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Pithori Amavasya 2025 : पिठोरी (भाद्रपद) अमावस्या विशेष अनुष्ठान, शुभ मुहूर्त और कथा

Pithori Amavasya 2025

Pithori Amavasya 2025

Pithori Amavasya 2025 : पिठोरी (भाद्रपद) अमावस्या विशेष अनुष्ठान, शुभ मुहूर्त और कथा

भाद्रपद अमावस्या 2025: पितरों की तृप्ति से मिलेगा आशीर्वाद, जीवन से दूर होंगे दुख और बढ़ेगा सौभाग्य।

पंचांग और तिथि विवरण

शुभ मुहूर्त (Ritual Timings)

अनुष्ठानसमय (प्रातः)
स्नान एवं दानसुबह 4:26 – 5:10 बजे
पूजा मुहूर्तसुबह 7:32 – 9:09 बजे

अनुष्ठान विधि एवं उपाय Pithori Amavasya 2025

आध्यात्मिक महत्व Pithori Amavasya 2025

पिंडदान / तर्पण: 22–23 अगस्त की अमावस्या में अनुष्ठान संपन्न करें।

स्नान-दान मुहूर्त: 23 अगस्त सुबह 4:26–5:10 बजे।

पूजा मुहूर्त: 7:32–9:09 बजे।

प्रमुख कर्म: स्नान → पूजा → तर्पण → दान।

विशेष: शनिचरी अमावस्या होने के कारण शनि और पितृ दोनों की पंचांग में महत्ता।

भाद्रपद माह की पिठोरी अमावस्या (23 अगस्त 2025, शनिवार) का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इसे कुशोत्पाटनी अमावस्या भी कहा जाता है।

पिठोरी अमावस्या Pithori Amavasya 2025 का महत्व

इस दिन पितृ पूजन और श्राद्ध कर्म करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। इसे स्नान, ध्यान और दान-पुण्य का पर्व भी माना गया है। इस तिथि पर कुशा (दरभा घास) एकत्रित करने की परंपरा है, क्योंकि आने वाले श्राद्ध पक्ष में इसका प्रयोग पितृ कर्म में किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन किया गया दान-पुण्य और तर्पण व्यक्ति को पितरों का आशीर्वाद दिलाता है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।

विशेष परंपराएँ और उपाय

  1. पवित्र नदी या तीर्थस्थल पर स्नान करके पितरों को तर्पण दें।
  2. काले तिल, कुश, जल और अक्षत से पितृ तर्पण करें।
  3. गरीबों, ब्राह्मणों और गौ सेवा को इस दिन पुण्यदायी माना गया है।
  4. जिनके माता-पिता जीवित नहीं हैं, वे कुशा एकत्रित कर सकते हैं, ताकि श्राद्ध में उसका उपयोग हो।
  5. घर में दीपदान और गीता पाठ करने से भी पितृ प्रसन्न होते हैं।

भाद्रपद अमावस्या पर किए गए ये उपाय पितृ दोष निवारण में सहायक होते हैं और घर-परिवार पर पितरों की कृपा बनी रहती है।

पिठोरी अमावस्या की कथा (भाद्रपद अमावस्या कथा)

हिंदू धर्म में पिठोरी अमावस्या का विशेष महत्व है। इसे कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन आने वाले पूरे वर्ष की अमावस्या व श्राद्ध कार्यों के लिए कुश (पवित्र घास) एकत्र की जाती है।

कथा : Pithori Amavasya 2025

पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक समय इंद्राणी (देवेंद्र की पत्नी) ने 64 पिठोरियों (मातृ देवियों) की पूजा कर पुत्र-सुख और अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त किया। कहा जाता है कि भाद्रपद अमावस्या के दिन 64 मातृ देवियों की आराधना करने से स्त्रियों को संतान-सुख, सौभाग्य और घर-परिवार में शांति मिलती है।

एक अन्य कथा के अनुसार, पितरों की तृप्ति के लिए यह तिथि अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन कुश एकत्र कर पितृ पूजन, श्राद्ध, तर्पण और दान-पुण्य करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे संतुष्ट होकर वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।

महत्व : Pithori Amavasya 2025

इसीलिए भाद्रपद अमावस्या को “पिठोरी अमावस्या” कहा जाता है और इसे पितृ शांति व संतान सुख के लिए विशेष रूप से मनाया जाता है।

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