New Turn In Maratha Politics : “राजनीति में नई करवट: 20 साल बाद एक मंच पर राज और उद्धव ठाकरे, क्या हो रही है सुलह?” ये वाक्य राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटना की ओर संकेत करता है। महाराष्ट्र की राजनीति में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे दोनों ही प्रमुख चेहरे हैं, और दोनों शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के भतीजे और बेटे हैं। उनके बीच रिश्तों में सालों से दूरी रही है, खासकर जब से राज ठाकरे ने 2006 में शिवसेना छोड़कर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) बनाई थी।
अगर ये वाकई हुआ है कि 20 साल बाद दोनों एक मंच पर आए हैं, तो इसके कुछ संभावित कारण और असर हो सकते हैं:

🔹 संभावित कारण:
- राजनीतिक मजबूरी या रणनीति: महाराष्ट्र की बदलती राजनीति में दोनों दलों को एकजुट होकर किसी साझा दुश्मन (जैसे BJP) के खिलाफ खड़ा होना पड़ा हो।
- बाल ठाकरे की याद में कार्यक्रम: कोई श्रद्धांजलि सभा या पारिवारिक आयोजन (जैसे पुण्यतिथि, जन्मशताब्दी आदि) ऐसा मौका हो सकता है।
- मराठी अस्मिता या क्षेत्रीय मुद्दा: किसी जनआंदोलन या सांस्कृतिक कार्यक्रम के मंच पर साझा उपस्थिति।
- राजनीतिक गठबंधन के संकेत: भविष्य में MNS और ठाकरे गुट की शिवसेना के बीच गठबंधन की संभावना बन सकती है।

🔹 इसका असर:
- राजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव: खासकर मुंबई, ठाणे और मराठवाड़ा जैसे क्षेत्रों में।
- भाजपा और अन्य दलों पर दबाव: मराठी वोट बैंक को लेकर।
- ठाकरे परिवार में सुलह के संकेत: इससे जनता के बीच भावनात्मक अपील भी बन सकती है।
- MNS की पुनर्स्थापना की कोशिश: अगर राज ठाकरे को लग रहा हो कि उनका जनाधार कमजोर हो रहा है।

🔹 पृष्ठभूमि (संक्षेप में):
- 1999–2005: राज और उद्धव ठाकरे दोनों शिवसेना में सक्रिय।
- 2006: राज ठाकरे ने अलग होकर MNS बनाई।
- 2019 के बाद: उद्धव ठाकरे ने BJP से नाता तोड़कर महाविकास आघाड़ी बनाई।
राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे का रिश्ता पारिवारिक भी है और राजनीतिक भी, लेकिन दोनों ही स्तरों पर यह रिश्ता काफी जटिल और उतार-चढ़ाव भरा रहा है। यह महाराष्ट्र की राजनीति में नई दिशा या सुलह की संभावना को दर्शाता है।

🔹 रक्त का रिश्ता:
- उद्धव ठाकरे: शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे के बेटे हैं।
- राज ठाकरे: बाल ठाकरे के छोटे भाई श्रीकांत ठाकरे के बेटे हैं।
👉 इस हिसाब से, राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे आपस में चचेरे भाई (Cousins) हैं।

🔹 राजनीतिक रिश्ता:
- दोनों ने शिवसेना में अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी और बाल ठाकरे के करीबी माने जाते थे।
- शिवसेना में लंबे समय तक ऐसा माना जाता रहा कि राज ठाकरे, बाल ठाकरे के राजनीतिक उत्तराधिकारी हो सकते हैं, क्योंकि वे युवाओं में लोकप्रिय थे, तेज-तर्रार भाषण देते थे और ज़मीनी पकड़ भी थी।
- लेकिन धीरे-धीरे उद्धव ठाकरे को शिवसेना की कमान दी गई (2003 में कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए)।

🔹 टकराव और अलगाव:
- 2006 में, राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़ दी और अपनी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) बना ली।
- इसके बाद से ही ठाकरे परिवार में राजनीतिक दरार और वैचारिक मतभेद खुलकर सामने आए।
- दोनों पार्टियाँ — शिवसेना (उद्धव गुट) और MNS — अलग-अलग राह पर चलती रहीं। कई बार तो MNS और शिवसेना के बीच तीखा टकराव भी देखने को मिला, खासकर बीएमसी चुनावों और मराठी अस्मिता जैसे मुद्दों पर।
🔹 व्यक्तिगत रिश्तों की स्थिति:
- राजनीतिक मतभेदों ने पारिवारिक संबंधों को भी प्रभावित किया।
- हालांकि कुछ पारिवारिक अवसरों पर (जैसे बाला साहेब ठाकरे की पुण्यतिथि) दोनों नेता एक ही स्थान पर उपस्थित रहे, लेकिन सार्वजनिक रूप से दोनों के रिश्तों में दूरी स्पष्ट रही है।
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