Legendary Actress

Legendary Actress 87 साल का जीवन, सिनेमा को समर्पित एक आत्मा श्रद्धांजलि संध्या शांताराम

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Legendary Actress 87 साल का जीवन, सिनेमा को समर्पित एक आत्मा श्रद्धांजलि संध्या शांताराम

Legendary Actress बॉलीवुड और मराठी सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री संध्या शांताराम का 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। उन्होंने शनिवार को अंतिम सांस ली, और मुंबई के शिवाजी पार्क स्थित वैकुंठ धाम में उनका अंतिम संस्कार किया गया। संध्या अपने शानदार अभिनय और नृत्य कौशल के लिए जानी जाती थीं।

अरे जा हट नटखट’, ‘झनक झनक पायल बाजे’, ‘दो आंखें बारह हाथ’, ‘नवरंग’ और ‘पिंजरा’ जैसी क्लासिक फिल्मों में उनके अभिनय को सिनेप्रेमी आज भी याद करते हैं। वी. शांताराम के निर्देशन में बनी इन फिल्मों ने उन्हें हिंदी और मराठी सिनेमा की अमर अदाकाराओं में शामिल कर दिया।

संध्या, प्रसिद्ध फिल्मकार वी. शांताराम की तीसरी पत्नी थीं। दोनों की पहली मुलाकात फिल्म अमर भूपाली (1951) के दौरान हुई थी, जब शांताराम नई प्रतिभाओं की तलाश में थे। उनकी मधुर आवाज़ और सहज अभिनय से प्रभावित होकर शांताराम ने उन्हें फिल्म में मौका दिया, और वहीं से उनकी फिल्मी यात्रा की शुरुआत हुई।

“अरे जा हट नटखट’ से दिलों में बसने वाली संध्या शांताराम अब यादों में रहेंगी”

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एक मधुर आवाज़ वाली साधारण लड़की से लेकर भारतीय सिनेमा की क्लासिकल क्वीन बनने तक का सफर

महाराष्ट्र सरकार के आईटी और सांस्कृतिक मामलों के मंत्री आशीष शेलार ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा —

“फिल्म ‘पिंजरा’ की प्रसिद्ध अभिनेत्री संध्या शांताराम के निधन की खबर अत्यंत दुखद है। उन्होंने मराठी और हिंदी सिनेमा में अपने अद्भुत अभिनय और नृत्य से अमिट छाप छोड़ी है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।”

संध्या शांताराम भले ही ज्यादा फिल्मों में नजर न आईं हों, लेकिन अपने अभिनय, नृत्य और सौम्य व्यक्तित्व से उन्होंने भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक अमर स्थान बना लिया है।

संध्या शांताराम का अभिनेत्री बनने का सफर बिल्कुल फिल्मी था — बिना किसी फिल्मी पृष्ठभूमि के, संयोग से उन्होंने इंडस्ट्री में कदम रखा और फिर अपने अभिनय और नृत्य से इतिहास बना दिया।
आइए जानते हैं उनका पूरा सफर

संध्या शांताराम कैसे बनीं एक्ट्रेस

असली नाम था विजया देशमुख। वे महाराष्ट्र के एक साधारण परिवार से थीं। उनकी आवाज़ बहुत मधुर थी और उन्हें गायन में खास रुचि थी। साल 1951 में मशहूर फिल्मकार वी. शांताराम अपनी फिल्म “अमर भूपाली” के लिए नई प्रतिभाओं की तलाश कर रहे थे। उसी दौरान उनकी मुलाकात विजया (बाद में संध्या) से हुई। शांताराम उनकी आवाज़ और नैसर्गिक अभिनय से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने विजया को फिल्म में एक गायिका के किरदार में कास्ट किया और यहीं से उनका नाम “संध्या” रखा गया — यही नाम बाद में उनकी पहचान बन गया।

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पहली फिल्म और पहचान

“अमर भूपाली” में उनके अभिनय को खूब सराहा गया। इसके बाद वे शांताराम की फिल्मों की मुख्य नायिका बन गईं। फिल्में जैसे – “झनक झनक पायल बाजे”, “दो आंखें बारह हाथ”, “नवरंग”, और “पिंजरा” ने उन्हें क्लासिकल डांसर-अभिनेत्री के रूप में अमर कर दिया। खासकर “अरे जा हट नटखट” गीत में उनका नृत्य आज भी भारतीय सिनेमा के आइकॉनिक परफॉर्मेंसेज़ में गिना जाता है।

अभिनय से नृत्य तक – संध्या की पहचान

संध्या ने फिल्मों में भरतनाट्यम और कथक जैसे शास्त्रीय नृत्यों को लोकप्रिय बनाया। उनके भावों की अभिव्यक्ति और स्क्रीन प्रेज़ेंस ने उन्हें 50s-60s के दशक की सबसे गरिमामयी अभिनेत्रियों में शामिल किया।

निजी जीवन

वी. शांताराम ने अपनी दूसरी पत्नी जयश्री से अलग होने के बाद संध्या से विवाह किया। दोनों ने साथ में कई यादगार फिल्में बनाईं, जिनमें कला, संगीत और नृत्य का अनोखा संगम देखने को मिला।



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