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Election: वास्तव में, उत्तराखंड में बेटियों को राजनीति में अभी भी “पराया धन” माना जाता है।

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Election: महिला अधिकार, सशक्तिकरण और योजनाओं के बारे में बहुत बोली जाती है, लेकिन राजनीतिक दलों की प्राथमिकता बदल जाती है जब चुनाव आते हैं। राज्य की चालिस लाख से अधिक महिला मतदाताओं को शायद कुछ समय और इंतजार करना पड़ेगा।

भाजपा और कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दल लोकसभा चुनाव में महिलाओं के अधिक से अधिक वोट लेने के लिए इतने उत्सुक दिखते हैं, लेकिन वे महिलाओं को टिकट देने में उतने उत्सुक नहीं दिखते। राज्य की पांच लोकसभा सीटों पर 55 प्रत्याशियों में से सिर्फ चार ही महिलाएं हैं, जबकि कुल मतदाताओं में 48 फीसदी महिलाएं हैं, जो किसी को भी हराने या जिताने का दमखम रखती हैं।

राज्य की महिलाओं को अभी तक सही मायने में अपना हक नहीं मिल पाया है। राज्य की चालिस लाख से अधिक महिला मतदाताओं को शायद कुछ समय और इंतजार करना पड़ेगा। जब बात राज्य की महिलाओं की राजनीतिक जागरूकता की है, तो पुरुष मतदाताओं की तरह राज्य की महिलाएं भी मतदान करने के प्रति काफी सजग हैं।

वह सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों से जुड़े अभियानों में सक्रिय रूप से शामिल रहे। इसलिए वे भी राजनीतिक मुद्दों को समझती हैं। महिलाएं राज्य की पंचायतों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो कुशलतापूर्वक काम करती हैं। लेकिन वे अभी तक राजनीतिक दलों पर विधायिका के मोर्चे पर भरोसा नहीं बना पाई हैं। यही कारण है कि महिलाओं को बराबरी का हक देने की मांग करने वाले राजनीतिक दल भी उन्हें अपने प्रत्याशियों में शामिल करने से इनकार कर रहे हैं। लोकसभा सीटों पर उतरे प्रत्याशियों से इसकी तस्दीक होती है।

Election: अब तक लोकसभा में सिर्फ तीन महिलाएं

याद रखें कि कमलेंदुमती शाह ने पहले लोकसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर टिहरी संसदीय सीट से जीत हासिल की। इसके बाद नैनीताल से ईला पंत और फिर राज्य बनने के बाद सिर्फ एक महिला माला राज्यलक्ष्मी शाह संसद में पहुंचीं। वर्षों बाद भी महिलाओं को राज्य और लोकसभा में उनकी आबादी के अनुरूप प्रतिनिधित्व नहीं मिला।

Election राजनीतिक दलों ने परहेज किया

उत्तराखंड में प्रमुख दलों ने महिला उम्मीदवारों पर दांव लगाने से इनकार कर दिया है। महिला अधिकार, सशक्तिकरण और योजनाओं के बारे में बहुत बोली जाती है, लेकिन राजनीतिक दलों की प्राथमिकता बदल जाती है जब चुनाव आते हैं। इसका एकमात्र अपवाद टिहरी लोकसभा सीट है, जहां भाजपा, देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी, माला राज्यलक्ष्मी शाह पर दांव खेला है। पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया डेमोक्रेटिक ने सुरेशी देवी को गढ़वाल सीट से, सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया ने रेशमा को और उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने किरन आर्या को मैदान में उतारा है।

Election: वास्तव में, उत्तराखंड में बेटियों को राजनीति में अभी भी “पराया धन” माना जाता है।

Lakh Take ki Baat: उत्तराखंड में अब बेटा-बेटी समान, महिलाओं को सम्मान। UCC Bill Passed। CM Dhami