का कारण विस्तार से जानते हैं —

जन्माष्टमी के कई रूप

वेद-पुराणों और पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि हर महीने कृष्ण पक्ष में आती है। कई वैष्णव और भक्त इस तिथि को भगवान कृष्ण का स्मरण करते हुए उपवास भी रखते हैं। लेकिन इनमें से केवल भादो मास की कृष्ण अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि यही वह तिथि है जब द्वापर युग में भगवान कृष्ण का अवतार हुआ था।

भगवान कृष्ण का वास्तविक जन्मकाल

पौराणिक मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने द्वापर युग में, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, बुधवार मध्यरात्रि को मथुरा में जन्म लिया था। यह संयोग (तिथि + नक्षत्र + वार + समय) साल में केवल एक बार आता है, और यह भादो मास में ही संभव होता है।

Krishna Janmanstmi

ज्योतिषीय महत्व

Krishna Janmanstmi भादो मास में सूर्य सिंह राशि में और चंद्रमा वृषभ राशि (रोहिणी नक्षत्र) में होते हैं। यह ग्रह स्थिति अत्यंत शुभ और दुर्लभ मानी जाती है, जो भगवान के अवतार की दिव्य ऊर्जा का प्रतीक है। धार्मिक कारण: अन्य महीनों की अष्टमी पर व्रत रखना स्मरण और भक्ति के लिए है, जबकि भादो वाली जन्माष्टमी पर व्रत रखना अवतार दिवस की पूजा है। इस दिन पूजा, उपवास, रात्रि जागरण, झूलन उत्सव और बाल गोपाल के जन्म का महाआरती होती है। सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व: भादो वाली जन्माष्टमी पर देशभर में मंदिरों, घरों और समुदायों में भव्य आयोजन होते हैं — जैसे माखन-चोरी लीला, झांकियां, दही-हांडी, रास-लीला और नंदोत्सव। यह त्योहार केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है।

Krishna Janmanstmi भादो वाली जन्माष्टमी, स्मार्त जन्माष्टमी और वैष्णव जन्माष्टमी का अंतर अक्सर लोगों को उलझा देता है।

भादो वाली जन्माष्टमी क्या है?

यह भाद्रपद मास (भादो) के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि होती है। इसी दिन द्वापर युग में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। चंद्रमा वृषभ राशि के रोहिणी नक्षत्र में होता है, और जन्म का समय मध्यरात्रि माना जाता है। यही तिथि पूरे भारत में मुख्य श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाई जाती है।

Krishna Janmanstmi जन्माष्टमी साल में दो तरीकों से क्यों मनाई जाती है?

Krishna Janmanstmi यह अंतर पंचांग की गणना और तिथि-नक्षत्र की प्राथमिकता से आता है।

अंतर को उदाहरण से समझें

मान लीजिए —

तब:

Krishna Janmanstmi यह अंतर क्यों मायने रखता है?

भादो वाली जन्माष्टमी ही वास्तविक जन्मतिथि है, जिस दिन भगवान कृष्ण का अवतार हुआ। स्मार्त जन्माष्टमी → तिथि के हिसाब से, आम भक्तों के लिए। वैष्णव जन्माष्टमी → तिथि + रोहिणी नक्षत्र के संयोजन के हिसाब से, मुख्यतः वैष्णव परंपरा के अनुयायियों के लिए।

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