Natural Diamonds vs Lab-Grown Diamonds

Natural Diamonds vs Lab-Grown Diamonds : दोनों ही आज के बाजार में महत्वपूर्ण बिक्री में है

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Natural Diamonds vs Lab-Grown Diamonds : दोनों ही आज के बाजार में महत्वपूर्ण बिक्री में है। दुनिया की प्रमुख हीरा ग्रेडिंग संस्था, जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ऑफ अमेरिका (GIA), ने हाल ही में घोषणा की है कि वह लैब में बने हीरों के लिए पारंपरिक 4C ग्रेडिंग प्रणाली (कट, कलर, क्लैरिटी, कैरेट) का उपयोग बंद कर देगी। इसके स्थान पर, GIA अब इन हीरों को ‘प्रीमियम’ या ‘स्टैंडर्ड’ जैसी सरल श्रेणियों में वर्गीकृत करेगा। यदि कोई हीरा इन श्रेणियों में फिट नहीं बैठता, तो उसे कोई ग्रेड नहीं दिया जाएगा।

यह परिवर्तन 2025 के अंत तक प्रभावी होगा और इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को हीरों की उत्पत्ति और गुणवत्ता के बारे में स्पष्ट जानकारी प्रदान करना है। इस बदलाव के पीछे GIA का मानना है कि लैब-निर्मित हीरों की गुणवत्ता और विशेषताएं प्राकृतिक हीरों से भिन्न होती हैं, और उन्हें पारंपरिक 4C प्रणाली से ग्रेड करना उपयुक्त नहीं है। इसलिए, GIA ने लैब-निर्मित हीरों के लिए एक नई ग्रेडिंग प्रणाली अपनाने का निर्णय लिया है।

यह निर्णय हीरा उद्योग में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन को दर्शाता है और उपभोक्ताओं को लैब-निर्मित हीरों के बारे में अधिक स्पष्ट और सटीक जानकारी प्रदान करने की दिशा में एक कदम है।

लैब में बने हीरे (Lab-Grown Diamonds) और कुदरती हीरे (Natural Diamonds) दोनों ही आज के आभूषण बाजार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। हालांकि, दोनों के बीच मूल्य, प्रतिष्ठा और उपभोक्ता धारणा में स्पष्ट अंतर है।

लैब में बने हीरों की बढ़ती लोकप्रियता

  • कीमत में गिरावट: लैब-ग्रो हीरों की कीमतों में पिछले कुछ वर्षों में भारी गिरावट आई है। 2020 से 2025 के बीच, इनकी कीमतों में लगभग 74% की कमी देखी गई है, जिससे ये कुदरती हीरों की तुलना में 80-90% तक सस्ते हो गए हैं
  • उपभोक्ता झुकाव: अमेरिका में 2024 में बेचे गए सगाई के अंगूठियों में से 52% में लैब-ग्रो हीरे थे, जो 2019 में मात्र 12% थे।
  • पर्यावरणीय और नैतिक पहलू: लैब-ग्रो हीरे पर्यावरण के लिए कम हानिकारक होते हैं और नैतिक दृष्टिकोण से भी बेहतर माने जाते हैं, क्योंकि इनके उत्पादन में खनन की आवश्यकता नहीं होती।

कुदरती हीरों की स्थिति

  • मूल्य में स्थिरता: कुदरती हीरों की कीमतों में भी गिरावट देखी गई है, लेकिन ये अभी भी लैब-ग्रो हीरों की तुलना में अधिक मूल्यवान हैं।
  • प्रतिष्ठा और सांस्कृतिक महत्व: कुदरती हीरे अपनी दुर्लभता और सांस्कृतिक महत्व के कारण अब भी उच्च प्रतिष्ठा रखते हैं। कई उपभोक्ता उन्हें पारंपरिक और मूल्यवान मानते हैं।
  • पुनर्विक्रय मूल्य: कुदरती हीरों का पुनर्विक्रय मूल्य लैब-ग्रो हीरों की तुलना में अधिक होता है, जिससे वे निवेश के दृष्टिकोण से भी बेहतर माने जाते हैं।

भविष्य की दिशा (Natural Diamonds vs Lab-Grown Diamonds)

