Bjp: बिहार के भोजपुर के तरारी से पूर्व विधायक सुनील पांडेय, जो पहले एलजेपी पारस गुट में थे, भारतीय जनता पार्टी में शामिल होंगे। 2020 के चुनाव में उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में दूसरा स्थान हासिल किया था। उन्हें बीजेपी उपचुनाव में उम्मीदवार बना सकती है।
भोजपुर के बाहुबली नेता सुनील कुमार पांडेय, जो चार बार तरारी से विधायक रहे थे, ने राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी) को अलविदा कह दिया। 16 अगस्त को सुनील पांडेय आज पटना में बीजेपी प्रदेश कार्यालय में पार्टी की सदस्यता लेंगे। उन्हें बीजेपी जल्द ही विधानसभा उपचुनाव में उम्मीदवार बना सकती है। पशुपति पारस को सुनील पांडेय का बीजेपी में शामिल होना बड़ा झटका लगा है।
वास्तव में, सुनील पांडेय का आरएलजेपी में बहुत दबदबा था। पशुपति पारस ने खुद एनडीए से उपचुनाव में एक बड़ी सीट की मांग की थी। याद रखें कि बीजेपी के प्रतिभाशाली विद्यार्थी ने 2020 के चुनाव में भारी हार झेली, जबकि सुनील पांडेय निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर दूसरे स्थान पर रहे थे।
Bjp: बिहार के बाहुबली नेताओं में सुनील पांडेय भी शामिल हैं
बिहार की राजनीति में सुनील पांडेय का एक विशिष्ट स्थान है। बिहार के बाहुबली नेताओं में उनका नाम शामिल है। वे मूल रूप से रोहतास जिले से हैं, लेकिन भोजपुर के पीरो विधानसभा क्षेत्र से अपनी राजनीतिक पारी शुरू की। 2000 में उन्होंने महज 34 साल की उम्र में पीरो सीट से अपना पहला चुनाव जीता था। उस समय, वे भाग रहे थे।
Bjp: सुनील पांडेय अब तक चार बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं
अब तक, सुनील पांडेय चार बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। 2000 में, वे समता पार्टी के टिकट पर पहली बार पीरो से जीते थे। उसके बाद उन्होंने फरवरी 2005 और अक्टूबर 2005 में हुए उपचुनावों में भी इसी सीट पर जीत हासिल की। 2010 में, वे जदयू से चुनाव जीते थे। 2015 में उनकी पत्नी गीता पांडेय ने एलजेपी के टिकट पर तरारी से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गईं।
Bjp: 2000 में नीतीश सरकार की मदद की
एक समय, सुनील पांडेय बिहार की सत्ता के बहुत करीब थे। 2000 में बहुमत न मिलने पर सुनील पांडेय ने कई निर्दलीय विधायकों को तोड़कर नीतीश कुमार की सरकार बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उन्होंने मोकामा के सूरजभान, राजन तिवारी, रामा सिंह, अनंत सिंह, धूमल सिंह और मुन्ना शुक्ला जैसे बाहुबली नेताओं को अपने पक्ष में लाया था।
सुनील पांडेय के बीजेपी में शामिल होने से स्पष्ट है कि बड़े विधानसभा उपचुनाव में प्रतिस्पर्धा काफी रोमांचक होगी। यह देखना चाहिए कि बीजेपी सुनील पांडेय को अपना उम्मीदवार बनाती है या किसी दूसरे को उम्मीदवार बनाती है।
सुनील पांडेय की चुनावी यात्रा का विश्लेषण:
साल 2000: पीरो विधानसभा क्षेत्र से पहली बार समता पार्टी से विधायक बने। 43,160 वोटों ने जीत हासिल की।
फरवरी २००५: पीरो ने अपने क्षेत्र से दूसरी बार चुनाव जीता। 54,767 वोट प्राप्त हुए।
अक्टूबर २००५: पीरो अपने क्षेत्र के उपचुनाव में तीसरी बार विजयी हुए। 46,338 वोट जीते।
2009: जदयू के टिकट पर चौथी बार तरारी विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। 46,338 वोट जीते।
:2015 पति गीता पांडेय ने तरारी से एलजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन हार गईं।
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Bjp: पशुपति पारस को लगा बड़ा झटका: पूर्व विधायक सुनील पांडेय आज BJP में शामिल होंगे
Sunil Pandey BJP में आ रहे, Tarari Vidhan Sabha By-Election लड़ेंगे, Pashupati Paras को बड़ा झटका
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