Lord Jagannath Murti Mystery

Lord Jagannath Murti Mystery : भगवान जगन्नाथ, बलभद्र (बलराम) और देवी सुभद्रा की मूर्तियों में हाथ-पैर क्यों नहीं होते और आँखें इतनी बड़ी क्यूँ होती है? #LordJagannathMurtiMystery #LordVishnu #LordBalram #DeviShubhadra #Oddisaa #Rathyatra #GodBigeyes

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Lord Jagannath Murti Mystery : भगवान जगन्नाथ, जिन्हें भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण का अवतार माना जाता है, उनकी मूर्ति को जब पहली बार कोई देखता है तो वह आश्चर्यचकित रह जाता है। उनकी बड़ी-बड़ी गोल आँखें, जिनमें पलकें तक नहीं हैं, और एक ऐसा शरीर जिसमें हाथ-पैर नहीं दिखाई देते, यह कोई साधारण मूर्ति नहीं है। इसका उत्तर धार्मिक, पौराणिक और ऐतिहासिक तीनों दृष्टिकोण से बेहद रोचक और गहराई से जुड़ा हुआ है।

Lord Jagannath Murti Mystery
Lord Jagannath Murti Mystery

Lord Jagannath Murti Mystery जगन्नाथ जी की मूर्तियों में हाथ-पैर क्यों नहीं होते?

1. अधूरी मूर्तियाँ – एक पौराणिक कथा (विष्णु के ‘दारू विग्रह’ रूप की मान्यता)

🔹 कथा:

  • मान्यता है कि एक बार राजा इंद्रद्युम्न ने स्वप्न में भगवान विष्णु से दर्शन की इच्छा की।
  • उन्हें स्वप्न में बताया गया कि समुद्र से बहकर आने वाली एक विशेष लकड़ी (दारू) से भगवान की मूर्ति बनवानी होगी।
  • विश्वकर्मा देवता, जो देवताओं के शिल्पकार हैं, मूर्ति बनाने को तैयार हुए, लेकिन शर्त रखी कि: “जब तक मैं कार्य समाप्त न करूं, कोई दरवाजा नहीं खोले।”
  • लेकिन कई दिनों तक जब भीतर से कोई आवाज नहीं आई, राजा ने बेचैनी में द्वार खोल दिया।
  • उस समय तक मूर्तियाँ अधूरी थीं — हाथ-पैर बने नहीं थे, और विश्वकर्मा अंतर्धान हो गए।

👉 इस प्रकार भगवान ने अधूरी मूर्तियों को ही स्वीकार कर लिया।
इन्हें ही आज पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर में पूजा जाता है, और माना जाता है कि ईश्वर अधूरे रूप में भी पूर्ण होते हैं।


2. भक्तिवाद का प्रतीक – शरीर नहीं, भाव महत्वपूर्ण

  • भगवान का यह रूप निराकार और सगुण के बीच का अद्भुत रूप है।
  • यहाँ भगवान का “मानव से परे” रूप दर्शाया गया है — शरीर भले अधूरा हो, लेकिन उनकी दिव्यता और शक्ति पूर्ण है।
  • भक्तों के लिए यह संदेश है कि ईश्वर रूप में नहीं, भाव में बसते हैं।

3. Lord Jagannath Murti Mystery अनूठी शिल्पशैली और सांस्कृतिक पहचान

  • जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा की मूर्तियाँ विशुद्ध ओड़िया कला (Odisha tribal art) पर आधारित हैं।
  • ये मूर्तियाँ काठ (लकड़ी) से बनी होती हैं, जो हर 12-19 वर्षों में नवकलेवर नामक अनुष्ठान के दौरान बदली जाती हैं।

🧭 प्रमुख प्रतीकात्मक अर्थ

स्वरूपप्रतीक
जगन्नाथभगवान विष्णु / श्रीकृष्ण का रूप
बलरामबलशक्ति, कृषि, भाई
सुभद्रायोगमाया, करुणा और शक्ति का स्वरूप
अधूरे अंगभक्तिभाव, अपूर्ण में पूर्ण का दर्शन

भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा की अधूरी मूर्तियाँ श्रद्धा, आस्था और भक्तिभाव का प्रतीक हैं।
ये दर्शाती हैं कि ईश्वर को शरीर या रूप से नहीं, भाव और प्रेम से जाना जाता है।
अधूरे अंग हमें यह भी सिखाते हैं कि ईश्वर का दर्शन केवल परिपूर्णता में नहीं, बल्कि अधूरेपन में भी संभव है।


Lord Jagannath Murti Mystery : भगवान जगन्नाथ जी की बड़ी गोल आंखें उनके स्वरूप की सबसे खास और रहस्यमयी विशेषता मानी जाती हैं। इन विशाल, गोल और बिना पलक की आंखों को लेकर श्रद्धालुओं के मन में कई भावनाएं और प्रश्न होते हैं—आखिर ये आंखें इतनी बड़ी क्यों हैं? चलिए जानते हैं इसके धार्मिक, पौराणिक और भावनात्मक रहस्य:

Lord Jagannath Murti Mystery
Lord Jagannath Murti Mystery

भगवान जगन्नाथ की बड़ी आँखों का रहस्य

🔹 1. हर क्षण भक्तों पर दृष्टि बनाए रखने का प्रतीक

  • भगवान जगन्नाथ की आंखों में पलकें नहीं होतीं और वे बहुत बड़ी होती हैं।
  • इसका अर्थ है कि भगवान हर समय अपने भक्तों को देखते रहते हैं, वे कभी पलकों की तरह आंखें नहीं झपकाते
  • यह दर्शाता है कि ईश्वर की दृष्टि कभी बंद नहीं होती, वह हर क्षण, हर जीव पर निगरानी और कृपा बनाए रखते हैं।

🔹 2. भक्तिवाद और प्रेम की नजर

  • श्री जगन्नाथ को सर्वव्यापक प्रेम और करुणा का सागर माना जाता है।
  • उनकी आंखें सभी को समान दृष्टि से देखने का संकेत हैं — बिना भेदभाव के।
  • यह सिखाता है कि भगवान की दृष्टि में धर्म, जाति, रंग, भाषा या लिंग का कोई भेद नहीं, वे सबको एक समान प्रेम से देखते हैं।

🔹 3. पौराणिक कथा से जुड़ा संकेत: Lord Jagannath Murti Mystery

  • एक मान्यता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के बाद द्वारका का परित्याग किया और वन में ब्रह्मलीन हुए, तब उनका शरीर जल में बह गया।
  • उनका धड़ बहकर पुरी के तट पर आया, जिसे “नीलमाधव” नाम से जाना गया।
  • इस रूप में आंखें और सिर का भाग अत्यधिक उभरा हुआ और दिव्य था, जो आज के जगन्नाथ स्वरूप का आधार बना।

🔹 4. अनंतता और चेतना का प्रतीक

  • भगवान की बड़ी आंखें यह दर्शाती हैं कि उनकी चेतना अनंत है।
  • वे केवल इस संसार में नहीं, बल्कि तीनों कालों—भूत, भविष्य और वर्तमान को एक साथ देखने में सक्षम हैं।

🔹 5. जनजातीय कला और लोक परंपरा का असर

  • जगन्नाथ जी की मूर्ति ओडिशा की प्राचीन आदिवासी (tribal) शिल्पशैली पर आधारित है।
  • जनजातीय मूर्तियों में आँखों को बड़ा और गोल बनाना एक सामान्य रिवाज है, जिससे मूर्ति में “प्राण प्रतिष्ठा” और अलौकिकता दिखती है।

🔸 नज़र डालिए — भगवान की बड़ी आँखों के प्रतीकात्मक अर्थ

अर्थविवरण
जाग्रत दृष्टिभगवान कभी नहीं सोते
सर्वज्ञतीनों लोकों और कालों को देख सकते हैं
करुणामयी दृष्टिहर भक्त पर कृपा बनी रहती है
अलौकिकतासामान्य मानव रूप से परे एक दिव्य प्रतीक

भगवान जगन्नाथ की बड़ी और गोल आंखें आस्था, सुरक्षा, करुणा और जागरूकता का प्रतीक हैं।
वे न केवल हमें देखते हैं, बल्कि हमारी हर पुकार, हर भाव और हर पीड़ा को महसूस करते हैं।
यह हमें याद दिलाता है कि ईश्वर की नज़र से कोई छिपा नहीं, और उनकी दृष्टि से ही हम सच्चा मार्गदर्शन पाते हैं।


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