लैब-ग्रो हीरों की बढ़ती लोकप्रियता के बावजूद, कुदरती हीरे अपनी प्रतिष्ठा और सांस्कृतिक महत्व के कारण बाजार में अपनी जगह बनाए रखेंगे। दोनों प्रकार के हीरे अलग-अलग उपभोक्ता वर्गों को आकर्षित करेंगे—लैब-ग्रो हीरे उन लोगों के लिए जो किफायती और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से बेहतर विकल्प चाहते हैं, जबकि कुदरती हीरे उन लोगों के लिए जो पारंपरिक और प्रतिष्ठित विकल्प की तलाश में हैं।

लैब-ग्रो हीरे अब केवल “कीमती पत्थर” नहीं रह गए हैं; वे एक मजबूत और स्वीकार्य विकल्प बन चुके हैं। हालांकि, कुदरती हीरों की प्रतिष्ठा और सांस्कृतिक महत्व उन्हें अब भी विशेष बनाते हैं। भविष्य में, दोनों प्रकार के हीरे अपने-अपने स्थान पर सह-अस्तित्व में रहेंगे, और उपभोक्ताओं के पास उनकी प्राथमिकताओं के अनुसार विकल्प होंगे।

पसंद आ रहे हैं लैब में बने हीरे (Natural Diamonds vs Lab-Grown Diamonds)

लैब में काम करने वाले टेकनिशियन हीरे के बीज को बिस्किट की तरह प्रोप्राइटरी चैंबर में रखते हैं. चैंबर में तापमान को 13 से 15 सौ डिग्री सेंटीग्रेड तक ले जाने पर मीथेन गैस के अणु टूट जाते हैं और उससे निकला कार्बन एक दूसरे से जुड़ने लगता है.

यह कार्बन चैंबर में रखे बीज के साथ जुड़ने लगता है और परत दर परत हीरा बनने लगता है. हीरे कार्बन से बने होते हैं, लेकिन उसके एटम एक टाइट क्रिस्टल स्ट्रक्चर में बंधे होते हैं. इसलिए यह धरती पर सबसे सख्त और सबसे ज्यादा संवाहक तत्व होता है.

ग्रीन लैब डायमंड्स के निदेशक स्मिथ पटेल का मानना ​​है कि इन कीमती पत्थरों को लैब में बनाना ही हीरा उद्योग का भविष्य है.

पटेल की टीम को एक हीरा बनाने में आठ सप्ताह से भी कम समय लगता है, और उनके बनाए हीरे और प्राकृतिक हीरे के बीच अंतर करना मुश्किल है. पटेल कहते हैं, “यह एक ही चीज है, (एक ही रसायन से बना है) और उसमें वही ऑप्टिकल गुण हैं.”

प्राकृतिक हीरों की मांग में हाल के वर्षों में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है, जिससे वैश्विक हीरा उद्योग पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है।

प्राकृतिक हीरों की मांग में गिरावट के प्रमुख कारण

1. लैब में बने हीरों की बढ़ती लोकप्रियता

लैब-निर्मित हीरों की गुणवत्ता में सुधार और उनकी कम कीमत के कारण उपभोक्ताओं का रुझान बढ़ा है। 2025 की शुरुआत तक, लैब-निर्मित हीरों की कीमतें 2020 की तुलना में लगभग 74% तक गिर चुकी हैं, जिससे वे प्राकृतिक हीरों की तुलना में अधिक सुलभ हो गए हैं।

2. वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता

महामारी के बाद की आर्थिक मंदी, उच्च मुद्रास्फीति और ब्याज दरों में वृद्धि ने उपभोक्ताओं की खर्च करने की क्षमता को प्रभावित किया है, जिससे विलासिता की वस्तुओं, जैसे हीरे, की मांग में कमी आई है।

3. पर्यावरणीय और नैतिक चिंताएं

उपभोक्ताओं में पर्यावरणीय और नैतिक मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ी है। हीरों के खनन से जुड़े पर्यावरणीय प्रभाव और श्रम शोषण की चिंताओं के कारण, उपभोक्ता लैब-निर्मित हीरों को प्राथमिकता दे रहे हैं।

4. चीन और अमेरिका में मांग में गिरावट

चीन और अमेरिका, जो हीरों के प्रमुख बाजार हैं, में मांग में गिरावट देखी गई है। विशेष रूप से चीन में, धीमी आर्थिक वृद्धि और उपभोक्ता विश्वास की कमी ने हीरे की बिक्री को प्रभावित किया है।

