Goddess नेपाल की अनोखी परंपरा – कैसे चुनी जाती है ‘जीवित देवी
Goddess नेपाल में हाल ही में 2 साल 8 महीने की आर्यतारा शाक्य को नई जीवित देवी के रूप में चुना गया है। यह परंपरा सैकड़ों साल पुरानी है और दशई (दशहरा) पर्व के दौरान निभाई जाती है।
कैसे होती है देवी का चुनाव?
देवी चुने जाने से पहले बच्ची को कठिन परीक्षा से गुजरना होता है।
- सामने ही भैंस की बलि दी जाती है, खून दिखाया जाता है। लोग राक्षसों के मुखौटे पहनकर नाचते हैं, डरावनी आवाजें निकालते हैं। इस दौरान बच्ची का साहस परखा जाता है।
अगर बच्ची डर जाए या रो पड़े, तो उसे देवी नहीं माना जाता।
अगर वह बिना डरे, शांत या मुस्कराते हुए सब देखती रहे – तभी उसे देवी घोषित किया जाता है।
आर्यतारा ने यह परीक्षा पास की और देवी के रूप में चुनी गईं।
क्यों छोड़ा पिछली देवी ने पद?
आर्यतारा ने तृष्णा शाक्य की जगह ली है।
- तृष्णा 2017 में देवी बनी थीं। हाल ही में, 11 साल की उम्र में, जब उनका मासिक धर्म शुरू हुआ, तो उन्हें परंपरा के अनुसार पद छोड़ना पड़ा। इसके बाद नई देवी की तलाश की गई और आर्यतारा का चयन हुआ।
सिर्फ साहस ही नहीं, 32 गुण भी जरूरी
देवी बनने के लिए केवल डर न लगना ही काफी नहीं है। परंपरा के मुताबिक, चुनी जाने वाली बच्ची में 32 विशेष गुण होने चाहिए – जैसे:
- पवित्र कुल (शाक्य परिवार) से होना | खास चेहरे और शरीर की संरचना | शारीरिक निशान और आभा | सहज शांत स्वभाव
परंपरा का महत्व
नेपाल की यह परंपरा केवल आस्था का प्रतीक नहीं है, बल्कि देश की सांस्कृतिक विविधता और आध्यात्मिक गहराई को भी दर्शाती है। लोग मानते हैं कि जीवित देवी उनके जीवन में शुभ फल और आशीर्वाद लाती है।
आर्यतारा शाक्य अब नेपाल की नई जीवित देवी हैं। उनकी मुस्कुराती हिम्मत और साहस ने उन्हें इस अद्वितीय परंपरा का हिस्सा बना दिया है।
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