Lord Krishna: भगवान श्रीकृष्ण ने 8 प्रमुख विवाह क्यों किए और श्रीकृष्ण की 8 पटरानियां कौन थीं?
Lord Krishna श्रीकृष्ण की प्रमुख 8 पटरानियाँ (अष्टभैर्य) कहा जाता है और“अष्टमहिषी” कहलाती हैं। इनके अलावा श्रीकृष्ण ने 16,100 स्त्रियों को नरकासुर के बंदीगृह से मुक्त कर पत्नी का दर्जा दिया था।
आइए इसे सरल शब्दों में समझते हैं:
🌸 अष्टमहिषी का अर्थ
- “अष्ट” = आठ
- “महिषी” = महारानी / प्रमुख पत्नी
यानी अष्टमहिषी का अर्थ है – Lord Krishna की आठ प्रमुख महारानियाँ।
क्यों कहा जाता है इन्हें अष्टमहिषी?
श्रीकृष्ण ने जीवन में अनेक विवाह किए, लेकिन उनमें से 8 रानियाँ विशेष और मुख्य थीं।
- इन्हें शास्त्रों में मुख्य महारानियाँ (प्रधान पत्नियाँ) का स्थान मिला है।
- इन आठों रानियों की अलग-अलग कथाएँ और विवाह प्रसंग मिलते हैं।
- पुराणों के अनुसार ये आठों देवी स्वरूप मानी जाती हैं और लक्ष्मीजी के विभिन्न अवतार मानी गई हैं।
“श्रीकृष्ण ने 8 प्रमुख विवाह क्यों किए?”
इसका उत्तर केवल सांसारिक दृष्टि से नहीं, बल्कि धार्मिक और प्रतीकात्मक दृष्टि से भी समझना होगा।
कारण कि Lord Krishna ने 8 प्रमुख विवाह (अष्टमहिषी) किए
1️⃣ सामाजिक और राजनीतिक कारण
द्वापर युग में राजाओं के बीच विवाह केवल प्रेम का बंधन नहीं था, बल्कि राजनीतिक संबंध मजबूत करने का साधन भी था।
- हर विवाह से कृष्ण ने अलग-अलग राज्यों से संबंध और मित्रता बनाई।
- इससे धर्म की स्थापना और राजनीति दोनों में उनका प्रभाव बढ़ा।
2️⃣ स्त्रियों की रक्षा और सम्मान
कृष्ण ने कई बार उन स्त्रियों को विवाह किया जिन्हें अन्याय या बंधन से मुक्त कराया।
- जैसे रुक्मिणी को जबरन शिशुपाल से विवाह कराने की कोशिश हुई।
- नाग्नजिति (सत्या) के स्वयंवर की कठिन शर्तें थीं, जिन्हें कोई नहीं जीत पाया।
कृष्ण ने उनका विवाह कर उनका सम्मान और सुरक्षा सुनिश्चित की।
3️⃣ प्रतीकात्मक और आध्यात्मिक अर्थ
पुराणों में कहा गया है कि ये 8 प्रमुख रानियाँ वास्तव में लक्ष्मीजी के 8 रूप हैं।
- कृष्ण विष्णु के अवतार हैं और विष्णु की शक्ति (लक्ष्मी) अलग-अलग रूपों में उनके साथ रहती है।
- इसलिए यह विवाह केवल लौकिक नहीं बल्कि दैवीय संगम का प्रतीक हैं।
4️⃣ आदर्श स्थापित करना
कृष्ण का हर विवाह एक कथा और शिक्षा देता है –
- रुक्मिणी → सच्चे प्रेम की जीत
- सत्यभामा → अहंकार और दानवीरता की सीख
- जाम्बवती → तपस्या और धर्म का महत्व
- कालिंदी → भक्ति और तपस्या का फल
इस तरह प्रत्येक विवाह जीवन मूल्य और शिक्षा से जुड़ा है।
5️⃣ युगधर्म (समय की प्रथा)
द्वापर युग में अनेक विवाह करना असामान्य नहीं था।
- राजकुमार और राजा प्रायः अनेक विवाह करते थे।
- इससे वंश विस्तार और विभिन्न राजवंशों का मेल होता था।
Lord Krishna श्रीकृष्ण की 8 प्रमुख रानियाँ
क्रम | रानी का नाम | विशेष जानकारी |
---|---|---|
1️⃣ | रुक्मिणी | विदर्भ की राजकुमारी और कृष्ण की प्रथम पत्नी। इन्हें लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। |
2️⃣ | सत्यभामा | सात्यक राजा सताजी की पुत्री। इन्हें पृथ्वी देवी का अवतार कहा जाता है। कृष्ण के साथ नरकासुर वध में सम्मिलित थीं। |
3️⃣ | जाम्बवती | जाम्बवन्त (रामायण कालीन भालू राजा) की पुत्री। इनके विवाह में श्यमंतक मणि का प्रसंग प्रसिद्ध है। |
4️⃣ | कालिंदी | सूर्यदेव की पुत्री। यमुना नदी के तट पर तपस्या कर रही थीं, जहाँ कृष्ण ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया। |
5️⃣ | मित्रविंदा | अवंति (उज्जैन) की राजकुमारी। स्वयंवर में कृष्ण ने अर्जुन की सहायता से इन्हें जीता। |
6️⃣ | नाग्नजिति (या सत्या) | अयोध्या के राजा नग्नजित की पुत्री। इनका स्वयंवर ‘सात बैलों’ को वश में करने की शर्त पर हुआ था। |
7️⃣ | भद्रा | श्रीकृष्ण की बुआ (श्रीकृष्ण की पितृपक्षीय बहन) की पुत्री। इनका विवाह पारिवारिक परंपरा से हुआ। |
8️⃣ | लक्ष्मणा (या माधवी) | मद्र देश की राजकुमारी। कृष्ण ने स्वयंवर में इन्हें जीता। |
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