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LS Elections: पश्चिमी रण में सरकार और भाजपा संगठन दोनों की राजनीतिक परीक्षा

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LS Elections: 26 अप्रैल को दूसरे चरण में 8 सीटों पर भी मतदान होगा। इन सीटों पर एनडीए और इंडिया गठबंधन की राजनीतिक क्षमता की परीक्षा होगी, लेकिन सत्ता में रहने वाले भाजपा के प्रदेश संगठन और सहयोगी दल के नेताओं की असली परीक्षा होगी।
पश्चिमी यूपी की चुनावी लड़ाई में सरकार और प्रदेश भाजपा संगठन की तैयारियों की भी जांच होगी। 26 अप्रैल को दूसरे चरण में 8 सीटों पर भी मतदान होगा। इन सीटों पर एनडीए और इंडिया गठबंधन की राजनीतिक क्षमता की परीक्षा होगी, लेकिन सत्ता में रहने वाले भाजपा के प्रदेश संगठन और सहयोगी दल के नेताओं की असली परीक्षा होगी।

इस बार भाजपा सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर मैदान में उतरी है। पार्टी को जाटलैंड की कठिन सियासी परिस्थितियों में विजय प्राप्त करना एक बड़ी चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है। क्योंकि 2019 के चुनाव में भाजपा को विरोधी पक्षों ने मात दी थी। NDA और India दोनों को जाटलैंड में जीत हासिल करना मुश्किल है।

LS Elections: जयंत भी कसौटी पर

रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी, एनडीए के सहयोगी के रूप में, जाटलैंड की इन सभी सीटों पर निर्भर हैं। रालोद के कोटे में भले ही बिजनौर और बागपत की एक सीट हो, लेकिन जाटलैंड की सभी सीटें रालोद अध्यक्ष जयंत की साख पर निर्भर होंगी।

2019 में भगवा पक्ष ने पहले चरण की आठ सीटों—सहारनपुर, रामपुर, नगीना, बिजनौर और मुरादाबाद में—हारी। वहीं, 26 अप्रैल को अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा में दूसरे चरण के चुनाव होने हैं। 2019 में भाजपा ने सिर्फ अमरोहा सीट खो दी थी। 2019 के चुनाव में विपक्ष ने भाजपा को छह सीटों पर हराया था।

नतीजों और मतदाताओं के रुख को देखते हुए, यह चुनाव सरकार से अधिक संगठन की रणनीतिक तैयारी की असली परीक्षा होगी। यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, जो इन सीटों में शामिल हैं, लंबे समय से मुरादाबाद की चुनावी तैयारियों पर केंद्रित रहे हैं।
पार्टी के संगठन महामंत्री धर्मपाल भी बिजनौर में रहते हैं। माना जाता है कि इस क्षेत्र के दोनों पदाधिकारियों को प्रदेश भाजपा का नेतृत्व सौंपा गया था क्योंकि वे पिछड़े वोटबैंक और जाटलैंड की राजनीति को नियंत्रित करना चाहते थे। इसलिए उनके साख की भी जांच होती है।

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