Surya Grahan 21 सितंबर को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में नजर आयगा?
Surya Grahan 21 खगोल प्रेमियों के लिए आसमान का अद्भुत नज़ारा देखने का मौका अब समाप्त हो गया है।
साल 2025 का दूसरा और आखिरी पूर्ण चंद्र ग्रहण 7 सितंबर की रात को लगा था और अब यह खत्म हो चुका है।
यह ग्रहण भारत सहित एशिया, यूरोप और अफ्रीका के कई हिस्सों से देखा गया।
खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार, इस साल का अगला बड़ा खगोलीय इवेंट अब 21 सितंबर 2025 को लगने वाला सूर्य ग्रहण होगा।
यह सूर्य ग्रहण साल का आखिरी सूर्य ग्रहण होगा और यह आंशिक रूप से भारत में नहीं दिखाई देगा। भारत में सूर्य ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा ।
2025 Grahan :
चंद्र ग्रहण तिथि: 7 सितंबर 2025 (पूर्ण चंद्र ग्रहण) ||| सूर्य ग्रहण तिथि: 21 सितंबर 2025 (आखिरी सूर्य ग्रहण)
दोनों ग्रहण खगोल विज्ञान के लिहाज़ से बेहद अहम माने जा रहे हैं। आइए इसे थोड़ा और सरल और रोचक तरीके से समझते हैं सूर्य ग्रहण क्या है
सूर्य ग्रहण क्या है?
सूर्य ग्रहण उस समय होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है और सूर्य की रोशनी को आंशिक या पूरी तरह से ढक देता है।
इस दौरान सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीध में आ जाते हैं।
Surya Grahan 21 सूर्य ग्रहण के प्रकार:
- पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Solar Eclipse):
जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह ढक लेता है और दिन में कुछ समय के लिए अंधेरा छा जाता है। - आंशिक सूर्य ग्रहण (Partial Solar Eclipse):
जब चंद्रमा सूर्य का केवल कुछ हिस्सा ढकता है। - वलयाकार सूर्य ग्रहण (Annular Solar Eclipse):
जब चंद्रमा सूर्य के सामने आता है, लेकिन पूरी तरह से ढक नहीं पाता।
इस स्थिति में सूर्य “अंगूठी” (Ring of Fire) जैसा दिखाई देता है।
वैज्ञानिक रोचक तथ्य:
- सूर्य का व्यास चंद्रमा से लगभग 400 गुना बड़ा है।
- लेकिन, सूर्य की दूरी भी चंद्रमा से लगभग 400 गुना ज्यादा है।
- इसी वजह से पृथ्वी से देखने पर सूर्य और चंद्रमा लगभग एक ही आकार के दिखाई देते हैं और ग्रहण संभव होता है।
सूर्य ग्रहण = चंद्रमा की “छाया” का खेल है, जो पृथ्वी तक पहुँचती है।
21 सितंबर 2025 को लगने वाले सूर्य ग्रहण (आंशिक) का दृश्यता मानचित्र प्रस्तुत है—जिसमें स्पष्ट तौर पर दिखाई देता है कि यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। 21 सितंबर 2025, रात 10:59 से शुरू होकर सुबह 3:23 तक चलेगा (लगभग 4 घंटे 24 मिनट) यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण है, जहाँ चंद्रमा सूर्य का केवल एक हिस्सा ही ढाँकता है।
यह ग्रहण न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, फिजी, पोलिनेशिया, दक्षिणी और अटलांटिक/दक्षिणी महासागरों में दिखाई देगा।
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