सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय में आयोजित “Future Wars and Warfare” कार्यक्रम। जनरल CDS अनिल चौहान ने “ऑपरेशन सिंदूर” का खुलासा किया। 10 मई को पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ 48 घंटे में भारत को घुटनों पर लाने की योजना बनाई थी। पाकिस्तान ने एक साथ कई हमले किए।
यह बयान संभवतः 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बारे में है, जिसमें 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना ने ढाका (पूर्वी पाकिस्तान, अब बांग्लादेश) में भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था।
यह इतिहास का एक अभूतपूर्व क्षण था जब पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था। इसे दुनिया का सबसे बड़ा आत्मसमर्पण माना जाता है।
भारत ने बहुत सटीक और सीमित कार्रवाई की – केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। बिना आम नागरिकों या गैर-सैन्य ठिकानों को नुकसान पहुंचाए, रणनीतिक सैन्य जवाब दिया गया। पाकिस्तान की योजना महज़ 8 घंटे में ही विफल हो गई। ऑपरेशन का नाम था – ऑपरेशन सिंदूर, जो पहले सार्वजनिक नहीं किया गया था। यह भारतीय सेना की प्रोफेशनल अप्रोच और रणनीतिक क्षमता का उदाहरण है।
CDS अनिल चौहान का बयान क्यों महत्वपूर्ण है?
- यह भारतीय सेना की रणनीतिक दक्षता और युद्ध कौशल को दर्शाता है।
- यह भी दिखाता है कि पाकिस्तान की युद्ध की योजना भारतीय सेना की ताकत के सामने टिक नहीं पाई।
- यह बयान शायद किसी सार्वजनिक मंच, कार्यक्रम या सेमिनार के दौरान दिया गया होगा जहाँ 1971 युद्ध की रणनीति और विजय का स्मरण किया गया हो।
‘पाकिस्तान को हुआ गलती का एहसास’
CDS अनिल चौहान ने आगे कहा, ऑपरेशन जो उन्होंने सोचा था कि 48 घंटे तक चलेगा, लगभग 8 घंटे में बंद हो गया और फिर उन्होंने टेलीफोन उठाया और कहा कि वे बात करना चाहते हैं। अनिल चौहान ने आगे कहा, पाकिस्तान को एहसास हो गया होगा अगर वो युद्ध लड़ता है तो उसे हार ही मिलेगी।
“हमारी लड़ाई आतंकवाद” थी और कुछ नहीं
जनरल अनिल चौहान ने कहा की ये युद्ध हम नहीं चाहते थे शुरुआत पहलगाम में जो आतंकी हमले से हुई थी। सही तरीका है की नहीं उसका कोई तय नियम नहीं है। ये जो आतंकवाद के खिलाफ नई रेखा बनाई है ।