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Saal Mubarak 2025: दिवाली के बाद क्यों मनाया जाता है नया वर्ष? जानिए इसका महत्व और परंपरा

Saal Mubarak 2025

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Saal Mubarak 2025: दिवाली के बाद क्यों मनाया जाता है नया वर्ष? जानिए इसका महत्व और परंपरा

Saal Mubarak 2025 क्यों दिवाली के ठीक बाद मनाया जाता है? जानिए इसका धार्मिक, सांस्कृतिक और व्यापारी महत्व। गुजराती न्यू ईयर की परंपरा, पूजा-विधि और इससे जुड़ी मान्यताएँ विस्तार से।

साल मुबारक 2025: क्यों मनाया जाता है दिवाली के बाद नया वर्ष?

भारत एक विविधताओं से भरा देश है, जहां हर संस्कृति और समुदाय की अपनी अनूठी औऱ गहरी परंपराएँ हैं। इन्हीं में से एक है — दिवाली के अगले दिन मनाया जाने वाला नया वर्ष, जिसे गुजराती समुदाय में “साल मुबारक” कहकर मनाया जाता है। यह दिन मुख्य रूप से गुजराती विक्रम संवत का पहला दिन माना जाता है, जिसे ‘Bestu Varas’ या ‘Nutan Varsh’ भी कहते हैं।

साल मुबारक दिवाली के बाद ही क्यों?

दिवाली की रात अमावस्या होती है जिसे अंत का प्रतीक माना जाता है — अंधकार का अंत। उसके अगले दिन कार्तिक महीने का पहला दिन शुभ आरंभ और प्रकाश की नई ऊर्जा का संकेत देता है। इसलिए इसे नए वर्ष की शुरुआत के रूप में मनाया जाता है।

Saal Mubarak 2025 धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

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घरों और दुकानों में क्या होता है विशेष?

साल मुबारक का संदेश

दिवाली जहां अंधकार से प्रकाश की यात्रा है, वहीं साल मुबारक नए अवसर, नई शुरुआत और नई उम्मीदों की प्रतीक है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि हर नया साल केवल कैलेंडर नहीं बदलता, बल्कि हमारे विचार, रिश्ते और कर्मों को भी नया रूप देता है।


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