Maharastra Thane

Maharastra Thane : महाराष्‍ट्र ठाणे के गुरु ओने पीरियड्स की जांच के लिए कपड़े उतरवाए बच्चियों के साथ शर्मनाक घटना #POCSO

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Maharastra Thane : महाराष्‍ट्र ठाणे के गुरु ओने पीरियड्स की जांच के लिए कपड़े उतरवाए बच्चियों के साथ शर्मनाक घटना। गुरु का स्थान हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है। वह हमें ज्ञान, मार्गदर्शन और प्रेरणा प्रदान करता है, और हमें जीवन की चुनौतियों का सामना करने में मदद करता है जब की आजकल के गुरु कपड़े भी उतरवा देते है

Maharastra Thane : घटित घटना वास्तव में बेहद चिंताजनक और अस्वीकृत है। महाराष्ट्र के ठाणे (शाहापुर) स्थित आर.एस. दमानी स्कूल में मंगलवार, 9 जुलाई 2025 को ऐसी घटना सामने आई जिसमें कक्षा 5 से 10 की लगभग 10 लड़कियों को उनके मासिक धर्म की जाँच के प्रयोजन से कपड़े उतारने के लिए कहा गया।

Maharastra Thane क्या हुआ?

  • स्कूल टोयलेट में खून के धब्बे मिलने के बाद, प्रिंसिपल ने लड़कियों को हॉल में बुलाकर वहाँ टाइल्स की तस्वीरें दिखाईं और पूछा कि किसे मासिक धर्म चल रहा है।
  • उन लड़कियों की उंगलियों के निशान ले लिए गए। जिनका जवाब “नहीं” था, उन्हें व्यक्तिगत रूप से चपरासी द्वारा कपड़े उतराकर जाँच करने भेजा गया।
  • एक बच्ची को सार्वजनिक रूप से अपमानित भी कराया गया क्योंकि उसने मासिक धर्म होने की बात छुपाई थी।
Maharastra Thane
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Maharastra Thane कानूनी कार्यवाही

  • प्रिंसिपल और एक महिला अटेंडेंट/चपरासी को बुधवार को गिरफ्तार किया गया ।
  • कुल आठ लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई, जिसमें प्रिंसिपल, चार शिक्षिकाएं, दो ट्रस्टियां और एक अटेंडेंट शामिल हैं ।
  • आरोप भारतीय दंड संहिता धारा 74, 76 और POCSO (Protection of Children from Sexual Offences) अधिनियम के तहत लगाए गए हैं।

Maharastra Thane सार्वजनिक प्रतिक्रिया

  • अभिभावकों ने स्कूल परिसर में जमकर विरोध प्रदर्शन किया; घटना के खुलासे ने स्थानीय और राज्य स्तरीय आक्रोश को जन्म दिया।
  • महाराष्ट्र विधानसभा में कांग्रेस विधायक नाना पटोले ने इस मसले को उठाया; मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
  • इंस्टीट्यूशनल लापरवाही और बच्चों की गरिमा का उल्लंघन—मानवाधिकार संगठन भी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं ।

यह क्यों बेहद गंभीर मामला है?

  • मासिक धर्म एक प्राकृतिक जैविक प्रक्रिया है, बायो-चेक ट्रिगर नहीं।
  • इस प्रक्रिया को लेकर ऐसी अनैतिक जांच नाबालिगों के मानसिक स्वास्थ्य और निजी गरिमा का उल्लंघन करती है।
  • बिना चिकित्सीय कारण, संवेदना और पारदर्शिता के यह कार्रवाई पूरी तरह अनुचित है।

आगे क्या होगा?

  • पुलिस फिलहाल जांच कर रही है और अदालत में आरोप तय होंगे।
  • दोषियों को IPC/POCSO के तहत सजा मिल सकती है, जिसमें जेल सहित भारी जुर्माना शामिल हो सकता है।
  • हालिया घटनाओं को देखते हुए, राज्य सरकार स्कूलों में स्ट्रिक्ट गाइडलाइंस और शिक्षकों के प्रशिक्षण की योजनाएं बना सकती है, खास तौर पर वजाइका शिक्षा पर (जैसे ‘विषाक्ता समितियाँ’, व्यावहारिक जागरूकता अभियान)।

यह घटना बच्चों की गरिमा और अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है। जिसने एक सामाजिक और कानूनी बवंडर पैदा कर दिया। राज्य सरकार, पुलिस, मानवाधिकार संगठनों और समाज को मिलकर ऐसे संस्थागत भेदभाव और अत्याचारों को रोके रखना होगा। दोषियों को जल्द से जल्द सख्त न्याय दिलाना महत्वपूर्ण है, ताकि आगे ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।

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