X को बड़ा झटका, भारत में काम करना है तो भारतीय कानून मानने होंगे
कर्नाटक हाईकोर्ट ने एलन मस्क की कंपनी X Corp (पूर्व में ट्विटर) को तगड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें X ने केंद्र सरकार के ‘सहयोग पोर्टल’ की वैधता पर सवाल उठाए थे। यह पोर्टल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को अवैध और आपत्तिजनक कंटेंट हटाने के लिए नोटिस भेजने का माध्यम है।
X को बड़ा झटका हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी
जस्टिस एम. नागप्रसन्ना ने कहा – “भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत जो ‘फ्रीडम ऑफ स्पीच’ है, वह केवल भारतीय नागरिकों का अधिकार है। कोई विदेशी कंपनी इसका दावा नहीं कर सकती।” कोर्ट ने स्पष्ट किया कि “आजादी के साथ जिम्मेदारी भी आती है”। हाईकोर्ट ने X Corp पर तंज कसते हुए कहा कि यह कंपनी अमेरिका में वहां के टेकडाउन कानूनों को मानती है, लेकिन भारत में आदेशों की अनदेखी करती है। “यह रवैया अस्वीकार्य है।”

सरकार का पक्ष
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि:
X Corp अमेरिका में रजिस्टर्ड कंपनी है, इसलिए इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत मौलिक अधिकार नहीं मिल सकते। ‘सहयोग पोर्टल’ पूरी तरह वैध है और IT Act की धारा 79(3)(b) और 2021 के नियम 3(d) के तहत संचालित होता है। इसका मकसद केवल अवैध कंटेंट पर तुरंत कार्रवाई करना है।
क्यों ज़रूरी है नियंत्रण?
जस्टिस नागप्रसन्ना ने कहा कि—
सोशल मीडिया “आधुनिक विचारों का मंच” है लेकिन इसे “अराजक स्वतंत्रता” के हवाले नहीं छोड़ा जा सकता। कंटेंट पर नियंत्रण महिलाओं की गरिमा, समाज की सुरक्षा और आपराधिक गतिविधियों पर रोक के लिए अनिवार्य है। सभ्यता के इतिहास से लेकर आज तक सूचना और संचार (Information & Communication) हमेशा किसी न किसी नियंत्रण के दायरे में रहे हैं—चाहे वह संदेशवाहक हों, डाक व्यवस्था या आज के WhatsApp-Instagram।
भारत में काम करने वाली हर सोशल मीडिया कंपनी को भारतीय कानून और नियमों का पालन करना ही होगा।
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