5. शादी और सगाई की दरों में कमी

महामारी के बाद, सगाई और शादी की दरों में गिरावट आई है, जिससे हीरे की मांग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। हालांकि, कुछ संकेत हैं कि यह प्रवृत्ति धीरे-धीरे पलट सकती है।

उद्योग पर प्रभाव

  • उत्पादन में कटौती: बोत्सवाना की डेब्सवाना डायमंड कंपनी ने 2024 में उत्पादन में 27% की कटौती की और 2025 में इसे और घटाकर 15 मिलियन कैरेट करने की योजना बनाई है।
  • बिक्री में गिरावट: 2024 में, डेब्सवाना की बिक्री में 46% की गिरावट आई, जिससे बोत्सवाना की अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
  • कीमतों में गिरावट: प्राकृतिक हीरों की कीमतें 2022 की तुलना में 2024 के अंत तक 34% तक गिर चुकी हैं।

भविष्य की संभावनाएं

हालांकि कुछ विशेषज्ञों को उम्मीद है कि 2025 में हीरे की कीमतें स्थिर हो सकती हैं, लेकिन अधिकांश विश्लेषकों का मानना है कि मांग में गिरावट और लैब-निर्मित हीरों की बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण प्राकृतिक हीरों की कीमतों में और गिरावट संभव है।

प्राकृतिक हीरों की मांग में गिरावट कई कारकों का परिणाम है, जिनमें लैब-निर्मित हीरों की बढ़ती लोकप्रियता, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, पर्यावरणीय और नैतिक चिंताएं, प्रमुख बाजारों में मांग में गिरावट और सामाजिक प्रवृत्तियों में बदलाव शामिल हैं। हीरा उद्योग को इन चुनौतियों का सामना करने के लिए नवाचार, विपणन रणनीतियों में बदलाव और उपभोक्ता प्राथमिकताओं के अनुरूप उत्पादों की पेशकश पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

Natural Diamonds vs Lab-Grown Diamonds तुलना तालिका

विशेषता🌍 प्राकृतिक हीरे (Natural Diamonds)🧪 लैब-निर्मित हीरे (Lab-Grown Diamonds)
उत्पत्तिपृथ्वी के गर्भ में लाखों वर्षों में बनते हैंप्रयोगशाला में कुछ हफ्तों में बनाए जाते हैं
बनावट100% कार्बन, प्राकृतिक रचनात्मक प्रक्रियाओं से100% कार्बन, कृत्रिम रूप से परंतु संरचनात्मक रूप से समान
पहचानदुर्लभ और अद्वितीयमशीनों से पहचाना जा सकता है, लेकिन आंखों से नहीं
कीमतमहंगे होते हैं (उत्पत्ति और दुर्लभता के कारण)40-70% सस्ते होते हैं
पर्यावरणीय प्रभावअधिक ऊर्जा और जल उपयोग, भूमि खनन से हानितुलनात्मक रूप से पर्यावरण के लिए कम हानिकारक
नैतिक पहलू“ब्लड डायमंड” विवाद जुड़े हो सकते हैंनैतिक रूप से स्वच्छ (कोई खनन नहीं)
ग्रेडिंग और प्रमाणनGIA, IGI आदि द्वारा 4C ग्रेडिंगGIA अब “Standard” या “Premium” टर्म उपयोग करेगा
दीर्घकालिक मूल्यमूल्य संरक्षण की संभावना अधिकपुनर्विक्रय मूल्य कम या नगण्य
चुम्बकीय / इलेक्ट्रॉनिक पहचानप्राकृतिक समस्थानिक तत्व रहते हैंकभी-कभी धातु कण या स्पेक्ट्रल सिग्नेचर से पहचाने जाते हैं
उपयोगितापरंपरागत रूप से जुड़ाव, विवाह आदि में प्राथमिकताट्रेंडिंग फैशन, बजट-फ्रेंडली विकल्प

कौन-सा हीरा चुनें?

उद्देश्यसुझाव
💍 सगाई / विवाहप्राकृतिक हीरा (विशेष और प्रतीकात्मकता के लिए)
🎁 गिफ्टिंग और फैशनलैब-निर्मित हीरा (कम बजट में बड़ा लुक)
🌱 पर्यावरणीय दृष्टिकोण सेलैब-निर्मित (कम कार्बन फुटप्रिंट)
💰 निवेश के लिएप्राकृतिक हीरा (पुनर्विक्रय में बेहतर मूल्य)

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