पंजाब की नई खनन नीति: भ्रष्टाचार पर लगाम, रेत-बजरी पर अधिकार अब सीधे जनता के हाथ
भूमि मालिक अब खुद कर सकेंगे खनन, नीलामी नहीं — तय रॉयल्टी से बढ़ेगा राजस्व, कैमरों और आर.एफ.आई.डी निगरानी से रुकेगा अवैध कारोबार
चंडीगढ़, 6 मई:
वित्त मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने आज घोषणा की कि पंजाब सरकार की नई खनन नीति रेत और बजरी स्रोतों का नियंत्रण सीधे लोगों के हाथों में देकर भ्रष्टाचार पर प्रभावी ढंग से लगाम लगाने और राज्य की वित्तीय स्थिति को मज़बूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
घोषणा पंजाब माइनिंग पोर्टल पर लैंडओनर माइनिंग साइट्स
वित्त मंत्री, जिनके साथ खनन और भू-विज्ञान मंत्री बरिंदर कुमार गोयल भी उपस्थित थे, ने यह घोषणा पंजाब माइनिंग पोर्टल पर लैंडओनर माइनिंग साइट्स (एलएमएस) और क्रशर माइनिंग साइट्स (सीआरएमएस) के लिए ऑनलाइन आवेदन फॉर्म की शुरुआत के अवसर पर की।
ज़मीन से रेत और बजरी
इस मौके पर मीडिया को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि नई नीति का मुख्य उद्देश्य ज़मीन मालिकों को सशक्त बनाना है क्योंकि इस नए ढांचे के तहत अब ज़मीन मालिकों को बिना नीलामी के अपनी ज़मीन से रेत और बजरी निकालने का सीधा अधिकार होगा।
इसके अलावा नई खनन नीति में खनन साइटों और परिवहन मार्गों पर कैमरे और रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आर.एफ.आई.डी) निगरानी की अनिवार्य तैनाती के साथ-साथ अवैध खनन गतिविधियों को समाप्त करने के लिए मज़बूत तकनीकी उपाय शामिल हैं।
पंजाब की नई खनन नीति
उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण बदलाव बिचौलियों की भूमिका और एकाधिकार की संभावना को खत्म करेगा, जिससे सीधे ज़मीन के असली मालिकों को अधिकार मिलेंगे।
सरकारें अपने खजाने भरने के लिए अवैध खनन को संरक्षण
वित्त मंत्री चीमा ने कहा कि पिछली अकाली-भाजपा और कांग्रेस सरकारें अपने खजाने भरने के लिए अवैध खनन को संरक्षण देती थीं, इसके विपरीत हम खनन क्षेत्र में पूर्ण पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
उन्होंने कहा कि उन्नत निगरानी तकनीकों को लागू करने से अवैध व्यापार पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी और हमारे प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करते हुए खनन का लाभ उन चुनिंदा लोगों, जो पुरानी सरकारों के संरक्षण से लाभ उठाते रहे हैं, के बजाय आम जनता तक पहुंचेगा।
पंजाब की नई खनन नीति ऑनलाइन खनन आवेदन प्रक्रिया को उजागर
ऑनलाइन खनन आवेदन प्रक्रिया को उजागर करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि यह ‘आप’ सरकार की प्रशासनिक पारदर्शिता, प्रक्रिया के सरलीकरण और तकनीकी एकीकरण के प्रति प्रतिबद्धता का उदाहरण है। उन्होंने बताया कि आवेदन फॉर्म अब अधिकृत पोर्टल (https://minesandgeology.punjab.gov.in) पर सभी इच्छुक आवेदकों के लिए तत्काल प्रभाव से उपलब्ध हैं।
ज़मीन मालिक अब उपयोगकर्ता-केंद्रित इंटरफेस के माध्यम से खनन संबंधी स्वीकृतियों के लिए आसानी से आवेदन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्राप्त आवेदनों पर शीघ्र कार्रवाई कर यह सुनिश्चित किया जाएगा कि योग्य ज़मीन मालिक प्रक्रिया संबंधी बाधाओं के बिना वैध रूप से खनन कार्य शुरू कर सकें।
खनिज-पदार्थ वाली ज़मीनों के ज़मीन मालिकों
खनन और भू-विज्ञान मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने बताया कि इस पहल के तहत पहले से अनुमोदित जिला सर्वेक्षण रिपोर्टों (डीएसआर) में शामिल स्थानों के लिए तुरंत आवेदन देने की व्यवस्था है। इसके साथ ही खनिज-पदार्थ वाली ज़मीनों के ज़मीन मालिकों के लिए भी जिला खनन अधिकारी के माध्यम से जिला प्रशासन या खनन एवं भू-विज्ञान विभाग तक पहुँच का सरल मार्ग भी उपलब्ध है।
सरल आवेदन फॉर्म केवल असली ज़मीन मालिकों के विवरण, ज़मीन संबंधी जानकारी और खनन प्रस्तावों सहित आवश्यक प्रमाण-पत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए दस्तावेज़ी ज़रूरतों को न्यूनतम करते हैं। इसके अतिरिक्त हर चरण पर आवेदकों की सहायता के लिए पोर्टल पर प्रक्रिया संबंधी विस्तृत फ्लोचार्ट वाला एक व्यापक उपयोगकर्ता मैनुअल उपलब्ध है। दस्तावेज़ सत्यापन के बाद खनन और भू-विज्ञान विभाग द्वारा योग्य आवेदकों को इरादा पत्र (एलओआई) जारी किया जाएगा।
