'CRIB'

भारत में खोजा गया दुनिया का सबसे अनोखा रक्त समूह ‘CRIB’ ने रच दिया इतिहास!

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भारत में खोजा गया दुनिया का सबसे अनोखा रक्त समूह ‘CRIB’ ने रच दिया इतिहास!

भारत में एक बेहद दुर्लभ रक्त समूह की खोज हुई है, जिसे CRIB नाम दिया गया है—और यह वास्तव में विश्व में अब तक पाया गया सबसे अनोखा रक्त समूह माना जा रहा है।

‘CRIB’ रक्त समूह — संक्षिप्त परिचय

  • कहाँ मिला: कर्नाटक राज्य के कोलार जिले की एक 38 वर्षीय महिला की रक्त जांच में यह अनिवार्य रूप से पाया गया।
  • नाम कैसे पड़ा:
    • “CR” = Cromer प्रतिजाति (blood group system)
    • “IB” = India, Bengaluru में पहचान की वजह से
      → इसका पूर्ण नाम Chromosome Region Identified as Blood group माना गया है।
  • वैश्विक दुर्लभता: विश्वभर में केवल लगभग 10 लोग इस रक्त समूह के वाहक अनुमानित हैं और पहला ज्ञात मामला भारत में है।
  • मेडिकल विशेषता: ब्लड का ‘panreactive’ व्यवहार—यह किसी भी सामान्य (O+, A, B, AB) रक्त से मेल नहीं खाता; संक्रमित व्यक्ति केवल CRIB‑negative ही प्राप्त कर सकते हैं, जो लगभग उपलब्ध नहीं हैं।
'CRIB'
‘CRIB’

क्या हुआ था?

  • उस महिला को कार्डियक सर्जरी से पहले O Rh‑positive रक्त समूह बताया गया था, लेकिन कोई भी उपलब्ध O+ ब्लड यूनिट उसके साथ संगत नहीं था।
  • तब उनका रक्त रोटरी बेंगलुरु TTK ब्लड सेंटर में भेजा गया, जहां उनका रक्त ‘panreactive’ पाया गया।
    परिवार के 20 सदस्य भी टेस्ट किए गए — लेकिन कोई मैच नहीं मिला।
  • आगे उक्त सैंपल यूके की IBGRL लैब भेजा गया जहाँ करीब 10 महीने तक जांच के बाद यह नया एंटीजन CRIB के रूप में मान्यता प्राप्त हुआ।
    ISBT द्वारा जून 2025 में मिलान की बैठक में इसे औपचारिक रूप से प्रस्तुत किया गया।

‘CRIB’ वैज्ञानिक और चिकित्सीय महत्त्व

  • प्रसूति एवं नवजात रोग निदान (HDFN): CRIB जैसी नई जानकारी से गर्भावस्था के दौरान मां के एंटी‑बॉडीज़ द्वारा भ्रूण की रक्त कोशिकाओं के हमले को रोका जा सकता है।
  • रक्तदान एवं रक्त बैंकिंग व्यवस्था: दुर्लभ रक्त दाताओं की रजिस्ट्री (Rare Donor Registry) के महत्व को और बढ़ाया गया है — विशेषतः भारत जैसे विविध जीन पूल वाले देश में।
  • वैश्विक स्तर पर रक्त ट्रांसफ़्यूज़न और अंग प्रत्यारोपण में अनुकूलता सुनिश्चित करने के नए तरिके विकसित होने की संभावनाएं खुली हैं।
विशेषताविवरण
रक्त समूह का नामCRIB
पूर्ण विवरणChromosome Region Identified as Blood group
सिस्टमCromer (INRA) blood group system
वैश्विक पहचानविश्व में अकेला पहली बार पाए जाने वाला रक्त समूह
वैश्विक अनुमानकेवल लगभग 10 व्यक्ति (अब तक)
चिकित्सा प्रासंगिकतारक्तदान अनुकूलता, HDFN प्रबंधन, अनुसंधान व अद्यतनीकरण

‘CRIB’ आगे क्या संभावनाएँ हैं?

