Chandigarh: हुड्डा के विशिष्ट समर्थकों को प्रदेश की चार सीटों पर अपनी ही पार्टी के नेताओं से मुकाबला करना आसान नहीं है। यहाँ भितरघात और खुले तौर पर विरोध की भी आशंका है।
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रत्याशियों की सूची में अपने प्रियजनों के नाम डालकर अपनी राह के कई काटों को बाहर निकाल दिया है। यह स्पष्ट है कि उनके प्रत्याशियों के लिए अब यही चुनौती होगी।

हुड्डा के विशिष्ट समर्थकों को प्रदेश की चार सीटों पर अपनी ही पार्टी के नेताओं से मुकाबला करना आसान नहीं है। यहाँ भितरघात और खुले तौर पर विरोध की भी आशंका है। टिकट कटने के बाद से नेताओं ने अपने समर्थकों के साथ बैठकें बुलाई हैं. इन बैठकों में ही आगे की रणनीति निर्धारित होगी। यह भी पहली बार है कि चार कांग्रेस सीटों पर कोई बहस नहीं है। इनमें रोहतक से दीपेन्द्र हुड्डा, सिरसा से कुमारी सैलजा, अंबाला से वरुण चौधरी और सोनीपत से सतपाल ब्रह्मचारी शामिल हैं।
रोहतक हुड्डा का गढ़ है, सिरसा पर सैलजा और उनके परिवार का पहले से ही प्रभाव है, जबकि वरुण कांग्रेस का जाना-माना चेहरा हैं। सोनीपत में हुड्डा का प्रभाव है, क्योंकि कांग्रेस के पांच विधायक हुड्डा का समर्थक हैं।
Chandigarh: JP सामने बड़ी चुनौती
हिसार से हुड्डा समर्थक जेपी को टिकट मिल गया है, लेकिन उनका रास्ता कठिन है। पहले, चौधरी बीरेंद्र सिंह और उनके बेटे बृजेंद्र सिंह ने भाजपा छोड़कर कांग्रेस में प्रवेश किया है। जैसे-जैसे बृजेंद्र सिंह ने सांसद पद से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हो गए, उनसे सबसे अधिक उम्मीद थी कि उनका टिकट मिलेगा। इनके अलावा, पूर्व डिप्टी सीएम चंद्रमोहन बिशनोई का नाम भी उठाया गया था, लेकिन कुछ नहीं हुआ। प्रदेश कांग्रेस अब इन दोनों नेताओं को JP के पास लाने में सक्षम नहीं है।
Chandigarh: नाराज किरण चाैधरी ने आज एक बैठक बुलाई
भिवानी-महेंद्रगढ़ से हुड्डा के समर्थक राव दान सिंह को प्रत्याशी बनाया गया है, जबकि किरण चौधरी की बेटी श्रुति को टिकट नहीं दिया गया है। वह दो बार से लोकसभा चुनाव हार चुकी है। शनिवार दोपहर को सरकार ने आगे की रणनीति के लिए एक बैठक बुलाई है। बंसीलाल के परिवार के साथ बिना दान सिंह की नैया पार करना बहुत मुश्किल है। बंसीलाल के बेटे रणबीर, हालांकि, पहले से ही कांग्रेस में हैं और हुड्डा का समर्थक हैं।
बुद्धिराजा को दो-दो महान लोगों से मिलना होगा।
करनाल से पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा अपने बेटे चाणक्य शर्मा के लिए लाबिंग कर रहे थे, लेकिन उनका पिछड़ा रिकार्ड देखते हुए टिकट कट गया। साथ ही, कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव वीरेंद्र राठौर का नाम लगभग तय था। राठौर रणदीप सुरजेवाला के करीबी हैं, जबकि कुलदीप शर्मा हुड्डा के करीबी हैं। बुद्धिराजा को युवा चेहरे को साधना आसान नहीं है।
दलाल पर निर्भर रहेंगे
भाजपा के कृष्ण पाल गुर्जर से मुकाबला शुरू करने से पहले पूर्व मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह को अपनी ही पार्टी के क्रूर नेता कर्ण सिंह दलाल को धन्यवाद देना होगा। यद्यपि ये दोनों नेता हुड्डा के करीबी दोस्त हैं, दलाल भी हुड्डा के रिश्तेदार हैं। कर्ण दलाल आश्वस्त थे कि उनके पास टिकट होगा, लेकिन गुर्जर चेहरा नहीं था। यह देखना दिलचस्प होगा कि जाट चेहरे दलाल प्रताप का कितना सहयोग करते हैं।
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Chandigarh: हुड्डा ने कई बाधा पार की, लेकिन अब उनके प्रत्याशियों के सामने एक नई चुनौती होगी।
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