ब्रह्मकमल

Saussurea obvallata देवभूमि का चमत्कारी फूल इस बार असामान्य ऊंचाई पर खिला वैज्ञानिक भी हैरान

Dharma

Saussurea obvallata देवभूमि का चमत्कारी फूल इस बार असामान्य ऊंचाई पर खिला वैज्ञानिक भी हैरान

Saussurea obvallata देवभूमि उत्तराखंड का राज्य पुष्प — ब्रह्मकमल यह फूल केवल सुंदरता का प्रतीक ही नहीं, बल्कि औषधीय गुणों और धार्मिक महत्व से भी जुड़ा है। कैंसर से लड़ने वाली दवाइयों से लेकर भगवान ब्रह्मा की आराधना तक, इस फूल की कहानी बेहद खास है।”

उत्तराखंड को देवताओं की भूमि कहा जाता है और यहां की पर्वतीय वादियों में प्रकृति ने अनमोल खजाने छिपा रखे हैं। इन्हीं में से एक है ब्रह्मकमल (Saussurea obvallata)— राज्य का आधिकारिक पुष्प। यह फूल हिमालय की ऊँचाई पर खिलता है और इसकी सुंदरता अद्वितीय मानी जाती है। इसे ब्रह्मा जी का प्रिय पुष्प भी कहा गया है, इसलिए धार्मिक अनुष्ठानों में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।

धार्मिक महत्व:

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्मकमल को भगवान ब्रह्मा का आशीर्वाद माना जाता है। कई पर्वों और पूजन में यह विशेष स्थान रखता है। कहा जाता है कि इसके दर्शन मात्र से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

ब्रह्मकमल सिर्फ एक फूल नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था, दुर्लभ प्राकृतिक विरासत और औषधीय खजाना है। इसीलिए इसे देवताओं का फूल भी कहा जाता है।

जानकारी के मुताबिक, मुनस्यारी के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में यह दुर्लभ पुष्प देखा गया है।
ब्रह्मकमल न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि औषधीय गुणों से भी भरपूर माना जाता है।

Saussurea obvallata

औषधीय गुण:

धार्मिक आस्था के साथ-साथ इस फूल में छिपे हैं औषधीय गुण भी।

  • ब्रह्मकमल के अर्क का उपयोग कैंसर रोधी दवाइयों में किया जाता है।
  • आयुर्वेद में इसे शरीर को ऊर्जा देने वाला और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला माना जाता है।
  • पहाड़ों में इसे स्थानीय लोग कई बीमारियों के इलाज के लिए पारंपरिक चिकित्सा में इस्तेमाल करते आए हैं।
Saussurea obvallata
Saussurea obvallata

Saussurea obvallata प्राकृतिक अद्भुतता:

ब्रह्मकमल समुद्रतल से लगभग 3,000 से 4,500 मीटर की ऊंचाई पर खिलता है। यह सिर्फ रात में खिलने वाला दुर्लभ पुष्प है। मानसून और हिमालय की ठंडी जलवायु इसके पनपने के लिए सबसे उपयुक्त होती है।देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड का राज्य पुष्प ब्रह्मकमल इस बार हैरान करने वाले अंदाज़ में खिला है।
आमतौर पर यह फूल समुद्र तल से साढ़े 3,500 से 4,500 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है, लेकिन इस बार यह मात्र 3,000 मीटर की ऊंचाई पर ही खिल गया है।

यह फूल रात में खिलता है और कुछ ही घंटों तक अपनी अद्भुत छटा बिखेरता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार यह फूल भगवान ब्रह्मा का प्रिय पुष्प है। स्थानीय परंपरा में इसे शुभ और दुर्लभ दोनों माना जाता है।

Saussurea obvallata वैज्ञानिक नजरिया:

विशेषज्ञों का कहना है कि कम ऊंचाई पर ब्रह्मकमल का खिलना जलवायु परिवर्तन का संकेत हो सकता है। मौसम के बदलते पैटर्न और बढ़ते तापमान के चलते पौधों का प्राकृतिक वितरण भी प्रभावित हो रहा है।

यानी, उत्तराखंड का यह राज्य पुष्प केवल एक फूल नहीं, बल्कि प्रकृति, आस्था और औषधि का संगम है। ब्रह्मकमल, देवभूमि के उस अनमोल खजाने का प्रतीक है जो हमें बताता है कि हिमालय सिर्फ सुंदरता ही नहीं, बल्कि जीवन की आशा भी संजोए हुए है।

ब्रह्मकमल (Saussurea obvallata) बेहद दुर्लभ और ऊँचाई पर खिलने वाला फूल है। इसकी खासियत यही है कि यह सिर्फ खास जगहों पर ही पाया जाता है।

Saussurea obvallata
Saussurea obvallata

ब्रह्मकमल कहाँ पाए जाते हैं?

  1. उत्तराखंड (भारत)
    • यह राज्य पुष्प है और खासतौर पर हिमालय की ऊँचाई पर खिलता है।
    • प्रमुख स्थान:
      • केदारनाथ, बद्रीनाथ, तुंगनाथ
      • हेमकुंड साहिब क्षेत्र
      • चमोली, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ ज़िले के ऊँचाई वाले इलाके
  2. हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश
    • हिमालय की ऊँचाई वाले क्षेत्रों में इसकी झलक मिलती है।
  3. नेपाल और भूटान
    • यहां भी हिमालयी पर्वतीय ढलानों पर यह पाया जाता है।
  4. तिब्बत
    • विशेषकर कैलाश-मानसरोवर क्षेत्र में यह फूल स्वाभाविक रूप से उगता है।

मतलब यह फूल सिर्फ हिमालयी पट्टी (भारत–नेपाल–भूटान–तिब्बत) में ही पाया जाता है और वहीं की ठंडी, स्वच्छ और उच्च ऊँचाई वाली जलवायु इसके लिए आदर्श है।



watch our Youtube Channel : VR LIVE CHANNEL


Discover more from VR News Live

Subscribe to get the latest posts sent to your email.