  • CRIB‑विशिष्ट एंटीबॉडी पैनल और स्क्रीनिंग टेस्ट विकसित किए जा रहे हैं, जिससे संभावित वाहकों की जल्दी पहचान संभव हो सकेगी।
  • भारत में इम्यूनो‑हेमैटोलॉजी अनुसंधान केंद्र के रूप में पुनः पहचान सक्रीय हो गई है।
  • वैश्विक दृष्टि से रक्त बैंकिंग प्रणालियों में सुधार और अपग्रेडेशन की जरूरत महसूस की जा रही है।

‘CRIB’ ने जो इतिहास रचा है, वह चिकित्सा विज्ञान (Medical Science), रक्त विज्ञान (Immunohematology), और रक्तदान प्रणाली के क्षेत्र में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और अभूतपूर्व उपलब्धि है। आइए साफ-साफ समझते हैं:

‘CRIB’ ने क्या इतिहास रच दिया?

🔹 1. दुनिया का सबसे दुर्लभ रक्त समूह भारत में पहली बार खोजा गया

  • स्थान: कोलार, कर्नाटक (भारत)
  • एक महिला के शरीर में ऐसा ब्लड ग्रुप मिला जिसे पहले कभी दुनिया में कहीं भी डॉक्युमेंट नहीं किया गया था
  • उसका रक्त किसी भी ज्ञात ब्लड ग्रुप से मैच नहीं हो पा रहा था।

🔹 2. नया ब्लड एंटीजन मिला — वैज्ञानिक रूप से नया ‘ब्लड ग्रुप’ बना

  • इस ब्लड ग्रुप को ‘CRIB’ नाम दिया गया:
    • CR = Cromer (ब्लड ग्रुप सिस्टम का नाम)
    • IB = India Bengaluru (जहाँ इसकी पहचान हुई)

🔍 इसे एक “पैन-रिएक्टिव ब्लड” कहा गया, यानी इसका कोई भी सामान्य ब्लड ग्रुप से मिलान नहीं हो पा रहा था — यह दर्शाता है कि यह एक पूरी तरह से नया एंटीजन है।


🔹 3. इंटरनेशनल सोसायटी फॉर ब्लड ट्रांसफ्यूजन (ISBT) ने मान्यता दी

  • इस खोज को वैश्विक स्तर पर वैधता मिली है।
  • ISBT ने CRIB को जून 2025 में एक नया एंटीजन/ब्लड ग्रुप के रूप में मान्यता दी — यानी यह अब वैश्विक रक्त समूह सिस्टम का हिस्सा बन चुका है।

🔹 4. केवल CRIB ब्लड ग्रुप से ही ट्रांसफ्यूज़न संभव

  • महिला का ब्लड इतना दुर्लभ है कि वह केवल उसी ग्रुप से ट्रांसफ्यूज़न ले सकती है।
  • परिवार के 20 लोगों में किसी का ब्लड मेल नहीं खा रहा था।

👉 यह मेडिकल हिस्ट्री में पहली बार हुआ है कि ऐसा ब्लड ग्रुप पहचाना गया जिसकी जरूरत विशेष वैज्ञानिक प्रोटोकॉल से हो और जो दुनिया भर में अब तक अनदेखा रहा हो।


🔹 5. रक्तदान और ट्रांसफ्यूज़न विज्ञान में नई दिशा

  • इस खोज से दुर्लभ रक्त समूहों की स्क्रीनिंग, प्रसव के दौरान जटिलताओं की रोकथाम, और ब्लड बैंकिंग सिस्टम के विकास को नई दिशा मिल रही है।
  • CRIB जैसे केस मेडिकल जगत को यह सिखाते हैं कि ब्लड ग्रुप केवल A, B, AB, O तक सीमित नहीं हैं — असल दुनिया में और भी कई दुर्लभ और जटिल प्रकार मौजूद हैं।

इतिहास इसलिए रचा गया, क्योंकि:

  • यह दुनिया का पहला CRIB ब्लड ग्रुप है। पहली बार भारत ने एक नया ब्लड ग्रुप खोजा है। इसे वैश्विक स्तर पर ISBT द्वारा मान्यता मिल चुकी है और यह भविष्य की मेडिकल रिसर्च, ट्रांसफ्यूज़न, और ब्लड डोनर रजिस्ट्रियों के लिए एक मील का पत्थर है।

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