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UP: सपा को पीडीए रणनीति के तहत मौका मिलेगा, नेता प्रतिपक्ष के सहारे जातीय समीकरण

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UP: पीडीए रणनीति के तहत समाजवादी पार्टी विधानसभा व विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष का चयन करेगी। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जल्द ही इसका फैसला लेंगे।
विधानसभाओं और विधान परिषदों में समाजवादी पार्टी नेता प्रतिपक्ष के माध्यम से जातीय समीकरण बनाए रखेगी। जिससे लोगों को पता चलेगा कि पीडीए (पिछड़े, दलित और मुस्लिम) सबसे महत्वपूर्ण है। पार्टी इसके बारे में व्यापक बहस कर रही है।

UP: नेता प्रतिपक्ष थे

UP: अखिलेश यादव अभी तक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष थे, लेकिन कन्नौज से चुने जाने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया है। वे अब राष्ट्रीय राजनीति पर अधिक जोर देंगे। यहां पूर्व कैबिनेट मंत्री और अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव का नाम विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में आगे चल रहा है। विधायक इंद्रजीत सरोज, रामअचल राजभर और कमाल अख्तर भी इस दौड़ में हैं।

UP: सूत्रों के अनुसार, अखिलेश यादव नेता प्रतिपक्ष चुनते समय इस बात पर विचार करेंगे कि सदन में भाजपा सरकार को आक्रामक ढंग से घेरने में कौन अधिक सक्षम होगा। लोकसभा चुनाव के परिणाम से उत्साहित सपा ने भाजपा की नीतियों पर आक्रामक प्रहार करने की रणनीति को अपनाया है। विधानसभा में समाजवादी दल का नेतृत्व करने वाला व्यक्ति ही इस रणनीति को लागू कर सकेगा।

सपा को अभी तक विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष का पद नहीं मिल सका क्योंकि उसके पास 10 प्रतिशत सदस्य नहीं थे। हाल ही में चुने गए सपा के तीन सदस्यों ने शपथ लेने से उसके पास उच्च सदन में नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए पर्याप्त संख्याबल है।

विधान परिषद में सपा दल के नेता लाल बिहारी यादव भी चुनाव में शामिल होने की चर्चा है। किंतु राजेंद्र चौधरी, जासमीन अंसारी और शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली के नाम भी चर्चा में हैं। सपा के सूत्रों ने बताया कि अखिलेश 24 जून से शुरू होने वाले संसदीय सत्र के दौरान ही यूपी के दोनों सदनों में नेता प्रतिपक्ष का चुनाव करेंगे।

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