SCO समिट: शहबाज शरीफ सिर्फ मुखौटा, असली कमान आसिम मुनीर के हाथ?
SCO समिट में दिखने के बाद फिर उठे सवाल
पाकिस्तान की राजनीति में एक बार फिर वही पुराना सवाल गूंज रहा है—क्या प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ वास्तव में सत्ता चला रहे हैं या फिर सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के हाथ में असली कमान है? शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में शरीफ की मौजूदगी ने इस बहस को और हवा दे दी है।
“शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की मौजूदगी ने एक बार फिर चर्चा छेड़ दी है। सवाल उठ रहा है कि क्या वाकई पाकिस्तान में सत्ता की बागडोर शरीफ के हाथ में है, या फिर असली कमान सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के पास है? पाकिस्तान की सियासत पर ये पुराना सवाल एक बार फिर नए अंदाज़ में सामने आया है।”
SCO समिट लोकतांत्रिक मुखिया या सिर्फ प्रतिनिधि?
पाकिस्तान के इतिहास में यह धारणा हमेशा से बनी रही है कि लोकतांत्रिक सरकारें महज़ ‘फिगरहेड’ होती हैं, जबकि असली फैसले सेना लेती है। शहबाज शरीफ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, लेकिन देश के भीतर आर्थिक संकट, विदेशी कर्ज और सुरक्षा नीतियों पर सेना की सीधी पकड़ देखी जाती है।
SCO समिट आसिम मुनीर की ताकत
जनरल आसिम मुनीर को मौजूदा वक्त में पाकिस्तान का सबसे ताकतवर शख्स माना जाता है। इमरान खान के खिलाफ कार्रवाई से लेकर IMF के साथ बातचीत और विदेश नीति तक, हर बड़े फैसले में उनकी भूमिका अहम बताई जाती है। यही वजह है कि पाकिस्तान की राजनीति में एक बार फिर सवाल उठ रहा है कि असली सत्ता रावलपिंडी (सेना मुख्यालय) के पास है, इस्लामाबाद के पास नहीं।
विशेषज्ञों की राय
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान में सेना की भूमिका सिर्फ सुरक्षा तक सीमित नहीं रही, बल्कि उसने हमेशा राजनीतिक ढांचे पर भी असर डाला है। ऐसे में शहबाज शरीफ की भूमिका महज़ प्रशासनिक चेहरा बनने तक सिमट जाती है।
आगे क्या?
SCO समिट के बाद भले ही शहबाज शरीफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की छवि सुधारने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन देश के भीतर बढ़ते आर्थिक संकट और जनता के गुस्से के बीच असली फैसलों पर सेना की पकड़ सवालों के घेरे में बनी हुई है।