पंजाब की नई खनन नीति पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण से पर्यावरण संबंधी स्वीकृति
इसके बाद निवेदकों को राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण से पर्यावरण संबंधी स्वीकृति और पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से काम करने की सहमति सहित आवश्यक स्वीकृतियाँ प्राप्त करनी होंगी। श्री गोयल ने कहा कि सभी आवश्यक स्वीकृतियाँ जमा करवाने के उपरांत एक औपचारिक खनन समझौता किया जाएगा, जिससे लागू नियमों के अनुसार खनन गतिविधियाँ शुरू करने की अनुमति मिल सकेगी।पंजाब की नई खनन नीति
कैबिनेट मंत्रियों ने सुचारु आवेदक सहायता विधियों की घोषणा की, जिसमें पोर्टल संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित कर्मचारियों वाला एक समर्पित शिकायत सेल (1800-180-2422) शामिल है। इसके अतिरिक्त आवेदन प्रक्रिया और पर्यावरणीय स्वीकृति की सुविधा के लिए ज़िला और मुख्यालय स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं।
पंजाब की नई खनन नीति आवेदकों को पोर्टल की कार्यक्षमताओं और प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं
आवेदकों को पोर्टल की कार्यक्षमताओं और प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं से अवगत करवाने के लिए नियमित क्षमता निर्माण कार्यशालाएँ आयोजित की जाएँगी। उन्होंने पुष्टि की कि यह डिजिटल पहुँच न केवल खनन कार्यों को आधुनिक बनाएगी, बल्कि ज़मीन मालिकों के लिए आर्थिक अवसर भी बढ़ाएगी और प्रभावी निगरानी के माध्यम से पर्यावरणीय स्थिरता भी सुनिश्चित की जा सकेगी।पंजाब की नई खनन नीति
पंजाब से पोटाश संसाधन निकालने के लिए भी किया जा रहा है भेदभाव: बरिंदर कुमार गोयल पंजाब की नई खनन नीति
इस दौरान बरिंदर कुमार गोयल ने कहा कि पंजाब को अपने कीमती पोटाश भंडारों के विकास के लिए भी केंद्र सरकार के अनुचित व्यवहार और भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पोटाश ऐसा खनिज स्रोत है जो राज्य और देश दोनों के लिए आर्थिक रूप से और कृषि के लिहाज़ से बहुत लाभकारी हो सकता है।
उन्होंने बताया कि राजस्थान की सीमा से लगते श्री मुक्तसर साहिब और अबोहर क्षेत्रों के पास पोटाश के भंडार मिले हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने आगे के अन्वेषण कार्यों और विकास के लिए आवश्यक स्वीकृतियों को लगातार रोके रखा है।
कैबिनेट मंत्री ने कहा, “पोटाश एक महत्वपूर्ण खनिज है, जो देश में कहीं और नहीं मिलता। वर्तमान में भारत अपनी पोटाश आवश्यकताओं का 100 प्रतिशत आयात करता है, जिससे हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में काफी गिरावट आती है।”
उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा अन्वेषण कार्यों के वितरण में भी पक्षपात स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। राजस्थान क्षेत्र में पोटाश भंडारों की स्थिति, गुणवत्ता और मात्रा निर्धारित करने के लिए 158 स्थानों पर ड्रिलिंग की गई, लेकिन पंजाब में केवल 9 स्थानों पर ही ड्रिलिंग साइटों की अनुमति दी गई है। उन्होंने बताया कि उन्होंने इस भेदभाव का मुद्दा हाल ही में ओडिशा में हुए ऑल इंडिया माइनिंग एंड जियोलॉजी मंत्रियों के सम्मेलन में उठाया था।
मंत्री ने बताया कि अपने क्षेत्रीय दौरों के दौरान उन्होंने लोगों की भ्रांतियों को दूर किया, जिन्हें डर था कि उनकी ज़मीनों को स्थायी रूप से ले लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि पोटाश निकालना लगभग 450 मीटर नीचे तक केवल ड्रिलिंग के माध्यम से किया जाता है जिससे कृषि गतिविधियों में कोई बाधा नहीं आती।
उन्होंने कहा कि टेस्ट ड्रिलिंग के लिए ज़मीन के केवल एक छोटे से हिस्से की ज़रूरत होती है। उन्होंने बताया कि एक आकलन के अनुसार एक स्थान पर ड्रिलिंग करने से धरती के नीचे 25 एकड़ क्षेत्रफल से पोटाश निकाला जा सकता है।
उन्होंने कहा कि घरेलू पोटाश संसाधनों का विकास राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता को और बढ़ाएगा, अंतरराष्ट्रीय बाज़ार पर भारत की निर्भरता को काफी हद तक कम करेगा और कीमती विदेशी मुद्रा की बचत करेगा। उन्होंने कहा कि यह केवल पंजाब की चिंता नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय हित के लिए रणनीतिक रूप से आवश्यक है। पोटाश उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना भारत के संसाधन सुरक्षा ढांचे में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर होगा।