Vishwash Kumar Ramesh

मैं ज़िंदा हूँ, लेकिन हर दिन मर रहा हूँ Vishwash Kumar Ramesh का दर्द, जब वह बने Air India Flight 171 Crash के इकलौते सर्वाइवर

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मैं ज़िंदा हूँ, लेकिन हर दिन मर रहा हूँ Vishwash Kumar Ramesh का दर्द, जब वह बने Air India Flight 171 Crash के इकलौते सर्वाइवर

Vishwash Kumar Ramesh एहसास की वो चीख जिसे शब्दों में पिरो पाना मुश्किल है: एयर इंडिया फ्लाइट 171 के तहस-नहस हादसे में एक मात्र बचे व्यक्ति ने कहा—“जी तो रहा हूँ, लेकिन मैं हर रोज मर रहा हूँ।” जानिए उसकी कहानी, गहरी चोटें, और किस तरह बचने के बाद भी ज़िंदगी काँप रही है।

१२ जून २०२५ मै Air India Flight 171 Crash ने भारत-देश और विश्व को झकझोर दिया। विमान टेकऑफ़ के केवल कुछ पलों बाद अहमदाबाद से लंदन जा रही यह फ्लाइट दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इसमें सवार लगभग २४२ व्यक्ति थे, लेकिन उनके मध्य सिर्फ एक ही व्यक्ति बचा — नाम है Vishwash Kumar Ramesh।

Vishwash Kumar Ramesh ‘गुमसुम हो गए हैं रमेश, अकेले बैठे रहते हैं’

वो सीट नंबर 11A पर बैठे थे — एक ऐसा स्थान जो इस हादसे में चमत्कारिक रूप से उन्हें बचा गया। एयरलाइनिस्ट के अनुसार यह सीट इमरजेंसी एग्जिट के बिल्कुल पास थी।
विमान के भीतर उन्होंने महसूस किया- “हुई जैसे पाँच-दस सेकंड के लिए विमान हवा में ठहर गया हो। फिर एक जोरदार धक्का, मलबा, आग।”
उनके शब्द हैं:

“जब मैंने आँख खोली तो चारों ओर शव और विमान के टुकड़े थे… मैं डर गया था, समझ नहीं पा रहा था कि बचा हूँ या मर चुका।”

Vishwash Kumar Ramesh
Vishwash Kumar Ramesh

Vishwash Kumar Ramesh बचना आसान था नहीं

विजय नहीं, बल्कि एक कठिन ज़िंदगी की शुरुआत थी। Ramesh को छाती, आंखों, पैरों पर गंभीर चोटें आई थीं। शारीरिक रूप से जीवित ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से घायल हैं।

“मुझे नींद नहीं आती। क्यों सिर्फ मैं? मेरा भाई नहीं, बाकी कोई नहीं…”

उनका भाई Ajay kumar Ramesh उसी विमान में था, सीट 11J पर। वह इस हादसे में नहीं बचे। दो भाई, एक कहानी—पर एक बचे, एक न बचे।
विजय का दर्द सिर्फ खुद के बचने का नहीं — बल्कि उस पल का है जब उन्होंने देखा कि सामने के सीट-पंक्ति में लोग मरते जा रहे हैं।

Vishwash Kumar Ramesh

“मैंने अपनी आंखों के सामने हो रहा सब कुछ देखा… हुक्म है, मैं जिंदा हूँ, पर मन से मरता हूँ हर रोज।”

सबूत और मीडिया

वीडियो सामने आया जिसमें Ramesh रक्त-सीने कपड़ों में घायल अवस्था में चलते नजर आ रहे थे, मलबे और आग के बीच से निकलते हुए। दुर्घटना की तकनीकी जांच हाल ही में सामने आई है- विमान के दोनों इंजन में ईंधन आपूर्ति कट जाने से दुर्घटना हुई थी।

उनका सफर अभी खत्म नहीं हुआ है —

  • मानसिक उपचार अभी जारी है, उनका परिवार उन्हें मीडिया से दूर रखने की कोशिश कर रहा है।
  • वापसी घर कब होगी? अभी अनिश्चित है।
  • उन्होंने कहा है: “भगवान ने मुझे जीवन दिया, लेकिन उसने मेरी खुशी छीन ली।”

हमें क्या सिखाता है

यह सिर्फ एक आदमी की संघर्ष-कहानी नहीं, बल्कि जिंदगी और मौत के बीच की नाजुक रेखा है।

  • सुरक्षित सीट और सीटकॉलर भी कभी कभी भाग्यशाली होते हैं।
  • लेकिन बचना ही सब कुछ नहीं होता — बचने के बाद जीने की लड़ाई, जो अनकही है।
  • हादसे की संरचना-वैज्ञानिक वजहें हों या सुरक्षा-प्रोटोकॉल, जब इंसान का जीवन दांव पर हो, तब हर बात मायने रखती है।

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