Wednesday, December 3, 2025
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रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (RLS) एक न्यूरोलॉजिकल क्या है किस से होता है?

रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (RLS) एक न्यूरोलॉजिकल क्या है किस से होता है?

रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (Restless Legs Syndrome – RLS) जिसे हिंदी में अक्सर बेचैन पैर सिंड्रोम कहा जाता है, एक न्यूरोलॉजिकल (तंत्रिका संबंधी) विकार है। इसमें व्यक्ति को पैरों (कभी-कभी हाथों में भी) को लगातार हिलाने या हिलाने की तीव्र इच्छा होती है, खासकर आराम की स्थिति में या रात को सोते समय। इस समस्या में हमेशा ऐसा लगता है, जैसे पैरों पर कुछ रेंग रहा है। अनिद्रा भी इसके प्रमुख लक्षणों में से एक है। यदि मांसपेशियों में खिंचाव के साथ बेचैनी हो रही है, तो भी ये रेस्टलेस लेग सिंड्रोम का लक्षण होता है।

RLS क्या है?

यह एक सेंसरी और मूवमेंट डिसऑर्डर है। मरीज को पैरों में झुनझुनी, खिंचाव, जलन, सुई चुभने जैसी या कीड़े रेंगने जैसी संवेदना होती है। लक्षण रात में ज्यादा बढ़ जाते हैं, जिससे नींद पूरी नहीं हो पाती और थकान/चिड़चिड़ापन होता है।

RLS किससे होता है? (संभावित कारण)

  1. डोपामिन असंतुलन – मस्तिष्क में डोपामिन नामक न्यूरोट्रांसमीटर की कमी या असंतुलन से।
  2. आयरन की कमी (Iron Deficiency Anemia) – दिमाग और नसों में आयरन का स्तर कम होने से।
  3. आनुवांशिक कारण – परिवार में RLS होने पर संभावना ज्यादा होती है।
  4. क्रॉनिक बीमारियाँ – किडनी रोग, डायबिटीज़, पार्किंसन डिज़ीज़, पेरिफेरल न्यूरोपैथी।
  5. गर्भावस्था – खासकर आख़िरी महीनों में कई महिलाओं में यह समस्या हो जाती है (ज्यादातर डिलीवरी के बाद ठीक हो जाती है)।
  6. दवाइयाँ – कुछ एंटी-डिप्रेशन, एंटी-हिस्टामिन या एंटी-नॉज़िया दवाओं से लक्षण बढ़ सकते हैं।
  7. लाइफ़स्टाइल फैक्टर्स – नींद की कमी, तनाव, कैफीन, अल्कोहल और धूम्रपान से परेशानी बढ़ सकती है।

बेचैन पैर सिंड्रोम उसका ट्रीटमेंट क्या है???

बेचैन पैर सिंड्रोम (Restless Legs Syndrome – RLS) एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। इसमें पैरों में अजीब-सी बेचैनी, झुनझुनी या हरकत करने की अनियंत्रित इच्छा होती है, खासकर रात को आराम करते समय।

RLS
RLS

बेचैन पैर सिंड्रोम का ट्रीटमेंट

👉 इसका इलाज कारण पर निर्भर करता है।

1. लाइफ़स्टाइल और घरेलू उपाय

  • सोने-जागने का नियमित समय रखें।
  • कैफीन, अल्कोहल और सिगरेट से बचें।
  • सोने से पहले हल्की गर्म पानी से पैर धोना, मसाज या स्ट्रेचिंग करें।
  • योग और मेडिटेशन तनाव कम करते हैं।
  • हल्की एक्सरसाइज (जैसे वॉकिंग) मददगार है।

2. पोषण संबंधी सुधार

  • अगर आयरन की कमी है तो आयरन सप्लीमेंट्स या आयरन युक्त भोजन (पालक, चुकंदर, गुड़, अनार) लें।
  • विटामिन D, B12 और फोलेट की जांच कराकर कमी हो तो पूरा करें।

3. मेडिकल ट्रीटमेंट (डॉक्टर की देखरेख में)

  • डोपामिन एगोनिस्ट (Pramipexole, Ropinirole)
  • गैबापेंटिन / प्रेगाबालिन – नसों की जलन और बेचैनी के लिए
  • बेंज़ोडायज़ेपिन्स – नींद सुधारने के लिए
  • ओपिऑइड्स (कम खुराक) – बहुत गंभीर मामलों में


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