Morbi के हलवद में मोगल माता के नाम पर अंधविश्वास फैलाने वाले ‘भूवा’ का पर्दाफाश! विज्ञान जथा ने किया खुलासा
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Morbi के हलवद में मोगल माता के नाम पर अंधविश्वास फैलाने वाले ‘भूवा’ का पर्दाफाश! विज्ञान जथा ने किया खुलासा
मोरबी जिले के हलवद में मोगल माताजी के नाम पर चमत्कार दिखाने और अंधविश्वास फैलाने वाले भूवा का पर्दाफाश हुआ। शिकायत के बाद विज्ञान जथा की टीम मौके पर पहुँची और वैज्ञानिक तर्कों से पूरे मामले का सच सामने लाया।
Morbi गुजरात के मोरबी जिले के हलवद तालुका में अंधविश्वास की एक चौंकाने वाली घटना
गुजरात के मोरबी जिले के हलवद तालुका में अंधविश्वास की एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। यहां एक व्यक्ति खुद को “मोगल माताजी का दूत” और “देवी का अवतार” बताकर लोगों को भ्रमित कर रहा था। वह गाँव में चमत्कार दिखाने और भविष्यवाणी करने का दावा करता था। स्थानीय लोगों ने जब इस पर शक जताया तो पूरे मामले की शिकायत विज्ञान जथा(Science Awareness Team) को की गई।
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फरियाद के बाद विज्ञान जथा की टीम मौके पर पहुँची और लोगों के बीच वैज्ञानिक तरीके से सच्चाई उजागर की। टीम ने यह साबित किया कि भूवा जो “चमत्कार” दिखा रहा था, वह किसी दैवी शक्ति का परिणाम नहीं, बल्कि रासायनिक और भौतिक प्रयोगों का खेल था।
भूवा गाँव के मंदिर में रोज़ बैठता था और कहता था कि “मोगल माताजी मेरे शरीर में विराजमान हैं”। वह अपने अनुयायियों को यह दिखाता कि उसके हाथ से धुआँ या आग निकल रही है, या किसी व्यक्ति की बीमारी छूने मात्र से ठीक हो रही है। कुछ लोग उसकी बातों में फँसकर पैसे, गहने और चांदी का दान भी करने लगे थे।
विज्ञान जथा टीम ने मौके पर जाकर यह दिखाया कि जिस “धुएँ” को चमत्कार बताया जा रहा था, वह दरअसल धूप, कपूर और केमिकल के मिश्रण से बनाया गया था। “रक्त के आँसू” जैसी घटनाएं भी रंगीन द्रव (chemical dye) से तैयार की गई थीं।
टीम के एक सदस्य ने बताया —
“हमारा उद्देश्य किसी की आस्था को ठेस पहुँचाना नहीं, बल्कि यह समझाना है कि विज्ञान से परे कोई जादू नहीं होता। लोग अपनी श्रद्धा रखें, लेकिन अंधविश्वास से बचें।”
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Morbi मोगल माता के नाम पर अंधविश्वास
इस कार्रवाई के बाद पुलिस भी मौके पर पहुँची और भूवा के खिलाफ धोखाधड़ी, लोगों को गुमराह करने और अंधविश्वास फैलाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया।
गाँव के लोगों में भी अब जागरूकता फैल रही है। कई लोगों ने स्वीकार किया कि वे डर और अंधविश्वास में फँस गए थे, लेकिन अब उन्हें समझ आया कि श्रद्धा और अंधश्रद्धा में फर्क है।
स्थानीय शिक्षकों और युवाओं ने विज्ञान जथा के साथ मिलकर गाँव में जागरूकता अभियान शुरू करने की घोषणा की है, ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति इस तरह के छलावे का शिकार न बने।
एक बुजुर्ग ग्रामीण ने कहा —
“हमने सोचा था कि माता का चमत्कार है, लेकिन अब समझ में आया कि असली शक्ति हमारे ज्ञान और सोच में है।”
इस पूरे घटनाक्रम ने यह संदेश दिया है कि अंधविश्वास का अंत केवल विज्ञान और तर्क से ही संभव है। समाज में अंधश्रद्धा को मिटाने के लिए शिक्षा, जागरूकता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण बेहद जरूरी है। हलवद की यह घटना पूरे राज्य के लिए एक सीख है कि श्रद्धा जरूरी है, लेकिन अंधश्रद्धा नहीं।