Janmashtami

Janmashtami व्रत के लिए फलाहारी धनिया पंजीरी कृष्णजी का प्रिय भोग

Food Recipe

Janmashtami व्रत के लिए फलाहारी धनिया पंजीरी कृष्णजी का प्रिय भोग

Janmashtami फलाहारी धनिया पंजीरी की रेसिपी — जो जन्माष्टमी व्रत के लिए बिल्कुल उपयुक्त है और भगवान कृष्ण का प्रिय भोग भी मानी जाती है। धनिया पंजीरी का जन्माष्टमी व्रत और भोग में एक विशेष स्थान है। इसे केवल एक मिठाई या प्रसाद नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक महत्व वाली व्रत-विशेष तैयारी माना जाता है। इसकी धार्मिक महत्ता के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं — व्रत में सेवन योग्य, भगवान कृष्ण का प्रिय भोग, स्वास्थ्य और ताजगी का प्रतीक, व्रत के बाद ऊर्जा देने वाला प्रसाद।

जन्माष्टमी भोग में धनिया पंजीरी के पीछे की पौराणिक कथा”

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार धनिया पंजीरी का संबंध भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं और भक्तों की अटूट भक्ति से जुड़ा है। कथा इस प्रकार सुनाई जाती है

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Janmashtami गोकुल की गोपियों और पंजीरी का प्रेम

गोकुल में जब छोटे कान्हा अपने सखाओं के साथ गाय चराने जाते थे, तो खेल-खेल में अक्सर भूख लग जाती। उस समय गोपियाँ उनके लिए माखन, मिश्री और सूखे मेवे से बना मीठा भोग तैयार करतीं, जिसे आज हम पंजीरी कहते हैं।
पंजीरी हल्की, पौष्टिक और लंबे समय तक सुरक्षित रहने वाली होती थी, इसलिए इसे मैदानों और जंगलों में ले जाना आसान था।

Janmashtami महाभारत काल का प्रसंग

एक अन्य कथा महाभारत काल से जुड़ी है — जब युद्ध की तैयारी चल रही थी, तब पांडवों के पास भोजन का पर्याप्त प्रबंध नहीं था। द्रौपदी ने योद्धाओं को ताकत देने के लिए आटे, घी, मिश्री और सूखे मेवों से बनी पंजीरी तैयार की।
यह ऊर्जा देने वाला और सात्त्विक भोजन था, जिससे योद्धाओं में बल और उत्साह बना रहा। यही कारण है कि पंजीरी को “शक्ति और विजय का प्रतीक प्रसाद” माना गया।

Janmashtami धनिया पंजीरी का विशेष महत्व

समय के साथ, व्रत और उपवास के दौरान अनाज से बचने की परंपरा के चलते, धनिया बीज को भूनकर पाउडर बनाया जाने लगा और उससे पंजीरी तैयार की जाने लगी।
जन्माष्टमी पर धनिया पंजीरी को इसलिए भोग में रखा जाता है, क्योंकि —

  • यह सात्त्विक और फलाहारी है
  • व्रतधारियों के लिए ऊर्जा का स्रोत है
  • पौराणिक प्रसंगों से जुड़ी है, जो भक्ति और सेवा का प्रतीक है

धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख

कुछ मान्यताओं के अनुसार, भागवत कथा और जन्माष्टमी पूजन के अवसर पर पंजीरी वितरण का महत्व इसलिए है क्योंकि यह कृष्ण लीलाओं की याद दिलाता है — जब यशोदा मैया उन्हें पंजीरी जैसे माखन-मिश्री से बने भोग खिलाती थीं।

Janmashtami पंजीरी सामग्री (4–5 लोगों के लिए)

  • हरी धनिया पाउडर – 1 कप (सूखा धनिया पाउडर)
  • घी – ½ कप
  • बूरा / पिसी मिश्री – ¾ कप (स्वादानुसार)
  • काजू – 8-10 (कटा हुआ)
  • बादाम – 8-10 (कटा हुआ)
  • पिस्ता – 5-6 (कटा हुआ, वैकल्पिक)
  • सूखा नारियल – 2 टेबलस्पून (कसा हुआ)
  • खरबूजे के बीज – 1 टेबलस्पून
  • इलायची पाउडर – ½ टीस्पून

विधि

  1. घी गरम करें:
    कढ़ाई में घी डालकर हल्का गरम करें।
  2. धनिया पाउडर भूनें:
    इसमें हरी धनिया पाउडर डालकर धीमी आंच पर लगातार चलाते हुए 5–7 मिनट तक भूनें, जब तक हल्की सुगंध न आने लगे।
  3. ड्राई फ्रूट्स तैयार करें:
    अलग से थोड़ा घी लेकर काजू, बादाम, पिस्ता और खरबूजे के बीज हल्के सुनहरे होने तक भून लें।
  4. मिश्रण मिलाना:
    भुना हुआ धनिया पाउडर हल्का ठंडा हो जाए तो इसमें बूरा (या पिसी मिश्री), नारियल पाउडर, इलायची पाउडर और भुने ड्राई फ्रूट्स डालकर अच्छे से मिला लें।
  5. भोग और प्रसाद:
    जन्माष्टमी के दिन इसे भगवान कृष्ण को अर्पित करें और फिर प्रसाद के रूप में सभी को बांटें।

टिप्स:

  • ध्यान रहे कि धनिया पाउडर को अधिक न भूनें, वरना कड़वाहट आ सकती है।
  • मिश्री पाउडर डालने से पहले मिश्रण थोड़ा ठंडा हो, ताकि चीनी पिघले नहीं।
  • चाहें तो इसमें भुना मखाना भी मिला सकते हैं, इससे स्वाद और बढ़ जाएगा।

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